scorecardresearch
Monday, 25 November, 2024
होमएजुकेशनस्कूली शिक्षा में फंड की कमी बताकर, मोदी सरकार 3000 करोड़ रुपये की कर सकती है कटौती

स्कूली शिक्षा में फंड की कमी बताकर, मोदी सरकार 3000 करोड़ रुपये की कर सकती है कटौती

2019-20 में स्कूल शिक्षा विभाग को 56,536 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गई, जिसमें वित्त मंत्रालय 3,000 करोड़ रुपये की कटौती कर सकती है.

Text Size:

वर्ष 2019-20 में स्कूल शिक्षा विभाग के लिए 56536 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गई थी, जिसमें से वित्त मंत्रालय द्वारा 3000 करोड़ रुपये की कटौती किए जाने की संभावना है. वित्तीय आवंटन में इस प्रस्तावित कटौती के कारण स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा संचालित कई परियोजनाओं के प्रभावित होने की आशंका है.

द प्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार गिरते राजस्व की समस्या से जूझ रही नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा संभावित ‘धन की कमी’ के कारण स्कूल शिक्षा बजट में 2019-20 के लिए आवंटित बजट मे से करीब 3000 करोड़ रुपये की कटौती किए जाने की संभावना है, मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय – जो शिक्षा विभाग की भी देखरेख करता है – में कार्यरत में उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्रालय ने इस प्रस्तावित कटौती के पीछे धन की कमी का हवाला दिया है.

ज्ञात हो कि वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए स्कूल शिक्षा विभाग को 56536.36 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गई थी. सूत्रों ने बताया है कि फंड में होने वाली इस कटौती की चर्चा करीब दो सप्ताह पहले एचआरडी और वित्त मंत्रालयों के अधिकारियों के बीच हुई बैठक में की गई थी. मंत्रालय से जुड़े एक सूत्र ने कहा, ‘बैठक के दौरान वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि उन्हें स्कूली शिक्षा के बजट में से 3000 करोड़ रुपये कम करने होंगे.’

अब मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक अपने अन्य आला अधिकारियों के साथ वित्त मंत्रालय को पूरा फंड उपलब्ध कराने के लिए राज़ी करने का प्रयास कर रहे हैं.


यह भी पढ़ें: पिछले पांच साल में देश के 10 आईआईटी के 27 विद्यार्थियों ने की खुदकुशी


मंत्रालय के ही एक अन्य स्रोत ने हमें बताया कि ‘(एचआरडी) मंत्रालय पूरी राशि जारी करने के लिए उनपर (वित्त मंत्रालय) जोर दे रहा है क्योंकि स्कूल शिक्षा विभाग के पास फंड जुटाने का कोई दूसरा माध्यम नहीं है. उच्च शिक्षा विभाग के पास हेफ़ा (उच्च शिक्षा वित्त एजेंसी) जैसी अन्य संस्थाएं हैं, जिसके माध्यम से वे धन जुटा सकते हैं, लेकिन स्कूली शिक्षा विभाग के पास ऐसा कोई साधन नहीं है,’

हालांकि प्रस्तावित कटौती के बारे में पूछे जाने पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता ने द प्रिंट को बताया कि, ‘यह सच नहीं है’. लेकिन मंत्रालय के हीं सूत्रों ने द प्रिंट को बताया है कि इस मामले में औपचारिक निर्णय की घोषणा अगले सप्ताह तक होने की संभावना है’

इस बारे मे वित्त मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता राजेश मल्होत्रा ​​को द प्रिंट द्वारा भेजे गये एक ईमेल का इस रिपोर्ट को प्रकाशित करने के समय तक कोई जवाब नही दिया गया था.

कई परियोजनाओं के प्रभावित होने की आशंका

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार आवंटित फंड मे कटौती से कई परियोजनाओं के बुरी तरह प्रभावित होने की संभावना है.

इस बारे मे विस्तार से बताते हुए सूत्रों ने कहा कि, ‘स्कूल शिक्षा विभाग को अपनी विभिन्न योजनाओं को चलाने के लिए धन की आवश्यकता होती है. केंद्रीय विद्यालयों और नवोदय विद्यालयों के संचालन हेतु भी धन की आवश्यकता होती है, अभी  कई शिक्षकों को उनका वेतन भी नहीं मिला है.’

सूत्र ने आगे जोड़ते हुए कहा कि, ‘अगर आवंटित राशि में से 3000 करोड़ रुपये काट लिए जाते हैं, तो हमारे लिए यह जानना भी कठिन है कि क्या और कितना नुकसान होगा. इसलिए, हम वित्त मंत्रालय से अनुरोध कर रहे हैं कि वह हमें पूरा बजट दें.’

स्कूल शिक्षा विभाग को आवंटित अधिकांश धन का उपयोग समग्र शिक्षा अभियान जैसी केंद्र सरकार की योजनाओं को चलाने के लिए किया जाता है, जिसका उद्देश्य ‘स्कूली शिक्षा और समान शिक्षण परिणामों के लिए समान अवसरों के सन्दर्भ में स्कूलों की प्रभावशीलता में सुधार करना’ है.

पिछले 4 वर्षों के बजट आवंटन के आंकड़ों से उभरती तस्वीर

स्कूल शिक्षा विभाग के लिए आवंटित किए जाने वाले बजट में पिछले तीन वर्षों में लगभग 9000 करोड़ रुपये से अधिक की वृद्धि हुई है. वर्ष 2017-18 में लगभग 46000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2019-20 में यह 56536 करोड़ रुपये तक जा पहुंचा था.


यह भी पढ़ें: बंद होने की कगार पर खड़े महाराष्ट्र के सौ साल पुराने स्कूल को मिला ‘जीवनदान’


हालांकि पिछले चार वर्षों में संशोधित अनुमान या तो लगभग एक समान रहे या उनमे केवल मामूली रूप से वृद्धि दर्ज की गई. बजट अनुमान मे आवंटित राशि इस बात पर आधारित होती है कि किसी भी वित्तीय वर्ष में किसी भी मंत्रालय की वास्तविक आवश्यकता क्या है, दूसरी और संशोधित अनुमान वह राशि है जो मंत्रालय उस वर्ष के दौरान वास्तविक रूप से खर्च करता है.

वित्तीय वर्ष 2016-17 मे स्कूली शिक्षा का बजट अनुमान 43554 करोड़ रुपये था, जबकि संशोधित अनुमान के अनुसार यह राशि 43896 करोड़ रुपये थी. 2017-18 में, बजट अनुमान 46356 करोड़ रुपये और संशोधित अनुमान 47008 करोड़ रुपये था और 2018-19 में 50,000 करोड़ रुपये के बजट अनुमान के विरुद्ध संशोधित अनुमान 50113 करोड़ रुपये था.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

share & View comments