नई दिल्ली : विवादित नागरिकता (संशोधन) विधेयक संसद में पारित होने के बाद उपजे हालात को देखते हुए बांग्लादेश के विदेश मंत्री ए के अब्दुल मोमेन ने गुरुवार से शुरू होने वाला अपना भारत का तीन दिवसीय दौरा रद्द कर दिया है.
राजनयिक सूत्रों ने यह जानकारी दी.
विदेश मंत्रालय द्वारा पहले जारी सूचना के अनुसार मोमेन को गुरुवार को शाम पांच बजकर 20 मिनट पर यहां पहुंचना था.
सूत्रों ने बताया कि विधेयक के पारित होने के बाद के हालात को देखते हुए उन्होंने अपनी यात्रा रद्द की है.
वहीं अमेरिका के एक मुस्लिम सांसद ने भारत के विवादित नागरिकता संशोधन विधेयक अल्पसंख्यक मुसलमानों को दूसरे दर्जे का नागरिक बनाने की कोशिश बताया है.
नागरिकता (संशोधन) विधेयक बुधवार को राज्यसभा में पारित हो गया. इससे पहले यह विधेयक सोमवार को लोकसभा में पारित हो चुका है. इसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थी – हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है.
इसके विरोध स्वरूप असम और पूर्वोत्तर के कई राज्यों में प्रदर्शन जारी है.
कैब मुसलमानों को दूसरे दर्जे का नागरिक बनाने की कोशिश : अमेरिकी सांसद
अमेरिका के एक मुस्लिम सांसद ने भारत के विवादित नागरिकता संशोधन विधेयक पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि यह अल्पसंख्यक मुसलमानों को दूसरे दर्जे का नागरिक बनाने की कोशिश है.
सांसद आंद्रे कार्सन ने कहा, ‘यह कदम भारत में अल्पसंख्यक मुसलमानों को दूसरे दर्जे का नागरिक बनाने का एक और प्रभावी प्रयास है.’
भारत में विवादित नागरिकता संशोधन विधेयक के लोकसभा और राज्यसभा में पारित होने के बाद कार्सन ने यह बयान दिया है. इसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसम्बर 2014 तक भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों – हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है.
कार्सन ने जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने पर भी चिंता जाहिर की.
उन्होंने कहा, ‘भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने की घोषणा की थी, मैंने तब भी कश्मीर के भविष्य पर उसके असर को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की थी.’
कार्सन ने इसे एक खतरनाक कदम और अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के खिलाफ करार देते हुए कहा कि सरकार ने कश्मीर के लोगों की लोकतांत्रिक इच्छा को नजरअंदाज किया, भारतीय संवैधानिकता की समृद्ध परम्परा को कमतर किया और भारत के भविष्य को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए.
गौरतलब है कि भारत सरकार ने पांच अगस्त जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाकर उसे एक केन्द्र शासित प्रेदश बनाने की घोषणा की थी.
पाकिस्तान ने इस पर कड़ा विरोध जाहिर करते हुए, द्विपक्षीय संबंधों को कम कर भारतीय दूत को निष्कासित कर दिया था. वहीं भारत लगातार यह कहता रहा है कि यह स्पष्ट रूप से उसका आंतरिक मामला है.
कार्सन ने कहा, ‘सांसदों के क्रूर ‘कैब’ को पारित करने के साथ ही आज, हमने प्रधानमंत्री का एक और घातक कदम देखा.’