पुणे: महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने रविवार को एल्गार परिषद मामला एनआईए को सौंपने पर मोदी सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार 2017 में एल्गार परिषद मामले की जड़ में जाने की कोशिश कर रही थी तभी केंद्र ने अचानक मामले को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दिया.
इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने केंद्र को शासन के संघीय ढांचे की भी याद दिलाई.
10 रुपए में दोपहर का खाना मुहैया कराने के लिए शिवसेना-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा)- कांग्रेस की महत्वाकांक्षी ‘शिव भोजन’ योजना शुरू करने के लिए आयोजित कार्यक्रम से इतर पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि केंद्र और राज्य को अपना-अपना काम करना चाहिए. केंद्र को तब हस्तक्षेप करना चाहिए जब मामला राष्ट्रीय स्तर का हो.’
उल्लेखनीय है कि पुणे पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि क्या 31 दिसंबर 2017 को एल्गार परिषद की ओर से आयोजित संगोष्ठी में भड़काऊ भाषण दिए गए थे, जिसकी वजह से अगले दिन कोरेगांव भीमा में जातीय हिंसा हुई.
पुलिस ने जांच के दौरान ‘शहरी नक्सली’ शब्द का इस्तेमाल तब किया जब तेलुगू कवि वरवरा राव और सुधा भारद्वाज सहित नौ कार्यकर्ताओं और वकीलों को गिरफ्तार किया गया.
कोरेगांव-भीमा हिंसा का मामला एनआईए को सौंपे जाने के सवाल पर पवार ने कहा, ‘हाल में मैंने राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख और उनके उपमंत्री सतेज पाटिल से मुलाकात की थी. हमें जांच अधिकारियों ने मामले से अवगत कराया था. मेरा मानना है कि वे सच्चाई सामने लाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे थे.’
उन्होंने कहा, ‘किसी भी अप्रिय घटना की जांच का मूल उद्देश्य घटना की निष्पक्ष जांच होती है, उसके जड़ तक जाना होता है, तथ्यों की जांच करना और सांप्रदायिक टकराव रोकना होता है. राज्य सरकार इन आधारों पर जांच करना चाहती थी लेकिन अचानक केंद्र सरकार ने मामले को अपने पास लेने का फैसला किया.’
उन्होंने कहा कि राकांपा प्रमुख शरद पवार ने पहले ही इस मामले में अपना रुख स्पष्ट कर दिया है.
शरद पवार ने पहले दावा किया था कि हिंसा की घटना भाजपा नीत सरकार की साजिश है जिसे पुलिस के साथ मिलकर अंजाम दिया गया और विशेष जांच दल (एसआईटी) से मामले की जांच कराने की मांग की.
अजित पवार ने कहा, ‘गृहमंत्री अनिल देशमुख ने भी इस मामले पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है.’
देशमुख ने केंद्र सरकार के फैसले का विरोध किया था और कहा था कि सरकार कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही है.
इस बीच, ‘शिव भोजन थाली’ योजना के बारे में उपमुख्यमंत्री ने कहा कि जो होटल में खाना खा सकते हैं, उन्हें योजना का लाभ नहीं लेना चाहिए क्योंकि यह गरीबों के लिए है.
उन्होंने कहा कि यह योजना गठबंधन सरकार की न्यूनतम साझा कार्यक्रम के अंतर्गत है.
वहीं राकांपा के वरिष्ठ नेता और लोकसभा सदस्य सुनील तटकरे ने शिरडी में कहा कि मामला एनआईए को सौंपने से पहले केंद्र सरकार को राज्य सरकार से परामर्श करना चाहिए था.