नई दिल्ली: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के सामने भाजपा की ओर से साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर मैदान में हो सकती हैं. वह प्रदेश भाजपा कार्यालय पहुंचीं और उन्होंने यहां पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की. बैठक के बाद उन्होंने कहा कि वह राष्ट्र धर्म निभाते हुए अपना काम करेंगी. मीडिया के भोपाल से चुनाव लड़ने के सवाल के जवाब में साध्वी ने कहा कि वह भोपाल से चुनाव लड़ेंगी और जीतेंगी. उन्हें पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान समेत सभी बड़े भाजपा नेताओं का समर्थन प्राप्त है. प्रज्ञा ने पार्टी की सदस्यता भी ग्रहण कर ली है.
फिलहाल भाजपा की मजूबत सीट कही जाने वाली इंदौर, भोपाल, विदिशा, सागर और गुना से अभी तक उम्मीदवारों का फैसला नहीं हो पाया है. कांग्रेस ने इंदौर से पंकज संघवी, भोपाल से पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया को मैदान में उतारा है. कांग्रेस के उम्मीदवार घोषित होने के बाद भाजपा बैकफुट पर नजर आ रही है.
बता दें कि लंबे समय से भाजपा में इन सीटों को लेकर जोड़-घटाव चल रहा है. पिछले दिनों लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने भी इंदौर सीट से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था. वहीं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी भोपाल से चुनाव लड़ने की बात पार्टी आलाकमान से कही थी.
Madhya Pradesh: Sadhvi Pragya Singh Thakur has arrived at the BJP office in Bhopal and is currently meeting senior BJP leaders Shivraj Singh Chouhan, Ramlal, and Prabhat Jha. pic.twitter.com/9rG7KuLiq0
— ANI (@ANI) April 17, 2019
कैलाश नहीं लड़ेंगे इंदौर से चुनाव
आगामी लोकसभा चुनाव में इंदौर संसदीय क्षेत्र से सशक्त दावेदार माने जा रहे भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने लोकसभा चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है. विजयवर्गीय ने बुधवार को ट्वीट कर कहा कि इंदौर की जनता, कार्यकर्ता व देशभर के शुभचिंतकों की इच्छा है कि मैं एलएस (लोकसभा) चुनाव लड़ूं, पर हम सभी की प्राथमिकता समर्थ+समृद्ध भारत के लिए नरेंद्र मोदी को पुनः पीएम बनाना है.
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की जनता मोदी के साथ खड़ी है, मेरा बंगाल में रहना कर्तव्य है, अत: मैंने चुनाव न लड़ने का निर्णय लिया है. कांग्रेस ने इंदौर से पंकज संघवी को उम्मीदवार बनाया है, वहीं भाजपा अब तक अपने उम्मीदवार का चयन नहीं कर पाई है. बीते 8 चुनाव से लगातार जीतती आ रही सुमित्रा महाजन भी पार्टी के 75 वर्ष की आयु पार कर चुके लोगों को उम्मीदवार न बनाए जाने के फैसले को ध्यान में रखकर स्वयं ही चुनाव लड़ने से इंकार कर चुकी हैं.