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Thursday, 6 June, 2024
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राम मंदिर ट्रस्ट में अयोध्या के राजा, हिंदू पक्ष के वकील को जगह, संतों को नामित होने की उम्मीद

'श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' संबंधित जारी की गई गजट अधिसूचना में 15 सदस्यों के नाम हैं. अयोध्या में संतों को अब नामित सदस्य होने का इंतजार है.

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नई दिल्ली/लखनऊ: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए पीएम मोदी की बुधवार को राम मंदिर ट्रस्ट की घोषणा के बाद सरकार ने ‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ संबंधित गजट अधिसूचना जारी की. इसमें शामिल 15 सदस्यों का नाम सामने आए हैं. फिलहाल अयोध्या से तीन नाम शामिल हैं.

विवाद में हिंदू पक्षकार रहे के. परासरण को ट्रस्टी बनाया गया है. परासरण का दिल्ली के ग्रेटर कैलाश स्थित उनके घर में ट्रस्ट का कार्यालय होगा.

वहीं इससे पहले पीएम मोदी ने बुधवार को राम मंदिर ट्रस्ट की घोषणा की. इसके बाद गृहमंत्री अमित शाह ने एक दलित संत सहित 15 सदस्यों के इसमें शामिल होने की बात कही है.


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अयोध्या से तीन नाम

विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्रा: मिश्रा अयोध्या राज घराने के वंशज हैं. इसके अलावा रामायण मेला संरक्षक समिति के सदस्य भी हैं. वह बसपा के टिकट पर राजनीति में भी किस्मत अपना चुके हैं. उन्होंने 2009 में लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन हार गए. मंडलायुक्त एमपी अग्रवाल ने रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन होते ही नवगठित ट्रस्ट में शामिल किए गए अयोध्या के राजा विमलेंद्र मोहन मिश्र को बुधवार की शाम अधिग्रहित परिसर की भूमि का अधिकार पत्र सौंप दिया.

डॉ. अनिल मिश्र: यह होम्योपैथिक डॉक्टर हैं. फिलहाल आरएसएस के अवध प्रांत के प्रांत कार्यवाह भी हैं. वहीं यूपी के होम्योपैथी मेडिसिन बोर्ड के रजिस्ट्रार हैं. इन्होंने 1992 में राम मंदिर आंदोलन में पूर्व सांसद विनय कटियार के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

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महंत दिनेंद्र दास: अयोध्या के निर्मोही अखाड़े के सदस्य हैं. वह निर्मोही अखाड़ा की ओर से अयोध्या बैठक के प्रमुख रहे हैं. पिछले कई साल से राम मंदिर मुद्दे पर निर्मोही अखाड़ा का पक्ष रखते आए हैं.

अयोध्या में अब संतों को नामित सदस्य घोषित होने का इंतजार

नाम घोषित होने से पहले रामजन्मभूमि न्यास अध्यक्ष महंत नृत्य गोपालदास, दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेश दास समेत तमाम संतों के नाम शामिल होने की उम्मीद की जा रही थी लेकिन अब सबको इंतजार दो नामित सदस्यों का है जिन्हें बोर्ड ऑफ ट्रस्टी द्वारा किया जाएगा. फिलहाल अयोध्या में संतों को अब नामित सदस्य होने का इंतजार है.

अधिवक्ता पारासरण का घर होगा राम मंदिर ट्रस्ट का पंजीकृत कार्यालय

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए गठित ट्रस्ट ‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ का पंजीकृत कार्यालय जाने-माने वरिष्ठ अधिवक्ता एवं भारत के अटॉर्नी जनरल रहे के. पारासरण के दिल्ली स्थित घर में होगा. पारासरण ने अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्वामित्व विवाद मामले में हिन्दू पक्षों की ओर से पैरवी की थी.

ट्रस्ट के पते का उल्लेख केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा बुधवार को जारी अधिसूचना में किया गया.

अधिसूचना में कहा गया, ‘…‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ नाम से एक ट्रस्ट का पंजीकरण इसके पंजीकृत कार्यालय आर-20, ग्रेटर कैलाश, पार्ट-1, नयी दिल्ली, 110048 के साथ हुआ है.’

उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन की वेबसाइट के अनुसार यह पारासरण का आवासीय पता है.

अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्वामित्व विवाद मामले में पारासरण हिन्दू पक्षों की ओर से अग्रणी अधिवक्ता थे  उन्होंने ‘रामलला विराजमान’ के पक्ष में उच्चतम न्यायालय में समूची विवादित भूमि के अधिग्रहण के लिए सफलतापूर्वक दलीलें रखीं. पारासरण की आयु 92 साल है.

उन्होंने शीर्ष अदालत से कहा था कि उसे अपने समक्ष आए सभी मामलों में ‘पूर्ण न्याय’ करना चाहिए और यह उनकी अंतिम इच्छा है कि उनके मरने से पहले मामला खत्म हो जाए.

पांडित्य निपुण हिन्दू विद्वान पारासरण अपनी दलीलों में प्राय: हिन्दू धर्म ग्रंथों से उदाहरण देते थे. उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश एवं मद्रास उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजय किशन कौल ने पारासरण को भारतीय बार का पितामह करार देते हुए कहा था कि उन्होंने अपने ‘धर्म’ से समझौता किए बिना कानून में अगाध योगदान दिया.


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पारासरण ने 1958 में शीर्ष अदालत में अपनी प्रैक्टिस शुरू की थी.

आपातकाल के दौरान वह तमिलनाडु के महाधिवक्ता थे और 1980 में उन्हें भारत का सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया गया। उन्होंने 1983 से 1989 तक भारत के अटॉर्नी जनरल के रूप में अपनी सेवा दी।

अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग सरकार ने उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया था और मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग-1 सरकार ने उन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया तथा उन्हें उच्च सदन के लिए भी मनोनीत किया.

तमिलनाडु के श्रीरंगम में 1927 में जन्मे पारासरण के पिता केशव अयंगर अधिवक्ता और वैदिक विद्वान थे जिन्होंने मद्रास उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में प्रैक्टिस की.

पारासरण के तीन पुत्र-मोहन, सतीश और बालाजी भी अधिवक्ता हैं.

(न्यूज एजेंसी भाषा के इनपुट्स के साथ)

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