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Saturday, 21 December, 2024
होम2019 लोकसभा चुनावइन पांच वजहों ने हरियाणा में भाजपा की जीत की कहानी लिखी

इन पांच वजहों ने हरियाणा में भाजपा की जीत की कहानी लिखी

एक जाट बाहुल्य राज्य में गैर जाट की छवि रखने वाली भाजपा पार्टी का दसों सीटों पर जीत जाना आश्चर्यजनक है.

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नई दिल्ली: हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी ने 2014 के आम चुनावों के नतीजों से बेहतर प्रदर्शन किया है. 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने क्लीन स्वीप कर दसों सीटों पर जीत दर्ज की है. इस जीत को भाजपा ने अपने कार्यकाल में हुए बेहतर कामों और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों को माना है. विपक्षी पार्टियों ने भी हार स्वीकार कर भाजपा को बधाइयां दी हैं. लेकिन एक जाट बाहुल्य राज्य में गैर जाट की छवि रखने वाली भाजपा पार्टी का दसों सीट पर जीत जाना आश्चर्यजनक है. खासकर सोनीपत और रोहतक जैसी लोकसभा सीटों से जीतना अपने आप में ऐतिहासिक माना जा रहा है.

हरियाणा भाजपा के कार्यकर्ता इस जीत की पांच वजहें मान रहे हैं. भाजपा कार्यकर्ता सतीश जांगड़ा जाले के मुताबिक-

गैर ज़िम्मेदाराना विपक्ष

हरियाणा में विपक्षी पार्टियां भाजपा को किसी भी ठोस मुद्दे पर घेरने में नाकामयाब रहीं. सिर्फ ‘चौकीदार चोर है’ के नारे दिए. यहां की जनता राहुल गांधी को ही मुख्य विलेन के रूप में देख रही थी जिसको लेकर राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट में इस नारे को लेकर माफी मांगनी पड़ी.

मनोहर लाल खट्टर की भ्रष्टाचार खत्म करने वाली छवि

हरियाणा में कांग्रेस के कार्यकाल में लोग सरकारी नौकरियों में होने वाली धांधलियों से त्रस्त थे. हरियाणा में आई मनोहर लाल खट्टर सरकार ने नौकरियों में पारदर्शिता लाकर जनता का विश्वास जीता. ये एक मेन फैक्टर रहा.

जाट आरक्षण

2016 में हुए जाट आरक्षण को लेकर बेशक विपक्षी पार्टियां मनोहर लाल खट्टर को घेर रही थीं लेकिन ये पैतरां भी खट्टर सरकार के पक्ष में काम करता नजर आया. आरोप लगे कि जाट आंदोलन में हुई हिंसा के दौरान रोहतक के कांग्रेसी सांसद लोगों तक नहीं पहुंचे थे. इसलिए जाट आंदोलन हिंसा में कांग्रेसी नेताओं के संलिप्त होने के शक ने भी खट्टर सरकार के पक्ष में काम किया.

जाति आधारित वोटबैंक को लुभाना

हरियाणा की क्षेत्रिय पार्टियां जाति पर ही अटकी रह गईं. किसी ने भी राष्ट्रीयता के मुद्दे पर बात नहीं की. ऊपरी तौर पर भले ही रोज़गार की बात की हो लेकिन अंदर ही अंदर जातीय समीकरण खोजे जा रहे थे.

बालाकोट और सेना

बालाकोट के हमले और लगातार सेना को लेकर बोलने वाली भाजपा पार्टी ने सैनिकों की धरती हरियाणा में भी इन मुद्दों को भुना लिया. लोगों को ये बताया गया कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत विश्व शक्ति बनने जा रहा है. इसलिए बनारस मेंं नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले तेज बहादुर यादव के परिवार वाले तक नरेंद्र मोदी के फैन बने नजर आए.

क्या कहते हैं जमीन पर उतरने वाले पत्रकार

वरिष्ठ पत्रकार सत सिंह बताते हैं, ‘लोगों ने भाजपा को नहीं नरेंद्र मोदी को वोट दिया है. किसी भी प्रत्याशी ने अपने काम या पार्टी के नाम पर वोट नहीं मांगे. सबने नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट देने के लिए कहा.’


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इंडिया न्यूज हरियाणा के रिपोर्टर रुद्र राजेश कुंडू का कहना है, ‘इस चुनाव में मोदी फैक्टर, पुलवामा और ग्रुप डी की नौकरियां, किसानों को मिलने वाले 6 हज़ार रुपए ने मुख्य भूमिका निभाई. जाट और गैर जाट की राजनीति में भाजपा सारे गैर जाट वोट बटोर ले गई. यहां तक कि जाटों का बिखराव भी भाजपा के पक्ष में काम कर गया. यहां पंजाबी समुदाय की भी अच्छी खासी संख्या है. पंजाबी मुख्यमंत्री होने के नाते ये वोट मनोहर लाल खट्टर के खाते में ही जाने थे.’

वहीं, हिंदुस्तान टाइम्स के पत्रकार सुनील राहड़ कहते हैं, ‘भाजपा हरियाणा में एक ऐसी इकलौती पार्टी रही जो एक-एक वोटर तक पहुंच पाई. ज़मीन पर भाजपा की पकड़ है. पुलवामा के बाद हुए हमले ने नरेंद्र मोदी की जीत तय कर दी थी. किसी ने भी अपने सासंद को वोट नहीं दिया है. ज़्यादातर लोगों ने नरेंद्र मोदी को ही वोट दिया है. विपक्षी पार्टियों ने पंरपरागत तरीके चुनाव प्रचार किया तो भाजपा ने कई सारे नए तरीके अपनाए.’

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