नई दिल्ली: राम जन्मभूमि न्यास जो कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए जमीनी स्तर पर काम करने वाली पहली ट्रस्ट के तौर पर स्थापित की गई थी – 1989 से चंदा इकट्ठा कर रही है लेकिन वर्तमान में उसके पास केवल 2 करोड़ रुपए हीं बचे हैं.
विश्व हिंदू परिषद के उपाध्यक्ष चंपत राय ने दिप्रिंट को बताया कि मंदिर के निर्माण के लिए बड़े स्तर पर जो चंदा इकट्ठा किया गया उसमें 6 करोड़ लोगों से 8.25 करोड़ रुपए इकट्ठा किया गया. ये पैसा बैंक में जमा किया गया जो बढ़कर 30 करोड़ तक पहुंच गया.
राय ने कहा कि इसमें से 28 करोड़ रुपए मंदिर निर्माण के काम में लग चुके हैं.
राय ने कहा, ‘हमारे स्वयंसेवक पिछले 30 सालों से कारसेवकपुरम में मंदिर निर्माण के लिए वर्कशॉप में काम कर रहे हैं. निर्माण से इतर हम इस फंड से कारीगरों और वास्तुकारों को भी पैसा देते हैं. अब बैंक में करीब 2 करोड़ रुपए बचे हैं.’
वीएचपी के अध्यक्ष वीएस कोकजे ने कहा, ‘इस पैसे को केंद्र सरकार द्वारा बनाई जाने वाले ट्रस्ट को सौंप दिया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने इस ट्रस्ट को बनाने का जिक्र अपने फैसले में किया है.’
कोकजे ने कहा कि अगर ट्रस्ट हम तक नहीं पहुंचता है तो हम इसे राम जन्मभूमि न्यास को दे देंगे.
न्यास का गठन वीएसपी सदस्यों द्वारा दिसंबर 1985 में किया गया था. इस ट्रस्ट ने मंदिर के डिजाइन को भी तैयार किया है.
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नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में केंद्र सरकार को कहा था कि तीन महीने में एक ट्रस्ट बनाए. इस पर अभी गृह मंत्रालय विशेषज्ञों से बात कर रहा है. इस पर काम करने वाले अधिकारी ने बताया कि जल्द हीं कोई फैसला लिया जाएगा.
‘जमा पैसे में एक भी डॉलर या यूरो नहीं है’
1989 में मंदिर बनाने का कुल खर्च 30 करोड़ के करीब अनुमान लगाया गया था.
राय ने कहा, ‘तब से लेकर इसके खर्च में कई बार इजाफा हुआ है. हम नए अनुमान के साथ अभी सामने नहीं आए हैं. जमीन के हिसाब से इसमें बढ़ोतरी हो सकती है.’
पैसा इकट्ठा करते समय राम जन्मभूमि न्यास ने लोगों से कहा था कि वो 1.25 रुपए से लेकर 10 रुपए तक दान करें.
राय ने कहा कि जो पैसा जमा किया गया और जो आज भी जमा किया जा रहा है उसमें एक भी डॉलर, यूरो और कोई अन्य करेंसी शामिल नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘जमा किए गए पैसे में विदेशी पैसा शामिल नहीं है. सारे पैसे भारतीय हैं और यहीं के बैंक में जमा है. हमने डॉलर में पैसे नहीं लिए हैं और न ही विदेशी बैंक में इसे जमा कराए हैं. ये इसलिए किया गया क्योंकि यह पैसा भारत के काम के लिए लिया गया है.’
सघन नक्काशी के साथ लाल बलुआ पत्थर में सैकड़ों बोल्डर, डिज़ाइन किए गए लकड़ी के पैनलों के साथ जिनमें बारीक डिटेलिंग है और प्रत्येक ईंट पर जय श्री राम लिखा हुआ है, पहले ही तैयार किए जा चुके हैं.
मंदिर के निर्माण पर काम कर रहे वीएचपी स्वयंसेवकों ने दिप्रिंट को बताया कि मंदिर के दो स्तरों में से पहला मंदिर पूरा हो चुका है, जबकि दूसरे स्तर पर काम शुरू हो चुका है.
कार्यशाला के प्रवेश बिंदु पर प्रस्तावित राम मंदिर का एक मॉडल भी रखा गया है, जहां निर्माण पूरा करने के लिए 200 से अधिक मजदूर हर दिन नौ घंटे काम करते हैं.
मंदिर, जिसमें 16 फीट, नक्काशीदार छत और राम लला के लिए एक विशेष सिंहासन है, में 424 नक्काशीदार खंभे होंगे, जिसमें एक विशेष क्षेत्र होगा जिसे राम कथा कुंज कहा जाएगा – जो जन्म से भगवान राम की संपूर्ण जीवन कथा को प्रदर्शित करता है.
‘एक और देशव्यापी दान अभियान के लिए तैयार’
वीएचपी अध्यक्ष कोकजे ने कहा कि संगठन सुप्रीम कोर्ट के ट्रस्ट बनाए जाने के आदेश के बाद इसके गठन का इंतजार कर रहा है.
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कोकजे ने कहा, ‘जैसे ही ये बनता है, हम इसका रुख करेंगे और मंदिर निर्माण के लिए पैसा जुटाने के लिए कहेंगे. हम लोगों से अपील करेंगे की वो पैसा दें.’
वीएचपी के एक और अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘ट्रस्ट के लिए यह बहुत मुश्किल है कि वो अकेले पैसा इकट्ठा कर पाए. हमारे पास लोग हैं जो हमारा समर्थन करेंगे.’
1989 के दान अभियान में वीएचपी के कार्यकर्ता करीब 2,75,000 गांवों, बस्तियों, शहरों के मंदिरों में गए जहां उन्होंने 6 करोड़ लोगों से मुलाकात की.
राय ने कहा, ‘अभी हमारे पास 2 करोड़ रुपए हैं. अगर हमें ट्रस्ट के द्वारा पूछा जाता है जिसका केंद्र सरकार गठन करेगी तब हम देशव्यापी दान अभियान चलाएंगे. लेकिन अभी हमें नहीं पता कि इस ट्रस्ट में कौन शामिल होगा और इस ट्रस्ट में हमारी क्या भूमिका रहेगी.
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