नई दिल्ली: चीन में फैले कोरोनावायरस के संक्रमण के खतरे से भारत अछूता नहीं है. भारत में इसका संक्रमण फैलने से रोकने के लिये सरकार ने युद्ध स्तर पर तैयारियां की हैं.
इस वायरस के बारे में अभी तक प्राप्त जानकारी के मुताबिक यह जानवरों से मानव शरीर में प्रवेश करता है लेकिन मनुष्यों से मनुष्यों में इसके संक्रमण का अभी तक प्रमाण नहीं है. इस बारे में भारत सरकार के राष्ट्रीय वेक्टरजनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के सलाहकार डॉ. एसी धारीवाल ने बताया.
चीन में कोरोनावायरस के संक्रमण से भारत किस हद तक खतरे की जद में है इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि चीन भारत का पड़ोसी देश होने के अलावा चीन से नेपाल एवं पाकिस्तान जाने वालों की काफी अधिक संख्या को देखते हुये इन पड़ोसी देशों में इस वायरस के संक्रमण के खतरे से भारत अछूता नहीं है. यही वजह है कि सरकार ने पिछले तीन दिनों में इसके संक्रमण को रोकने के लिये युद्धस्तर पर प्रयास किये हैं.
शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक चीन में सांप के जरिये यह वायरस मानव शरीर में प्रविष्ट हुआ. क्या भारत में भी पूर्वोत्तर राज्यों सहित अन्य जनजातीय क्षेत्रों में इस वायरस के खतरे की आशंका नहीं हैं? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि चीन में सांप का मांस खाना इस वायरस के संक्रमण की संभावित वजह बनने की रिपोर्ट आयी है. अब तक की अध्ययन रिपोर्टों के मुताबिक सरीसृप वर्ग के जीवों से मनुष्यों में इस वायरस के फैलने का खतरा होता है. इस बात की भी पुष्टि हो चुकी है कि यह वायरस जीव जंतुओं से मनुष्यों में फैलता है, लेकिन मनुष्यों से मनुष्यों में इसका संक्रमण होने की अभी पुष्टि नहीं हुई है. जहां तक पूर्वोत्तर राज्यों और अन्य जनजातीय क्षेत्रों में कोरोनावायरस के खतरे का सवाल है तो दूरदराज के जनजातीय इलाकों में इस तरह के संक्रमणों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिये इंटीग्रेटिड सर्विलांस प्रोग्राम चलाया जा रहा है.
तीसरे सवाल पर कि भारत में कोरोनावायरस का संक्रमण रोकने के लिये मौजूदा तंत्र कितना कारगर है? तो उन्होंने बताया कि पिछले कुछ सालों में इबोला, निपाह, जीका और सार्स वायरस तमाम देशों में फैले और भारत ने पुख्ता सर्विलांस सिस्टम की मदद से इनके संक्रमण को सफलतापूर्वक रोका. निपाह को केरल से और जिका को मध्य भारत से आगे नहीं बढ़ने दिया गया. भारत में विभिन्न देशों से फैलने वाले वायरस के संक्रमण को रोकने के लिये हवाई अड्डों सहित अन्य प्रवेश मार्गों पर मजबूत निगरानी तंत्र को हमेशा ‘अलर्ट’ पर रखा जाता है. इस बार भी संभावित मरीजों को चिकित्सा निगरानी में रख कर पुख्ता जांच की जा रही है. अभी तक किसी भी मामले की पुष्टि नहीं हुयी है. इसलिये घबराने के बजाय चौकन्ना रह कर ऐहतियात बरतने की जरूरत है.
इस वायरस के खतरे से निपटने के कारगर उपाय के सवाल पर उन्होंने बताया कि इसका असर फ्लू की तरह के लक्षणों के रूप में दिखता है. इससे जुकाम, नाक बहना, गले में दर्द और सांस लेने में तकलीफ होती है. ऐसे में मधुमेह या निमोनिया सहित अन्य बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत होती है. क्योंकि पहले से बीमार लोगों में प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है. चीन के अलावा कोरोनावायरस जापान, कोरिया और थाईलैंड में पनप चुका है, इसलिये इन देशों की यात्रा करने या यहां के यात्रियों के संपर्क में आने से बचना चाहिये.
सरकार के स्तर पर किये गये उपाय के सवाल पर उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले तीन दिनों में विदेश मंत्रालय के साथ सामंजस्य कायम कर सभी हवाईअड्डों पर निगरानी तंत्र को अलर्ट पर रखा हुआ है. चीन से आने वाले यात्रियों की पूरी जांच की जा रही है. इसके अलावा स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के मातहत पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु संस्थान सहित अन्य संक्रामक रोग निदान केन्द्रों को भी सजग किया गया है. विभिन्न देशों में वायरस के संक्रमण के खतरों से बचने के लिये भारत में अब तक किये गये उपायों के सकारात्मक परिणामों के आधार पर हम अपने निगरानी तंत्र को लेकर आश्वस्त हैं. पूरी एहतियात के साथ स्थिति पर नजर रखी जा रही है.