scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमदेशनागरिकता कानून का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों पर कसी धारा-144 की नकेल, इसके उल्लंघन पर क्या होती है सज़ा

नागरिकता कानून का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों पर कसी धारा-144 की नकेल, इसके उल्लंघन पर क्या होती है सज़ा

हर किसी को धारा-144 के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी है. लेकिन असल में ये धारा है क्या और इसके तहत क्या प्रावधान है, इसे जानना बहुत जरूरी है.

Text Size:

नई दिल्ली: देशभर में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में चल रहे प्रदर्शन में हज़ारों लोग शामिल हो रहे हैं. देश के कई शहरों में 19 दिसंबर यानी की आज संसद से पारित नए कानून के खिलाफ लोग सड़कों पर उतर आए हैं. पिछले कुछ दिनों से लोग लगातार इसके खिलाफ सरकार की आलोचना कर रहे हैं और इस कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.

ज्यादा से ज्यादा लोग इन प्रदर्शनों में शामिल ने हो इसके लिए देश के कई शहरों में धारा-144 लगा दी गई है. पिछले कई सालों से जब से कोई व्यक्ति समाज, प्रशासन, विरोध-प्रदर्शनों को समझता है तब से ये शब्द – धारा 144 हमारे जहन में है. हर किसी को इसके बारे में थोड़ी बहुत जानकारी है. लेकिन असल में ये धारा है क्या और इसके तहत क्या प्रावधान है, इसे जानना बहुत जरूरी है.

देश के कई हिस्सों में धारा 144 लगी है. यूपी, दिल्ली-एनसीआर के कई क्षेत्रों में, बंगलुरू सहित कई राज्यों में धारा 144 लगा दी गई है.

धारा -144 है क्या

धारा 144 आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की एक धारा है जिसे सुरक्षा कारणों, दंगे जैसी स्थिति में लगाया जाता है. इसके लागू होते हीं जिस क्षेत्र में इसे लगाया गया है वहां पांच और इससे ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने की मनाही हो जाती है. इसे जारी करने का आदेश जिला अधिकारी का होता है.

सुरक्षा कारणों से पिछले कुछ दिनों में ये भी देखा गया है कि धारा-144 लागू होने के साथ इंटरनेट सेवाओं पर भी रोक लगा दी जाती है. बता दें कि इस धारा के तहत प्रशासन के पास ये अधिकार है कि वो ऐसा कर सकते हैं.

जब प्रशासन को लगता है कि कोई ऐसी स्थिति उत्पन्न होने वाली है जिससे सामाजिक शांति और कानून का उल्लंघन होने जैसी स्थिति बन रही है तो इसे लागू किया जाता है.


यह भी पढ़ें : नागरिकता संशोधन कानून पर जामिया और जेएनयू से शुरू हुआ छात्रों का विरोध, देश के कई विश्वविद्यालयों में पहुंचा


सीआरपीसी के तहत धारा 144 लागू होते हीं सार्वजनिक जगहों पर लोगों द्वारा लाठी या किसी प्रकार का कोई हथियार लेकर चलने की मनाही हो जाती है. इस स्थिति में सिर्फ पुलिस और सुरक्षाकर्मियों को छूट है कि वो हथियार रख सकते हैं.

दो महीने से ज्यादा तक नहीं लग सकती धारा -144

जिस क्षेत्र में धारा-144 लगाई गई है वहां इस आदेश के जारी होने के दो महीने तक ही इसे लागू किया जा सकता है. लेकिन इस धारा के साथ एक उचित वर्गीकरण (रिज़नेबल क्लासिफिकेशन) भी है जिसके तहत अगर राज्य सरकार को लगता है कि उस क्षेत्र में जहां इसे लगाया गया है वहां कानून व्यव्यथा और शांति बहाल नहीं हो सकी है तो वो इसे अपने जारी आदेश की तारीख से अगले छह महीने तक बढ़ा सकते हैं.

इस धारा के उल्लंघन के खिलाफ क्या है सज़ा का प्रावधान

धारा-144 लगाए जाने वाले क्षेत्र में अगर पांच से ज्यादा लोग इकट्ठा होते हैं या इसका किसी भी प्रकार से उल्लंघन करते हैं तो इसके लिए सज़ा का भी प्रावधान है. इस धारा का उल्लंघन करने पर अधिकतम तीन साल की सज़ा का प्रावधान है. अगर कोई व्यक्ति पुलिस को उसके काम करने से रोकता है तो इसको लेकर भी सज़ा का प्रावधान है.

धारा-144 और कर्फ्यू में है फर्क

आम जनमानस में धारा 144 और कर्फ्यू को लेकर काफी भ्रम है. लोग दोनों को एक जैसा समझ लेते हैं. लेकिन दोनों में काफी फर्क है. धारा-144 में जहां आम जनजीवन पर ज्यादा कोई फर्क नहीं पड़ता है वहीं कर्फ्यू में कोई भी व्यक्ति अपने घर से बाहर नहीं निकल सकता है. कर्फ्यू के दौरान एक निश्चित समय के लिए छूट दी जाती है कि व्यक्ति अपना जरूरी काम बाहर जाकर कर सकें. बेहद हीं खराब स्थिति होने पर कर्फ्यू लगाई जाती है. लेकिन धारा-144 के दौरान स्कूल, कॉलेज सभी खुले होते हैं. सिर्फ निश्चित जगह पर पांच या उससे ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने की मनाही होती है.

सीआरपीसी धारा-107 और आईपीसी धारा-151 क्या है

साल 1973 में भारत में सीआरपीसी लागू हुई और पूरे देश में 1 अप्रैल, 1974 को यह लागू हुआ. इस आपराधिक प्रक्रिया संहित के धारा-107 के अनुसार मजिस्ट्रेट के पास अधिकार है कि किसी भी व्यक्ति द्वारा शांति तोड़ने और सार्वजनिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाने पर अधिकतम एक साल की सज़ा सुनाई जा सकती है.

वहीं आईपीसी की धारा-151 के तहत सार्वजनिक शांति को तोड़ने पर अधिकतम छह सालों की सज़ा और जुर्माना या दोनों हो सकते हैं.


यह भी पढ़ें : नए नागरिकता कानून को लेकर प्रदर्शन पर अपनी-अपनी ढपली, अपना-अपना राग


सीआरपीसी और आईपीसी की ये दोनों ही धाराएं जमानती हैं. इसका मतलब है कि अगर कोर्ट जमानत दे देती है तो आरोपी व्यक्ति बाहर आ सकता है.

आईपीसी अग्रेज़ी सरकार के दौरान का कानून है. आईपीसी भारत में आधिकारिक आपराधिक संहिता है. इस कोड को 1860 में पारित किया गया था और 1862 में इसे लागू किया गया था. इसके बाद इसमें काफी बार बदलाव भी किए जा चुके हैं.

ब्रिटिश सत्ता जाने के बाद भारत ने भी इसे अपना लिया है. यह कोड भारत सहित पड़ोसी देश पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी लागू है.

share & View comments