जैसा कि दिप्रिंट ने रिपोर्ट किया है, चुनाव आयोग एनसीईआरटी की सामाजिक विज्ञान पाठ्यपुस्तकों की जांच करना चाहता है, जो संस्थागत अतिरेक का स्पष्ट उदाहरण है. स्कूली बच्चों को जो पढ़ाया जाता है उसकी शुद्धता या प्रासंगिकता तय करना चुनाव आयोग के अधिकार और क्षमता से परे है. चुनाव निगरानी संस्था का ध्यान इसकी निष्पक्षता और स्वतंत्रता के बारे में बढ़ते संदेह को दूर करने पर था.