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Sunday, 22 December, 2024
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इस बार डेरा सच्चा सौदा लगाएगा किसका बेड़ा पार?

बिहार के मधेपुरा की रेवती बताती हैं, 'पिताजी जिसको आशीर्वाद दे देते हैं वही जीतता है. पिछली बार मोदी को आशीर्वाद दिया था तो वही जीते थे.’

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गर बदलना है अपनी तकदीर को तो रिझाओ उन फकीर को
क्योंकि मेरा सतगुरु वो जौहरी है, जो खोजता है कोयले में हीरों को

ये लाइनें 10वीं क्लास में पढ़ रही अलवर की प्रिया की हैं. जो अपनी मम्मी और बड़ी बहन के साथ डेरा सच्चा सौदा के 71वें स्थापना दिवस जाम ए इसां में हिस्सा लेने आई थीं. मैंने पूछा कि ये कहांं सीखीं तो वो बताती हैं, ‘किसी ने मुझे फोन में दिखाया था. पिताजी की फोटो के नीचे लिखी हुई थीं.’

गौरतलब है कि 29 अप्रैल को डेरा ने अपना स्थापना दिवस मनाया था. ये डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को सजा मिलने के बाद दूसरा बड़ा प्रोग्राम था. इससे पहले जनवरी में उनका जन्मदिन इतने जोर शोर से मनाया गया था. 29 अप्रैल को इस रैलीनुमा झांकी सी निकाली गई. यहां तैनात एक पुलिसकर्मी ने दिप्रिंट को बताया, ‘करीब 40-50 हजार लोग तो आए होंगे. ये तो नहीं कह सकते कि संख्या कम हो गई लेकिन अपना संख्या बल दिखाने के लिए इस तरह का कुछ करना पड़ता है.’


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डेरा सच्चा सौदा के स्थापना दिवस में शामिल होने आईं महिलाएं | तस्वीर- ज्योति यादव
डेरा सच्चा सौदा के स्थापना दिवस में शामिल होने आईं महिलाएं | तस्वीर- ज्योति यादव

स्थानीय पत्रकार रेशम बताते हैं, ‘इस बार ये तो पक्का है कि भाजपा को समर्थन नहीं देंगे. भाजपा के अलावा कांग्रेस ही बचती है. अशोक तंवर भी लगातार डेरा से संपर्क में हैं.’

कांग्रेस-भाजपा-जेजेपी-इनेलो, सब लगे हैं लाइन में

खबरें हैं कि दो-चार दिन में ही डेरा कमेटी के लोग समर्थन की घोषणा कर सकते हैं. ज्ञात हो कि डेरा राजस्थान, हरियाणा और पंजाब राज्यों के वोटर्स पर खासा प्रभाव रखता है. 2014 के लोकसभा व विधानसभा चुनावों में डेरा ने भाजपा को समर्थन दिया था. उससे पहले 2009 में उसने कांग्रेस को समर्थन दिया था. हालांकि डेरा सच्चा सौदा में काम करने वाले विकास का कहना है, ‘इस बार डेरा के समर्थक असमजंस में हैं. हमारी राजनीतिक भूमिका ये थी कि गांव-गांव जाकर लोगों के मूड का पता लगाया करती थी. डेरा प्रमुख गुरमीत जी के केस के बाद थोड़ा रुझान कम हुआ है. डेरा उसी को समर्थन देता है जो शहर में उसके सामाजिक कार्यों को कराने में मदद कर सके. इसलिए पार्टी की बजाय उम्मीदवार का समर्थन किया जाता है.’

डेरा सच्चा सौदा के वोटरों को जानने के लिए पंडाल के सत्संग में पहुंचने पर वहां आईं राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, यूपी और बिहार की महिला वोटर्स से मुलाकात हुई. उनके वोट डालने के तरीकों पर बातचीत की. मधेपुरा से आई रेवती अपनी लोकसभा सीट पर मतदान करके आ चुकी हैं. वो अपने 30 साथियों के साथ आई हैं. जिसमें महिलाएं और पुरुष शामिल हैं. ये लोग करीब 30 दिन यहां रहने की प्लानिंग करके आए हैं. रेवती कहती हैं, ‘पिताजी जिसको आशीर्वाद दे देते हैं वही जीतता है. पिछली बार मोदी को आशीर्वाद दिया था तो वही जीते थे.’

डेरा सच्चा सौदा के स्थापना दिवस में शामिल होने आईं महिलाएं | तस्वीर- ज्योति यादव

कोई लालटेन को वोट देगा तो कोई हाथ का बटन दबाएगा

मैंने जब उनके ग्रुप की बाकी महिलाओं से पूछा कि किस तरह का आशीर्वाद दिया था तो उनमें से एक बताती हैं, ‘वो जो निशान होता है उसका इशारा बता देते हैं. हाथ पर वोट देना होता है तो हाथ दिखाते हैं. अगर कमल को देना है तो कमल का फूल. जनता समझ जाती है’ हालांकि ये ग्रुप बिहार के लालू यादव का समर्पित वोटर है और लालटेन पर ही बटन दबाकर आया है. लालू यादव के भ्रष्टाचार पर ये ग्रुप जेल जाने को सही ठहराता है लेकिन डेरा सच्चा सौदा प्रमुख के जेल जाने को नरेंद्र मोदी की साजिश बताता है.

बाबा के जेल जाने से भीड़ कम हुई या नहीं ये जानने के लिए राजस्थान के अलवर से अपनी दो बेटियों से साथ आई सुनीता से बात की. सुनीता और उनक दोनों बेटियां 10 दिन के लिए आई हैं. उनकी एक बेटी 12वीं में है और दूसरी 10वीं में. गुरमीत राम रहीम पर लगे बलात्कार के मामले पर बात करने पर उन्होंने कहा, ‘आप भी पढ़ी-लिखी हैं. बताओ ऐसे होता है क्या. पिताजी से इतने लोग जलते हैं. जिस नेता को आशीर्वाद नहीं दिया उसने फंसा दिया. मोदी ने जान बूझकर फंसाया.’

उनकी मां बीच में बात काटते हुए बोलीं, ‘या भीड़ गलत सै के? जै पिताजी की गलती होती तो क्यों इतनी जनता आ री सै? बाबा को फंसाण वाली छोरियों को नेताओं ने करोड़ों रुपया दिया सै.’ वहीं, पाकिस्तान बॉर्डर से सटे पंजाब के गांवों से आए महिलाओं के ग्रुप ने बताया, ‘मीडिया को वहम है. पिताजी को खत्म नहीं कर सकते. वो जेल नहीं, मिशन पर गए हैं. हमारे मन में हैं. जब चाहें तब जेल से आ सकते हैं. अभी पांच तारीख को आएंगे. हमारे गांव में तो उस केस के बाद ज्यादा लोग आने लगे हैं. अब तो लोग कई बसों में बैठकर आने लगे हैं.’

डेरा सच्चा सौदा के स्थापना दिवस में शामिल होने आईं महिलाएं | तस्वीर- ज्योति यादव

हरियाणा के कैथल से आई सुशीला अपनी पड़ोसन को भी साथ लाई हैं. उनको सिरदर्द भी रहता है. यहां से वो दवाई भी ले जाती हैं. वोट देने की बात पर कहती हैं, ‘मैंने तो वोट ही नहीं किया है. वोटर कार्ड में दिक्कत आ गई थी.’

डेरा सच्चा सौदा में काम करने वाले विकास ने बताया, ’29 तारीख के प्रोग्राम में लाखों की भीड़ आई थी. पहले ये करोड़ों में होती थी. धीरे-धीरे लोगों को सच-झूठ का पता चल रहा है.’

डेरा के सामने गन्ने का रस बेचने वाले सतीश बताते हैं, ‘भीड़ तो कम हुई है. इन टैंपों वालों का धंधा ठप्प हो गया है. बाकी प्रशासन ने कुछ नहीं किया जो चलता आ रहा है वो चल ही रहा है. धीरे-धीरे ये भीड़ फिर बढ़ा लेंगे.’


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गुरमीत राम रहीम की बेल पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

गुरमीत राम रहीम ने लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए जमानत पर बाहर आने की याचिका पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में दाखिल की थी. लेकिन कोर्ट ने याचिका पर सीबीआई से 1 मई तक जवाब मांगा था. खबरों के मुताबिक जमानत नहीं मिलने पर उनके वकील ने याचिका वापस ले ली है. गौरतलब है कि गुरमीत हत्या और बलात्कार के मामले में रोहतक की सुनारिया जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं.

डेरा सच्चा सौदा| तस्वीर- ज्योति यादव

दो दशक से विधानसभा और लोकसभा चुनाव में डेरा सच्चा सौदा की अहम भूमिका रही है. इसलिए सभी पार्टियों के नेता इनके जागरणों और कीर्तनों में हाजिरी लगाते रहते हैं. इस बार भी जननायक जनता पार्टी के नेता अजय चौटाला से लेकर मनोहरलाल खट्टर ने डेरा से समर्थन लेने की बात कही है. अभय चौटाला भी इस दौड़ में पीछे नहीं हैं. कांग्रेस के अशोक तंवर भी डेरा का समर्थन लेने की बात लगातार कह रहे हैं.

ये देखना रहेगा कि डेरा अपने अनुयायियों को असमंजस से बाहर निकालकर किस पार्टी का बेड़ा पार लगवाएगा.

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