दिल्ली के सांप्रदायिक दंगों पर लोकसभा की बहस अनुमानित और निराशाजनक थी. यह एक पक्षपातपूर्ण ब्लेम-गेम था जो लोगों को यह बताने में विफल रहा कि घृणा फैलाने वाले भाषण और खून-खराबे को रोकने के लिए राजनीतिक वर्ग ने कोई आवश्यक सीख ली है. गृह मंत्री अमित शाह का दिल्ली पुलिस को क्लीन चिट दी जिससे कोई आश्वस्त नहीं होगा.