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Sunday, 24 November, 2024
होमदेश'एलआईसी की हिस्सेदारी बेचना देशहित में नहीं', केंद्र सरकार इस फैसले पर दोबारा विचार करे

‘एलआईसी की हिस्सेदारी बेचना देशहित में नहीं’, केंद्र सरकार इस फैसले पर दोबारा विचार करे

भारतीय जीवन बीमा निगम के कर्मचारी संगठनों (ऑल इंडिया एलआईसी इम्पलोई फेडरेशन) द्वारा मंगलवार को एक घंटे की वॉक आउट हड़ताल बुलाई गई. जिसमें केंद्र सरकार के निजीकरण के फैसले का विरोध किया गया.

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नई दिल्ली: भारतीय जीवन बीमा निगम के कर्मचारी संगठनों (ऑल इंडिया एलआईसी इम्पलोई फेडरेशन) द्वारा मंगलवार को एक घंटे की वॉक आउट हड़ताल बुलाई गई. केंद्र सरकार के एलआईसी में आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के जरिए हिस्सेदारी बेचने के विरोध में यह हड़ताल बुलाई गई थी. जिसमें सरकार को फैसले पर दोबारा विचार करने की मांग की गई.

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को 2020-21 के लिए बजट प्रस्तुत करते हुए ये घोषणा की थी कि सरकार एलआईसी में आईपीओ के जरिए हिस्सेदारी की बिक्री करेगी. वर्तमान में एलआईसी पूरी तरह से सरकारी कंपनी हैं जिसमें केंद्र की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी है.

इंश्योरेंस कर्मचारी असोसिएशन के सेंट्रल ज़ोन के अध्यक्ष एन चक्रवर्ती ने कहा, ‘बजट में एलआईसी को शेयर मार्केट में सूचीबद्ध करने का फैसला किया गया है. इसी के खिलाफ आज देशभर में एलआईसी के अधिकारियों और कर्मचारियों ने एक घंटे का वॉक आउट हड़ताल किया.’

उन्होंने कहा, ‘इस कंपनी को इस तरह से बेच देना सरकार के हित में नहीं है, देश के हित में भी नहीं है और न ही इसके कर्मचारियों और अधिकारियों के हित में है. इसलिए हम इसका विरोध कर रहे हैं.’

नोटबंदी-जीएसटी से हुए नुकसान की भरपाई एलआईसी को बेचकर हो रही है

एन चक्रवर्ती ने कहा कि वर्तमान में एलआईसी की मार्केट वैल्यूशन 8 से 10 लाख करोड़ के बीच है. अगर सरकार इसका 10 प्रतिशत हिस्सा भी बेचना चाहती है तो उन्हें इससे 80 हजार करोड़ रुपए से लेकर 1 लाख करोड़ रुपए के बीच पैसा मिलेगा.

मुंबई स्थित एलआईसी मुख्यालय | फोटो : एलआईसीइंडिया.इन

उन्होंने कहा, ‘ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि नोटबंदी और जीएसटी की वजह से टैक्स कलेक्शन काफी कम हो गया है. जो एफआरबीएम एक्ट बनाया गया है जिसके तहत वित्तीय घाटा 3.3 प्रतिशत तक रहना चाहिए लेकिन अभी जो सरकार ने बजट में घोषणा की है उसमें 3.8 प्रतिशत का अनुमान लगाया गया है.’


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वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा था कि शेयर बाज़ार में सूचीबद्धता से एलआईसी के संचालन में पारदर्शिता बढ़ाने में मदद मिलेगी और बाजार का विस्तार भी होगा. उन्होंने कहा था, ‘ सरकार ने (एलआईसी को सूचीबद्ध कराने का) एक विचार प्रस्तुत किया है. ब्योरा बाद में आएगा और यह एलआईसी और इसके पालिसीधारकों के हक में ही होगा.’

सरकार ने अगले वित्तवर्ष 2020-21 में 2.10 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य रखा है. जिसमें से करीब आधा पैसा एलआईसी और आईडीबीआई बैंक के शेयरों की बिक्री से आ सकता है. एलआईसी के पूरे के पूरे शेयर अभी सरकार के हाथ में है. आईडीबीआई बैंक में सरकार का हिस्सा 46.5 प्रतिशत है.

वित्त सचिव राजीव कुमार ने कहा था कि सूचीबद्धता के लिए कई प्रक्रियाओं को पूरा करने की जरूरत होगी. एलआईसी को सूचीबद्ध कराने के लिए कुछ विधायी बदलावों की भी जरूरत होगी.

उन्होंने कहा था, ‘हम सूचीबद्ध की प्रक्रिया का पालन करेंगे. विधि मंत्रालय के साथ विचार विमर्श में जरूरी विधायी बदलाव किए जाएंगे. इसकी प्रक्रिया हमने पहले ही शुरू कर दी है. अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में सूचीबद्धता की बात तर्कसंगत लगती है.’

‘एलआईसी सरकार को संकट के समय उबारती है’

एलआईसी देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी है. एन चक्रवर्ती ने कहा, ‘जब सरकार संकट में आती है तो एलआईसी उनकी सहायता करती है. एलआईसी के पास कुल परिसंपत्तिया 31 लाख करोड़ से ज्यादा की है. जब एलआईसी बनी थी तब सरकार ने 5 करोड़ रुपए इसमें लगाए थे तब से लेकर आज तक कंपनी ने सरकार को फायदा ही दिया है.’

वो बताते हैं, ‘इस साल एलआईसी ने सरकार को 2611 करोड़ रुपए का डिविडेंट दिया है. अभी तक जो सरकार को डिविडेंट दिया गया है वो 26 हज़ार करोड़ रुपए से ज्यादा का हो गया है. एलआईसी एक प्रोफेटमैंकिंग कंपनी है.’

उन्होंने बताया, ‘एलआईसी का शेयर मार्केट में 4 लाख करोड़ से ज्यादा का निवेश है. कंपनी सरकार की योजनाओं में निवेश करती है. रेलवे में हर साल 20 हजार करोड़ रुपए का एलआईसी निवेश करती है.’

‘सरकार को पैसे की जरूरत इसलिए वो एलआईसी को बेच रही है’

बजट में जब एलआईसी के निजीकरण की बात कही गई तो उसके बाद से ही इससे जुड़े लोगों के बीच एक डर बन गया है कि उनके पैसे का क्या होगा. सोशल मीडिया में लोगों ने सरकार के इस कदम की खूब आलोचना की.

इस पर एन चक्रवर्ती का कहना है कि लोगों को डरने की जरूरत नहीं है. लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती लोगों के मन में विश्वास बनाए रखना है. हमें लोगों को बताना पड़ेगा कि एलआईसी के पास पर्याप्त पैसा है. जो विश्वास उन्होंने पहले से बनाकर रखा है उसे बनाकर रखें.


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पूरे देश में एलआईसी से 42 करोड़ लोग जुड़े हुए हैं. चक्रवर्ती ने कहा कि सरकार को खुद पैसे की जरूरत है इसलिए वो इसे बेचना चाहती है. नहीं तो हमारे पास पूंजी की कोई आवश्यकता नहीं है. एलआईसी को फायदा हो रहा है. हम लोग शेयर मार्केट से बहुत सारा पैसा कमाते हैं. इसलिए उस दिशा में कोई दिक्कत है ही नहीं.

एलआईसी को पूंजी की कोई जरूरत नहीं है. सरकार को खुद पैसे की जरुरत है इसलिए वो इसे बेचना चाहती है.

उन्होंने कहा, ‘जब तक 26 प्रतिशत किसी कंपनी की हिस्सेदारी नहीं बिकती है तब तक उसमें किसी प्रकार का बड़ा हस्तक्षेप नहीं होता है. आज की स्थिति में ऐसा कुछ नहीं होने वाला है.’

‘पूरी प्रक्रिया में काफी समय लगेगा’

चक्रवर्ती ने कहा कि कंपनी के निजीकरण में अभी काफी समय लगेगा. पहले एलआईसी एक्ट में बदलाव करना पड़ेगा जिसे संसद द्वारा किया जाना है.

लोकसभा में तो सरकार के पास बहुमत है लेकिन राज्य सभा में वो अपने बलबूते ये पास नहीं करा पाएगी. इसके लिए उन्हें सहयोगियों की जरूरत होगी. हमारी योजना है कि हम उन सहयोगी पार्टियों के पास जाए जो उनकी मदद कर सकती है और उन्हें एलआईसी के बारे में बताएं.

इसके बारे में हम नेताओं, सांसदों से मिलेंगे और अपनी मांगों को रखेंगे. आने वाले समय में इसे लेकर हम एक दिन की हड़ताल भी कर सकते हैं. फिलहाल अभी हमारे पास पर्याप्त समय है.

सरकार ने अगले वित्त वर्ष में विनिवेश से 2.10 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है. सरकार की मंशा एलआईसी और आईडीबीआई बैंक में हिस्सेदारी बिक्री से 90,000 करोड़ रुपये जुटाने का है.

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