अयोध्या : अयोध्या में राम मंदिर के लिए ट्रस्ट के गठन के साथ ही विवाद शुरू हो गया है. दरअसल ट्रस्ट में राम मंदिर आंदोलन से जुड़े प्रमुख संतों को जगह नहीं दी गई है जिसके बाद सारे संत खिलाफ हो गए हैं और एकजुट होकर आवाज़ बुलंद कर रहे हैं. उनका कहना है कि मंदिर निर्माण के लिए उन्होंने पूरा जीवन लगा दिया लेकिन जब मंदिर बनने की बारी आई तो उन्हें ही दरकिनार किया जा रहा है. इन संतो की अब आखिरी उम्मीद किसी तरह से दो नामित सदस्यों में शामिल होने की है जिसका चयन ट्रस्ट के मौजूदा सदस्य ही करेंगे.
नृत्य गोपाल दास का अध्यक्ष बनने का सपना ‘अधूरा’
राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास को पहले इस ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाए जाने की संभावनाएं थीं लेकिन राम का केस लड़ने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता के. पाराशरण को ट्रस्ट का अध्यक्ष बना दिया गया. इससे नाराज़ होकर नृत्य गोपालदास ने आरोप लगाया है कि अयोध्या के संतों का ट्रस्ट के ‘माध्यम’ से अपमान किया गया है. उन्होंने मीडिया से यह भी कहा, ‘जिन्होंने राम मंदिर निर्माण के लिए अपना पूरा जीवन कुर्बान कर दिया, उन्हें इस ट्रस्ट में कोई जगह नहीं मिली. ये अयोध्या के संत-महंतों की अवहेलना है.’
दरअसल नृत्य गोपाल दास पहले बयान दे चुके थे कि अयोध्या में नए ट्रस्ट की जरूरत ही नहीं जब वे इतने साल से राम लला की सेवा कर रहे हैं तो वह ही ये जिम्मेदारी आगे भी संभालेंगे.
नाम न शामिल होने पर नृत्य गोपाल दास ने संतो गुरुवार दोपहर 3 बजे अयोध्या के संतों की बैठक बुला ली लेकिन बाद में अयोध्या के डीएम, एसएसपी व बीजेपी के कुछ स्थानीय नेता उनसे मिलने पहुंचे जिसके बाद बैठक को टाल दिया गया.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, बैठक से पहले महंत नृत्य गोपाल दास को गृह मंत्री अमित शाह की ओर से आश्वासन दिया गया जिसके बाद ये बैठक टाली. अब उनके समर्थकों का कहना है कि नामित सदस्य के तौर पर उन्हें चुना जाएगा.
योगी के करीबी होने के बावजूद नहीं मिली जगह
दिगंबर अखाड़े के महंत सुरेश दास को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का करीबी माना जाता है लेकिन इसके बावजूद उन्हें ट्रस्ट में जगह नहीं दी गई. उन्होंने दिप्रिंट से कहा कि अयोध्या के साधु संतों का अपमान किया गया है.
सुरेश दास के मुताबिक, ‘मंदिर बनने की खुशी हर अयोध्या वासी को है लेकिन ट्रस्ट के सदस्य बनाए जाने से पहले अयोध्या के साधु संतों से इस पर विमर्श नहीं किया गया. हमारे गुरू रामचंद्र परमहंस ने अपना पूरा जीवन इस आंदोलन को दे दिया था. मैंने भी मंदिर के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी लेकिन जब ट्रस्ट बनने की बारी आई तो दिगंबर अखाड़ा को नजरअंदाज कर दिया गया.’
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बता दें कि सुरेश दास को सीएम योगी का करीबी माना जाता है. वह बताते हैं कि जब भी योगी अयोध्या आते हैं तो उनके आश्रम जरूर आते हैं. सुरेश दास के मुताबिक, ‘वह सीएम योगी का बेहद सम्मान करते हैं और जल्द ही उनसे मुलाकात कर अपना पक्ष रखेंगे.’
वीएचपी के चंपत राय भी थे दावेदार
अयोध्या के विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता शरद शर्मा ने दिप्रिंट से कहा, ‘अब ये देखना होगा कि न्यास से ट्रस्ट में किसे जगह मिलती है. हमें उम्मीद है कि दोनों सदस्य वीएचपी से होंगे.’
बता दें कि वीएचपी के उपाध्यक्ष चंपत राय का नाम भी ट्रस्टी के रूप में आगे चल रहा था. वह काफी समय से आंदोलन से जुड़े रहे हैं. अब देखना है कि किसे चुना जाता है, दावेदार तो कई हैं.
बिना सलाह के बना दिया गया ट्रस्ट
मणिराम दास छावनी के महंत कमल नयन दास ने कहा, ‘बिना वैष्णव समाज को संतों की सलाह लिए ये ट्रस्ट बनाया गया है. हम इस ट्रस्ट को मानने के लिए तैयार नहीं हैं क्योंकि ट्रस्ट में अयोध्या के संतों का अपमान किया गया है.’
वहीं ट्रस्ट में शामिल हुए अयोध्या राजघराने के राजा बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र को उन्होंने राजनीतिक व्यक्ति बताया. उन्होंने आगे कहा, बिमलेंद्र मिश्रा तो बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं. इनका राम जन्म भूमि आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं है. ऐसे लोगों को जगह दी गई तो अयोध्या के संतं को क्यों नहीं चुना गया है.’
श्रीराम वल्लभ कुंज के अधिकारी राजकुमार दास ने दिप्रिंट से कहा कि अगर अयोध्या के प्रमुख संतों से चर्चा कर ट्रस्ट का गठन किया जाता तो ये विवाद ही नहीं खड़ा होता.
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मनाने में सरकार जुटी
ट्रस्ट के गठन के बाद नाराज संतो को मनाने की कोशिश में अब सरकार जुट गई है. भाजपा के अयोध्या विधायक वेद प्रकाश गुप्त अपने साथ मेयर ऋषिकेश उपाध्याय व महानगर भाजपा अध्यक्ष अभिषेक मिश्र को लेकर गुरुवार को तमाम संतों के यहां गए और उनका गुस्सा शांत कराने का प्रयास किया.
हालांकि, सरकार से जुड़े एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, ‘संतो की अंदरूनी राजनीति को देखते हुए सरकार ने साफ छवि वाले लोगों को ट्रस्ट का सदस्य बनाया है.सरकार पूरी पारदर्शिता के साथ मंदिर निर्माण का कार्य चाहती है.’
अभी सिर्फ तीन सदस्य अयोध्या के
बता दें कि फिलहाल ट्रस्ट में अयोध्या से तीन सदस्य हैं इनमें बिमलेंद्र मोहन मिश्रा जो कि अयोध्या राज घराने के वंशज हैं. इसके अलावा वह रामायण मेला संरक्षक समिति के सदस्य भी हैं. उन्हें मंडलायुक्त एमपी अग्रवाल की जगह रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का रिसीवर भी बनाया गया है. अयोध्या के होम्पयोपैथिक डॉक्टर अनिल मिश्रा को शामिल किया गया है. वह आरएसएस के अवध प्रांत के प्रांत कार्यवाह भी हैं.
वहीं यूपी के होम्योपैथी मेडिसिन बोर्ड के रजिस्ट्रार हैं. इन्होंने 1992 में राम मंदिर आंदोलन में पूर्व सांसद विनय कटियार के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इसके अलावा निर्मोही अखाड़ा के महंत दिनेंद्र दास को शामिल किया गया है. वह निर्मोही अखाड़ा की ओर से अयोध्या बैठक के प्रमुख रहे हैं. पिछले कई साल से राम मंदिर मुद्दे पर निर्मोही अखाड़ा का पक्ष रखते आए हैं. अयोध्या में अब सबको इंतजार दो नामित सदस्यों का है जिन्हें बोर्ड ऑफ ट्रस्टी द्वारा किया जाएगा.