दिल्ली की हवा पर ज्यूडिशियल एक्टिविज़्म 1985 में एमसी मेहता की जनहित याचिका के साथ शुरू हुआ था. इसने अच्छी तरह से काम किया क्योंकि यह सीएनजी, मेट्रो और नई बसें लेकर आया. लेकिन समय के साथ, यह एक करदाता-वित्त पोषित, स्व-सेवारत कार्यकर्ता-न्यायपालिका-मीडिया परिसर बन रह गया और हवा की गुणवत्ता भी खराब होती चली गई. यह अच्छा है कि नया केंद्रीय कानून इसे समेट देगा.