scorecardresearch
Friday, 26 April, 2024
होम2019 लोकसभा चुनावहरियाणा में भाजपा की क्लीन स्वीप, हुड्डा-बिश्नोई-चौटाला परिवारों का ढहा किला

हरियाणा में भाजपा की क्लीन स्वीप, हुड्डा-बिश्नोई-चौटाला परिवारों का ढहा किला

हरियाणा के तीन बड़े राजनीतिक परिवारों हुड्डा-चौटाला-बिश्नोई हराकर भाजपा ने राज्य में परिवारवाद को खत्म करने का संदेश दिया है.

Text Size:

नई दिल्ली: 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने हरियाणा में क्लीन स्वीप किया. 10 लोकसभा सीटों में से दसों सीट पर भाजपा जीती. कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले रोहतक में मुकाबला टक्कर का रहा. इस सीट पर कांग्रेस के तीन बार सांसद रह चुके दीपेंद्र हुड्डा की साख दांव पर लगी थी. जाट बाहुल्य तीनों ही सीटों (रोहतक, हिसार और सोनीपत) सीट पर भाजपा ने अपना झंडा लहराया.

अंबाला लोकसभा सीट में रतनलाल कटारिया को 6, 80, 090 वोट मिले तो कांग्रेस की कुमारी शैलजा को 3,66,219 वोट हासिल हुए. सोनीपत लोकसभा सीट में भूपेंद्र हुड्डा को 4,18,871 तो भाजपा के रमेश कौशिक को 5,81,690 वोट हासिल हुए. हिसार से भाजपा के बृजेंद्रा 5,99,653 वोट हासिल कर विजयी हुए तो कांग्रेस के भव्य बिश्नोई 1,83,931 और जेजेपी के दुष्यंत चौटाला 2,87,952 वोट पा सके. गुरुग्राम से 8,37,249 वोट हासिल कर भाजपा के राव इंद्रजीत सिंह लगातार चौथी बार जीते. यहां से कैप्टन अजय यादव को 4,82,423 वोट मिले. भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से बंसीलाल की पोती श्रुति चौधरी को 2,90,172 वोट मिले. इस सीट से भाजपा के धर्मबीर 7,25,049 वोट हासिल कर दोबारा जीत गए. रोहतक लोकसभा सीट भाजपा के उम्मीदवार अरविंद शर्मा ने कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा को हराया. दीपेंद्र को 5,63,282 वोट मिले तो अरविंद शर्मा को 5,66,151 वोट मिले. हालांकि रोहतक सीट पर मतगणना अभी जारी है.


विधानसभा में इस जीत का प्रभाव

हरियाणा की 10 सीटों पर 223 उम्मीदवार मैदान में थे. करीब 70 फीसदी मतदान हुआ. एक समय था कि हरियाणा में कांग्रेस और इंडियन नेश्नल लोक दल का ही दबदबा था. पर 2014 में भाजपा ने लोक सभा में आश्चर्यजनक सफलता हासिल की और मोदी लहर में 10 में से 7 सीटें जीत ली. हिसार और सिरसा  इनेलो को गई थी और कांग्रेस ने रोहतक सीट जीती थी. विधानसभा में भी भाजपा सरकार बनाने में कामयाब रही. उसे 90 में ले 47 सीटें मिली और आरएसएस की पसंद मनोहर लाल खट्टर को मुख्य मंत्री बनाया गया.

हरियाणा में पांच महीने बाद ही विधानसभा चुनाव होने हैं. इस जीत का असर विधानसभा पर साफ तौर पड़ेगा. इसलिए हरियाणा भाजपा की मतगणना के तीन दिन पहले हुई एक बैठक में सभी विधायकों से अपने कार्यक्षेत्र में रहने के लिए कहा गया है. सबने आगामी चुनावों के लिए कमर कस ली है. भाजपा सरकार ने विधानसभा चुनावों को देखते हुए सरकारी नौकरियों की भर्तियां भी निकाली हैं. इनेलो से निकली नई पार्टी जेजेपी पार्टी दुष्यंत चौटाला को सीएम फेस के तौर पर प्रोजेक्ट करेगी.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

सोनीपत-हिसार-रोहतक रही हॉट सीटें

इस बार का मुकाबला भाजपा, कांग्रेस, इनेलो, जेजेपी, आम आदमी पार्टी, बसपा-लसपा के बीच रहा. भाजपा ने दसों लोकसभा सीट जीतने की दावेदारी की थी तो कांग्रेस वाले 5 सीटें लाने का दावा ठोक रहे थे. इस चुनाव के दौरान जाट बाहुल्य सीटें हॉट सीटें बनीं. गौरतलब है कि राज्य में साल 2016 में जाट आंदोलन के दौरान व्यापक स्तर पर आगजनी और लूटपाट हुई थी.

तीनों ही सीटों पर राज्य के बड़े नेताओं और उनके बेटों की साख दांव पर लगी थी. रोहतक कांग्रेस का गढ़ रहा है. इसलिए भाजपा ने इस सीट पर जान फूंकी है. सोनीपत में भी कड़ा मुकाबला रहा. हिसार में तीन राजनीतिक घरानों के बेटे मैदान में उतरे थे. इन तीनों ही राजनीतिक परिवारों की महिलाएं भी चुनावी-प्रचार में हमलावर रही.

जाट आरक्षण- भ्रष्टाचार के बिना नौकरियां 

सारी ही पार्टियों ने इन सीटों जाट आरक्षण को मुख्य मुद्दा बनाए रखा. मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता भूपेंद्र हुड्डा पर लगातार हमला बोला. वहीं, कांग्रेस ने भी भाजपा पर प्रदेश के भाईचारे को बिगाड़ 35-1 का जातीय आंकड़ा देने का आरोप लगाया.

मनोहरलाल खट्टर ने नौकरियों में पारदर्शिता लाने के नाम पर वोट बटोरे तो भाजपा के सांसदों ने नरेंद्र मोदी के नाम पर. लेकिन जनवादी जनता पार्टी-आप के गठबंधन ने स्कूल, अस्पताल और रोजगार के मुद्दे को उठाया और दिल्ली के विकास मॉडल पर वोट मांगे. बसपा-लसपा (लोक सुसक्षा पार्टी)  के गठबंधन को लेकर प्रदेश में कोई उत्साह नहीं दिखाई दिया. बसपा का वोट शेयर पिछले लोकसभा चुनावों में भी ना के बराबर रहा है.

एग्ज़िट पोल्स का क्या कहना था?

ज्यादातर एग्ज़िट पोल्स ने भाजपा को 6-9 सीटें मिलने का अनुमान जताया था तो कांग्रेस को 2-3. आम आदमी पार्टी के जीतने की किसी भी पोल ने कोई संभावना नहीं जताई थी.

share & View comments