गोरखपुर: यूपी की अहम सीटों में से एक गोरखपुर लोकसभा सीट पर इस बार भी मुकाबला दिलचस्प है. गोरखपुर को सीएम योगी का गढ़ माना जाता है. लेकिन पिछले उपचुनाव में जिस तरह गठबंधन ने ये सीट जीती उससे बीजेपी की नींद अभी तक उड़ी है. यही कारण है कि इस बार बीजेपी ने यहां दांव भोजपुरी सुपरस्टार रवि किशन पर लगाया है. रवि किशन ने पिछली बार जौनपुर में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था और हार गए थे. लेकिन इस बार बीजेपी के टिकट पर मैदान में हैं.
रवि किशन पूर्वांचल के लोगों के बीच काफी पाॅपुलर हैं. लेकिन महागठबंधन से मुकाबले में गोरखपुर सीट जीतना उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं. कांग्रेस ने भी यहां ब्राह्मण उम्मीदवार उतारकर रवि किशन की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. ऐसे में रवि किशन जनता के बीच खुद को रवि किशन शुक्ला बता रहे हैं और योगी के गढ़ में वह योगी से ज्यादा मोदी फैक्टर पर जोर दे रहे हैं.
— Chowkidar Ravi Kishan (@ravikishann) May 13, 2019
स्टार इमेज से कनेक्ट करने की कोशिश
शहर में रवि किशन शुक्ला के पोस्टर लगे हैं. भगवा कुर्ते में रवि का जनसंपर्क सुबह 9.30 बजे से शुरू हो जाता है. वह लोगों के बीच जाकर प्रधानमंत्री मोदी की जमकर तारीफ करते हैं और फोटो-सेल्फी क्लिक कर लोगों से कनेक्ट करने की कोशिश करते हैं. बातचीत में रवि किशन कहते हैं कि गोरखपुर भोजपुरी फिल्मों का गढ़ है. उन्होंने दर्जनों फिल्में यहां शूट की हैं. अगर वह सांसद बनते हैं तो यहां फिल्म सिटी बनवाएंगे जिससे युवाओं को रोजगार मिलेगा.
दूसरी ओर रवि किशन ने बाहरी के ठप्पा से बचने के लिए मोहद्दीपुर में एक बहुमंजिला अपार्टमेंट में चार कमरे का फ्लैट करीब सवा करोड़ रुपये में खरीदा है. उनकी पत्नी प्रीति भी मुंबई की घर गृहस्थी छोड़कर गोरखपुर पहुंच चुकी हैं.
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इन सब कोशिशों के बावजूद यहां रवि किशन की राह इतनी आसान नहीं दिखाई पड़ती. दरअसल पिछले उपचुनाव में गठबंधन के पक्ष में जो समीकरण बने. वैसी ही स्थिति कुछ इस बार भी है. निषाद पार्टी के अलग होने के बावजूद सपा-बसपा गठबंधन ने निषाद वोटर्स की अहम भूमिका को ध्यान में रखते हुए राम भुआल निषाद को टिकट दिया है. वहीं कांग्रेस ने मधुसूदन तिवारी को उतारा है जो बीजेपी के वोटबैंक में सेंध लगा सकते हैं.
जातिगत समीकरण बने चैलेंज
दरअसल, गोरखपुर में सबसे ज्यादा निषाद के 3.50 लाख वोटर हैं, करीब डेढ़ लाख मुसलमान, 2 लाख यादव, 2 लाख दलित, करीब तीन लाख ब्राह्मण, 80 हजार राजपूत और छोटी बड़ी कई जातियां है. लोकसभा उपचुनाव में यहां से बीजेपी के उपेंद्र शुक्ला करीब 20, 000 वोटों से सपा उम्मीदवार प्रवीण निषाद से हार गए थे. इस बार निषाद पार्टी बीजेपी के साथ फिर भी बीजेपी के लिए ये सीट आसान नहीं दिख रही. यही कारण है कि भोजपुरी सुपरस्टार रवि किशन को भी अब ‘मोदी फैक्टर’ का ही सहारा है. यूपी में बीजेपी के अधिकतर उम्मीदवार मोदी के नाम पर ही वोट मांग रहे हैं. रवि किशन से जब पूछा गया इस बार में तो उनका कहना था कि ये देश का चुनाव है, प्रधानमंत्री का चुनाव है.
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उपचुनाव से अलग है ये चुनाव
रवि किशन का दावा है कि ये चुनाव पिछले उपचुनाव से अलग है. उपचुनाव में कार्यकर्ता थोड़ा ओवर काॅन्फिडेंस में रह गए. लेकिन इस बार पूरी मेहनत कर रहे हैं. पिछली बार बीजेपी की हार से कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटा है. उनमें जान फूंकने के लिए रवि किशन और उनकी पत्नी प्रीति काफी प्रयास कर रही हैं. इसमें कोई दो राय नहीं है कि रवि किशन बातचीत में सहज हैं और लोगों से कनेक्ट भी कर रहे हैं. लेकिन चेहरे पर टेंशन भी दिख रही है. यही कारण है कि जुबां पर योगी से ज्यादा मोदी हैं. हालांकि गोरखपुर सीट रवि किशन के साथ-साथ सीएम योगी के लिए भी किसी इम्तिहान से कम नहीं. अपने गढ़ को बचाए रखने के लिए वह भी पूरा जोर लगा रहे हैं. महागठबंधन से सीधी टक्कर में दोनों को मोदी फैक्टर अहम दिख रहा है.
गोरखपुर में योगी व मोदी फैक्टर का फर्क
यूं तो गोरखपुर में बच्चा- बच्चा योगी आदित्यनाथ को जानता है. इसका कारण केवल मुख्यमंत्री होना नहीं बल्कि गोरखनाथ मंदिर का महंत होना है. योगी लगभग हर सप्ताह गोरखपुर आते हैं. लोगों से उनका कनेक्ट भी है. लेकिन जब तक योगी यहां से चुनाव लड़े हमेशा जीते. लेकिन उनके जाने के बाद बीजेपी का ये गढ़ हिला है. बीजेपी में कोई दूसरा ऐसा चेहरा नहीं उभर पाया जिस पर आलाकमान का भरोसा हो. दूसरी ओर सपा-बसपा गठबंधन ने समीकरण बिगाड़ दिए हैं. दूसरी ओर कांग्रेस ने ब्राह्मण चेहरे को खड़ा कर बीजेपी की राह और भी मुश्किल कर दी है. ऐसे में मोदी फैक्टर ही यहां बीजेपी का अंतिम सहारा दिख रहा है जिसका नाम लेकर रवि किशन चुनाव लड़ रहे हैं.