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Friday, 22 November, 2024
होमदेशसंसद में पेश रिपोर्ट- भारतीय रक्षा विश्वविद्यालय परियोजना को पीएम मोदी की मंजूरी का इंतजार

संसद में पेश रिपोर्ट- भारतीय रक्षा विश्वविद्यालय परियोजना को पीएम मोदी की मंजूरी का इंतजार

रक्षा मंत्रालय ने समिति को बताया है कि रक्षा विश्वविद्यालय की स्थापना के संबंध में जमीन की पहचान हो गई है और चाहरदीवारी बना ली गई है.

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नई दिल्ली: राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा प्रबंधन और रक्षा प्रौद्योगिकी के संबंध में मित्र राष्ट्रों के साथ समन्वय कायम करने एवं रक्षा क्षेत्र में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए ‘भारतीय रक्षा विश्वविद्यालय’ की स्थापना संबंधी परियोजना, मंजूरी के लिए अभी प्रधानमंत्री कार्यालय के विचाराधीन है.

रक्षा मंत्रालय ने संसद की एक समिति को यह जानकारी दी. समिति ने पिछले दिनों संसद में अपनी रिपोर्ट पेश की थी.
रिपोर्ट के अनुसार, रक्षा मंत्रालय ने समिति को बताया, ‘रक्षा विश्वविद्यालय की स्थापना के संबंध में जमीन की पहचान हो गई है और हमने चाहरदीवारी बनायी है. भारतीय रक्षा विश्वविद्यालय की स्थापना संबंधी परियोजना मंजूरी के लिए फिलहाल प्रधानमंत्री कार्यालय के पास है. इसकी स्वीकृति मिलने के बाद आगे की प्रक्रिया शुरू की जा सकेगी.’

लोकसभा में पिछले सप्ताह पेश रक्षा संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने रक्षा विश्वविद्यालय की प्रगति के बारे में जानना चाहा था.

गौरतलब है कि राष्‍ट्रीय रक्षा विश्‍वविद्यालय स्‍थापित करने का विचार सर्वप्रथम 1967 में सामने आया था. बाद में सन् 2000 में कारगिल समीक्षा समिति और मंत्रियों के समूह ने भी इसे स्‍थापित करने की सिफारिश की थी. रक्षा विश्‍वविद्यालय स्‍थापित करने के लिए हरियाणा के गुड़गांव जिले में भूमि का अधिग्रहण किया था.

इस उद्देश्य के लिये ‘भारतीय राष्‍ट्रीय रक्षा विश्‍वविद्यालय विधेयक -2015’ का प्रारूप भी तैयार किया गया था . इस विधेयक में रक्षा मंत्रालय के अधीन राष्‍ट्रीय महत्‍व का एक स्‍वायत्तता प्राप्‍त विश्‍व स्‍तरीय संस्‍थान स्‍थापित करने का प्रस्‍ताव है.

बहरहाल, रिपोर्ट के अनुसार संसदीय समिति ने पाया कि ‘रक्षा विश्वविद्यालय हेतु परियोजना विचाराधीन है.’ इसके तहत तीनों रक्षा सेवाओं (थल, जल और वायु) की वर्तमान संस्‍थाओं को इस विश्‍वविद्यालय से सबद्ध करने की बात कही गई है. यह विश्‍वविद्यालय राष्‍ट्रीय सुरक्षा, रक्षा प्रबंधन और रक्षा तकनीक से संबंधित उच्‍च शिक्षा को बढ़ावा देगा.

इसके अलावा आंतरिक और बाहरी सुरक्षा से जुड़े सभी पहलुओं पर नीति आधारित अनुसंधान को भी यह विश्‍वविद्यालय बढ़ावा देगा. दूर-दराज क्षेत्रों में तैनात सैनिकों के लिए मुक्‍त एवं दूरस्‍थ पाठ्यक्रम चलाने का भी प्रावधान इस विधेयक में है.
विश्‍व के अन्‍य देशों में मौजूदा रक्षा विश्‍वविद्यालयों की तरह राष्‍ट्रीय रक्षा विश्‍वविद्यालय को खुद के नियमों द्वारा संचालित करने का प्रस्‍ताव है. प्रस्‍तावित विश्‍वविद्यालय मित्र राष्‍ट्रों सहित अन्‍य सरकारी एजेंसियों के बीच समन्‍वय स्‍थापित करेगा.
प्रस्तावित मसौदा विधेयक में कहा गया है कि भारत के राष्ट्रपति इसके कुलाध्यक्ष होंगे.

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