मोदी सरकार द्वारा ‘अब तक’ सीएए नियमों को टाले रखने और एनआरसी पर कोई फैसला न लेने की पीछे ध्रुवीकरण का कारण बनने वाले मुद्दों को जिंदा रखने का इसका निहित स्वार्थ झलकता है. सीएए-एनआरसी को एक-दूसरे से जोड़ना हमेशा एक खराब विचार रहा है. अहम विधानसभा चुनावों से पहले उन्हें उछालकर भाजपा लगातार आग से खेल रही है.
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