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Saturday, 23 November, 2024
होमदेशपूर्वोत्तर में बोले मोदी- बोडो समुदाय की सभी मांगें खत्म, बंदूक छोड़ मुख्यधारा में जुड़ रहे हैं लोग

पूर्वोत्तर में बोले मोदी- बोडो समुदाय की सभी मांगें खत्म, बंदूक छोड़ मुख्यधारा में जुड़ रहे हैं लोग

मोदी ने कहा, 'अलगाव को लगाव में बदलने की कोशिश की गई है. जब ऐसा होता है तो लोग एक साथ काम करने के लिए तैयार हो जाते हैं.'

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नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून लागू होने के बाद पहली बार नरेंद्र मोदी पूर्वोत्तर भारत के दौरे पर हैं. असम के कोकराझार में एक रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि जिस तरह से यहां के लोगों ने दीये जलाएं हैं वो अभूतपूर्व है. ये साधारण घटना नहीं है बल्कि ये यहां के क्षेत्र में रोशनी भरने वाला है.

मोदी ने राहुल गांधी के डंडे वाले बयान पर निशाना साधते हुए कहा कि लोगों का साथ मेरे पास है. उन्होंने कहा कि जिस तरह का उत्साह आज दिख रहा है इससे पहले यहां कभी नहीं हुआ है.

प्रधानमंत्री मोदी ने उन लोगों को धन्यवाद कहा जो शांति की दिशा में काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस धरती पर हिंसा को लौटने नहीं देना है. यहां किसी का खून नहीं बहेगा.

उन्होंने कहा, ‘जो पहले बंदूक लेकर घूमते थे वो आज मुख्यधारा से जुड़ गए हैं. ऐसे लोगों की मांओं का आशीर्वाद मुझे मिल रहा है. मैं न्यू इंडिया के संकल्प में आप सभी का, नार्थ ईस्ट को अभिनंदन करता हूं.’

बोडो समझौते से जुड़े लोगों को धन्यवाद देते हुए मोदी ने कहा, ‘पांच दशकों के बाद बोडोलैंड मूवमेंट से जुड़े लोगों को सम्मान मिला है. हर पक्ष ने विकास और समृद्धि के लिए हिंसा पर लगाम लगाई है. उन्होंने कहा कि सारे टीवी चैनल आप पर अपना कैमरा लगाए हुए हैं क्योंकि आपने शांति के रास्ते को एक नई ताकत दी है. इस आंदोलन से जुड़ी प्रत्येक मांग समाप्त हो चुकी है. 1993 और 2003 में जो समझौता हुआ था उसके तहत पूरी तरह शांति स्थापित नहीं हो पाई थी. लेकिन अब केंद्र और राज्य सरकार ने जो काम किया है उसके बाद कोई मांग नहीं बची है. अब विकास ही पहली और अंतिम काम रह गया है.’


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मोदी ने कहा, ‘आपके बच्चों का उज्ज्वल भविष्य, आशा-आकांक्षाओं के लिए मुझसे जो कुछ भी होगा उसके लिए मैं कुछ भी करूंगा. उन्होंने कहा कि आपने जो रास्ता चुना है उससे पूरा हिंदुस्तान आपका दिल जीत लेगा. इस समझौते के तहत बोडो टेरिटोरियल काउंसिल का दायरा बढ़ाया गया है. इससे मानवता और शांति की जीत हुई है.’

समझौते के तहत एक कमिशन भी बनाया जाएगा. इस क्षेत्र को 1500 करोड़ का पैकेज दिया जाएगा. जिससे कोकराझार जैसे इलाकों को फायदा होगा. इस क्षेत्र में राजनीतिक, शैक्षणिक, सामाजिक हर तरह से प्रगति होने वाली है. उन्होंने कहा कि असम सरकार ने बोडो संस्कृति को लेकर कुछ अहम फैसले लिए हैं. केंद्र और राज्य सरकार मिलकर सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के मंत्र को मजबूत करेंगे.

मोदी ने कहा कि देश मुश्किल से मुश्किल चुनौतियों का समाधान चाहता है. पहले राजनीतिक और सामाजिक चुनौतियों की वजह से मुद्दों को नजरअंदाज किया जाता था. जिससे आतंकवाद को बढ़ावा मिला. नार्थ ईस्ट के मुद्दों को भी कोई हाथ लगाने की कोशिश नहीं कर रहा था. हिंसा को बढ़ावा मिलने दिया गया. इस कारण यहां के लोगों का संविधान और लोकतंत्र से विश्वास कम होने लगा था. लाखों लोग बेघर हुए, हजारों लोगों की हत्या हुई. ये समस्या पहले की सरकार समझती थी लेकिन इसका समाधान करने की दिशा में कभी भी कुछ नहीं किया गया.

मोदी ने कहा कि जब राष्ट्र हित सर्वोपरि हो तब मुद्दों को छोड़ा नहीं जाता इसलिए हमने नए तरीके से काम करना शुरू किया. यहां के लोगों की उम्मीदों को और उन्हें अपना मानते हुए संवाद किया. इसी का नतीजा है कि नार्थ ईस्ट में पहले एक हजार से ज्यादा लोग प्रत्येक साल उग्रवाद के कारण जान गंवाते थे अब वो समाप्ति के कगार पर है.

मोदी ने कहा, ‘ये परिवर्तन जो हुआ है ये पांच सालों के अथक परिश्रम का फल है. पहले यहां के राज्यों को दिल्ली से काफी दूर समझा जाता था लेकिन अब दिल्ली यहां के दरवाजे पर आ जाती है. मैंने आपके बीच आकर आपसे जुड़ रहा हूं.’

उन्होंने कहा, ’13वें वित्तीय आयोग के दौरान नार्थ ईस्ट को कुल मिलाकर 90 हज़ार करोड़ रुपए मिलते थे लेकिन हमारी सरकार में यानी की 14 वें वित्तीय आयोग में 3 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा पैसा इस क्षेत्र को मिला.’

‘नार्थ ईस्ट में नए हाइवे बनाए गए हैं, रेल लिंक बनाई गई हैं. इस क्षेत्र में व्यापक जल संसाधन है लेकिन 2014 तक यहां सिर्फ एक वाटर-वे था. अब एक दर्जन से ज्यादा वाटर-वे बनाए गए हैं. पिछले प्रोजेक्ट को पूरे किए जा रहे हैं. पर्यटन के साथ रोजगार को बढ़ावा देने का काम किया जा रहा है.’


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मोदी ने कहा, ‘अलगाव को लगाव में बदलने की कोशिश की गई है. जब ऐसा होता है तो लोग एक साथ काम करने के लिए तैयार हो जाते हैं.’

मोदी ने कहा कि कुछ दिनों पहले ही त्रिपुरा और असम के बीच ब्रू-रियांग समझौता हुआ है. ब्रू समुदाय के लोगों को अब अपनी पहचान मिल सकेगी. लोगों में एक भावना पैदा हुई है कि सबके साथ रहकर ही उनकी भलाई है. लोगों ने हिंसा का रास्ता छोड़कर अहिंसा का रास्ता चुना है. हिंसा छोड़ अहिंसा के मार्ग पर चलने के लिए असम एक स्थली बनी है.’

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