नई दिल्ली: सोमवार को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने चुनाव आयोग की सराहना करते हुए कहा था कि 2019 का लोकसभा चुनाव शानदार तरीके से संपन्न कराया गया. पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी का यह बयान तब आया जब विपक्षी दलों ने लगातार चुनाव आयोग को निशाना बना रहे हैं.
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि ‘इस मामले में संस्था की अखंडता सुनिश्चित करने का जिम्मा (ईवीएम की सुरक्षा) चुनाव आयोग का है , आयोग को इस मामले को शांत करने के लिए सभी अटकलों पर विराम लगाना चाहिए.
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि ‘इस मामले में संस्था की अखंडता सुनिश्चित करने का जिम्मा (ईवीएम की सुरक्षा) चुनाव आयोग का है , आयोग को इस मामले को शांत करने के लिए सभी अटकलों पर विराम लगाना चाहिए.
अपने बयान में राष्ट्रपति ने कहा, ‘मैं मतदाताओं के वर्डिक्ट के साथ होने वाले खिलवाड़ को लेकर आ रही रिपोर्ट से चिंतित हूं. उन्होंने कहा कि ईवीएम की सुरक्षा एवं संरक्षण चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है. यहां पर किसी तरह के अनुमान जो प्रजातंत्र के लिए चुनौती हो इसकी जगह नहीं होनी चाहिए.’
‘हमारे प्रजातंत्र के आधार को चुनौती और संशयों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए. लोगों का जनादेश पवित्र है और लेशमात्र आशंका नहीं होना चाहिए.’ मेरा पूरा विश्वास हमारे संस्थानों पर है. मेरा मानना है कि यह ‘काम कर रहा व्यक्ति’ तय करता है कि संस्थान के ‘औजार’ कैसा प्रदर्शन करेंगे.
इस मामले में संस्थागत अखंडता (ईवीएम की सुरक्षा) सुनिश्चित करने का दायित्व चुनाव आयोग के पास है, उन्हें अवश्य ऐसा करना चाहिए और सभी अटकलों पर विराम लगाना चाहिए.
Former President Pranab Mukherjee issues statement, says ' Onus on ensuring institutional integrity in this case(security of EVMs) lies with the Election Commission, they must do so and put all speculations to rest' pic.twitter.com/2xFIhok7pN
— ANI (@ANI) May 21, 2019
आयोग की तारीफ में कल गढ़े थे कसीदे
विपक्ष द्वारा लगातार चुनाव आयोग पर लगाए जा रहे आरोपों के बीच पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने आयोग की तारीफ के पुल बांध दिए हैं. मुखर्जी ने कहा है कि 17वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव आयोग ने बहुत अच्छे तरीके से संपन्न कराया है. उन्होंने पहले चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन इस आयोग की तुलना भी की है. वहीं चुनाव आयोग पर चुनाव के दौरान लग रहे आरोपों पर उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान आयोग के काम-काज को लेकर उसपर शक भी किया गया है लेकिन उन्होंने साफ करते हुए कहा कि चुनाव आयुक्त के चुनाव को बदले जाने की आवश्यकता है.
मुखर्जी ने कहा कि अभी तक चुनाव आयुक्त का चयन एक्सक्यूटिव करते आए हैं और सुकुमार सेन का चयन भी एक्सक्यूटिव ने ही किया था. आज तक जितने भी चुनाव आयुक्त हुए हैं उनका चयन एक्सक्यूटिव ने ही किया है. उन्होंने आगे कहा कि सारे न्यायाधीश और न्याय से जुड़े उच्च अधिकारियों का चयन प्रधानमंत्री और कानून मंत्री द्वारा किया जाता है.
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मुखर्जी ने कहा कि 1991 तक उनका चयन सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सहायता से किया जाता था लेकिन अब यह प्रणाली बदल गई है, अब इनका चयन कोलेजियम, प्रधानमंत्री और कैबिनेट की मदद से किया जाता है. साथ ही मुखर्जी ने यह भी कहा कि अगर हम अपने संस्थान को मजबूत बनाना चाहते हैं तो हमें यह दिमाग में रखना होगा कि ये संस्थान देश के हित के लिए काम कर रहा है. अगर आज हमारा प्रजातंत्र काम कर रहा है तो वह सिर्फ इसलिए काम कर रहा है क्योंकि चुनाव आयोग और चुनाव आयुक्त ने इसे बेहतर तरीके से अंजाम तक पहुंचाया है. जिसे 1951 में सुकुमार सेन से शुरू किया था और आज के मौजूदा चुनाव आयुक्त इसे आगे की ओर ले जा रहे हैं.
पूर्व राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि भारतीय मतदाताओं ने चुनाव आयोग में अपना विश्वास कभी नहीं खोया है.
देश के पहले चुनाव जो 1952 में हुआ था को याद करते हुए मुखर्जी ने कहा कि हमने इसकी शुरुआत 1952 में तब की थी जब सिविल सर्वेंट सुकुमार सेन ने इसे बहुत ही सफलता पूर्वक अंजाम तक पहुंचाया था. हमारे मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग करने और देश में होने वाले चुनाव में आज तक अपना विश्नवास नहीं खोया है और बढ़ चढ़ कर भाग ले रहे हैं.
कुछ एक्सट्रीमिस्ट चुनाव का बॉयकाट करने का आह्वान करते हैं लेकिन मतदाता बढ़-चढ़कर इसमें भाग लेते हैं. मौजूदा चुनाव में 67.3 फीसदी लोगों ने इसमें भाग लिया है और यह इस बात का गवाह है कि लोगों का विश्वास चुनाव आयोग से बना हुआ है.
चुनाव आयोग पर विपक्षी पार्टियों ने जम कर हमला बोला है, इसकी कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाया है कि वह मौजूदा सरकार के दवाब में काम कर रही है. यही नहीं उन्होंने चुनाव आयोग के पैनल की प्रधानमंत्री को क्लीन चिट दिए जाने की आलोचना भी है यहीनहीं अमित शाह पर भी चुनाव आचार संहिता के तोड़े जाने का आरोप लगाया गया है. बता दें कि एक चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने कमीशन मीटिंग का बायकाट भी किया क्योंकि वह पीएम और शाह को क्लीन चिट देने के खिलाफ थे.