अहमदाबाद: बरामदा धूल भरा है; दीवारों का रंग फीका पड़ गया है और लगातार धीरे-धीरे रंग झड़ रहा है. दीवारों में दरारें हैं, इमारत का नाम मुश्किल से पढ़ने योग्य है. ये हाल, अहमदाबाद के नारनपुरा में विजयनगर रोड पर स्थित संघवी हाई स्कूल का है.
आज इमारत भले ही खाली है, लेकिन धूल भरे मैदान में अभी भी कुछ न कुछ गतिविधि होती रहती है. क्योंकि बच्चों को मार्शल आर्ट सिखाया जाता है. यह स्कूल नारनपुरा का पर्याय हुआ करता था, लेकिन इसके मशहूर होने की अलग वजह है. यह अमित शाह के राजनीतिक यात्रा का शुरुआती बिंदु था, जिसने अमित शाह को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने और देश के सबसे शक्तिशाली व्यक्तियों में शुमार होने में मदद की.
जब अमित शाह गांधीनगर लोकसभा सीट के लिए अपना नामांकन दाखिल करने आए. तो, उन्होंने याद किया कि वह बूथ नंबर 37 के लिए भाजपा के प्रभारी थे. संघवी हाई स्कूल में उन्होंने पार्टी के सह-संस्थापक लाल कृष्ण आडवाणी के लिए जीत सुनिश्चित करने के लिए काम किया था, जिनकी उन्होंने उम्मीदवार के रूप में जगह ली है.
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अब जब स्कूल और मतदान केंद्र कुछ ही मीटर की दूरी पर दूसरी इमारत में स्थानांतरित हो गया है. तब 23 अप्रैल को तीसरे चरण के मतदान में गुजरात के बाकी हिस्सों के साथ अमित शाह भी अपना वोट डालेंगे और बूथ नंबर 37 के साथ अपने जुड़ाव को फिर से नया बनाएंगे.
गंभीर और समर्पित
यह पहला आम चुनाव है क्योंकि चार साल पहले स्कूल भवन को खाली करा दिया गया था. लेकिन, आज भी कई लोग इस क्षेत्र की इमारत को शाह के साथ जोड़कर देखते हैं.
मालव गोलावला जो बच्चों को कराटे सिखा रहे हैं, दशकों से भाजपा के एक बूथ एजेंट भी हैं. उन्होंने इसी हाई स्कूल में पढ़ाई की और उन दिनों को याद करते हैं जब अमित शाह गुजरात की राजनीति के उभरते हुए सितारे थे और ‘कभी-कभी’ आते थे.
गोलावला ने कहा, ‘मैंने उन्हें इस स्थान पर आते हुए देखा था जब वह यहां सक्रिय थे. तब मैं बहुत जूनियर था. हम घनिष्ठता से रहने वाले समाज से आते हैं. इतना कुछ हासिल करने पर शाह पर हमें गर्व है.’ ‘उन्होंने यह भी कहा कि यह इमारत हमारे सभी दिलों में एक विशेष स्थान रखती है. मैं बच्चों को यहां कराटे सिखाता हूं. क्योंकि यह मुझे अपने बचपन को फिर से जीने का मौका देता है.’
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पर्यटन व्यवसाय चलाने वाले 50 वर्षीय हेमांग पटेल अब बूथ नं 37 के प्रभारी हैं. जिसे अमित शाह संभाला करते थे पुराने दिनों के बारे में याद करते हुए पटेल कहते हैं कि उन्होंने अपने वरिष्ठ से बहुत कुछ सीखा है.
पटेल ने याद करते हुए कहा कि वह गंभीर और समर्पित थे. अमित शाह और भाजपा के बाकी सभी लोग यह सुनिश्चित करने के लिए सावधानीपूर्वक काम करते थे कि आडवाणी वोटों के सम्मानजनक अंतर के साथ जीत हासिल कर सकें. उनके बूथ का प्रभारी होना मुझे बहुत खुशी देता है, वो तब जब वह इसी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं.
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