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Sunday, 17 November, 2024
होम2019 लोकसभा चुनावसमाजवादी आंदोलन से जुड़े वो दो परिवार जिनके बड़े नेता हारे

समाजवादी आंदोलन से जुड़े वो दो परिवार जिनके बड़े नेता हारे

सपा नेता डिंपल यादव कन्नौज से, धमेंद्र यादव बदायूं और अक्षय यादव फिरोजाबाद से हारे हैं. वहीं बिहार में महागठबंधन में शामिल पूर्व केंद्रीय मंत्री लालू प्रसाद की पार्टी राजद खाता भी नहीं खोल पाई.

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नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश में महागठबंधन बनाकर भाजपा को शिकस्त देने की कोशिश में सपा को सबसे बड़ा नुकसान हुआ है. समाजवादी पार्टी (सपा) के तीन सदस्यों – डिंपल यादव, धमेंद्र यादव और अक्षय यादव की हार शायद हाल के दिनों में सपा प्रमुख अखिलेश यादव को सबसे बड़ा झटका है. वहीं बिहार में समाजवादी आंदोलन से जुड़ा प्रमुख दल राजद का सूपड़ा साफ हो गया है.

यूपी में जहां गठबंधन से बसपा को तो फायदा हुआ वहीं सपा को खास फायदा नहीं पहुंचा है. बीएसपी के पास लोकसभा की एक भी सीट नहीं थी अब उसके पास 10 सीट हो गई है जबकि सपा को महज 5 ही सीट मिल पाई है. सपा की बड़ी नेता और पूर्व सीएम अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव कन्नौज से, धमेंद्र यादव बदायूं में हार गए और अक्षय यादव फिरोजाबाद में हार गए. ये तीनों 16वीं लोकसभा में सांसद थे.


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लोकसभा चुनाव के परिणामों से यह स्पष्ट है कि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ गठबंधन के बावजूद समाजवादी पार्टी हार गई. 2014 में पार्टी ने परिवार के भीतर पांच सीटों पर जीत हासिल की थी और पिछले साल आठ सीटों तक की बढ़त हासिल की थी जब गोरखपुर, फूलपुर और कैराना के उपचुनाव में सपा को जीत हासिल हुई थी. अभी-अभी सम्पन्न हुए चुनाव में सपा पांच सीटों के साथ वापस आई, जिनमें से पार्टी ने परिवार के लिए दो सीटों पर जीत हासिल की. मुलायम सिंह को मैनपुरी और आजमगढ़ में अखिलेख यादव को जीत हासिल हुई. जीतने वाले तीन अन्य उम्मीदवार आजम खान रामपुर में, शफीकुर्रहमान बर्क संभल में और एसटी हसन मुरादाबाद में जीते. परिवार के बाहर ये सभी तीन उम्मीदवार मुस्लिम हैं.

नाम न बताने की शर्त पर सपा के एक वरिष्ठ नेता ने शुक्रवार को कहा, ‘यह गठबंधन एक भयंकर गलती साबित हुई और यह जमीनी स्तर तक कम नहीं हुआ है. 2014 के मोदी लहर में हमने अपनी जमीन बनाई थी, लेकिन इस बार अच्छा महसूस करने के लिए कुछ भी नहीं है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘पार्टी के वरिष्ठ नेता चुनाव हार गए हैं और अब जल्द ही बसपा के साथ गठबंधन के फैसले के खिलाफ आलोचना शुरू हो जाएगी जिसने इस गठबंधन का लाभ उठाया है.’

दूसरी ओर, बसपा इस गठबंधन के साथ खुद को पुनर्जीवित करने में कामयाब रही. 2014 में जिस पार्टी ने एक भी सीट नहीं जीती थी, उसने इस बार दस सीटें जीती हैं. अंबेडकर नगर, अमरोहा, गाजीपुर, घोसी, जौनपुर, लालगंज, नगीना, सहारनपुर, बिजनौर और श्रावस्ती में पार्टी ने जीत हासिल की है.

यह साफ है कि समाजवादी पार्टी ने इन सीटों पर बसपा को अपने वोट स्थानांतरित किए हैं, लेकिन बसपा का वोट सपा के उम्मीदवारों को स्थानांतरित नहीं हुआ. गठबंधन की ओर एक बड़ी दुर्घटना राष्ट्रीय लोकदल रही है. पार्टी ने तीन सीटों- बागपत, मुजफ्फरनगर और मथुरा से चुनाव लड़ा और तीनों हार गई. चौधरी अजित सिंह और उनके बेटे जयंत चौधरी हारने वालों में से हैं.

लालू प्रसाद की राजद का सूपड़ा साफ, भाजपा-लोजपा शत-प्रतिशत सफल

लोकसभा चुनाव में बिहार में सबसे करारा झटका महागठबंधन का नेतृत्व कर रहे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को लगा है. इसका सूपड़ा साफ हो गया है वहीं महागठबंधन में शामिल राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी (रालोसपा) भी चित्त हो गई. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की अभूतपूर्व 39 सीटों की जीत में जहां विपक्ष चारो खाने चित्त हो गई वहीं लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने 100 फीसदी स्ट्राइक के साथ उसके सभी छह प्रत्याशी जीत गए. यही हाल भाजपा का रहा है, जहां उसके सभी 17 प्रत्याशी विजयी हुए.

महागठबंधन में शामिल पूर्व केंद्रीय मंत्री लालू प्रसाद की पार्टी राजद इस लोकसभा चुनाव में खाता भी नहीं खोल पाई, वहीं कांग्रेस को केवल किशनगंज सीट से ही संतोष करना पड़ा. महागठबंधन में शामिल अन्य सभी दल राजग की इस आंधी में धाराशायी हो गए. राजद के गठन के बाद यह पहला मौका है जब राजद के एक भी सदस्य लोकसभा में नहीं होगा.


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महागठबंधन के एक अन्य घटक दल रालोसपा को सबसे नुकसान उठाना पड़ा. पिछले चुनाव में पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा ने तीन सीटों पर कब्जा जमाकर शत प्रतिशत सफलता पाई थी. उस समय रालोसपा राजग के साथ थी, परंतु इस चुनाव में रालोसपा ने पाला बदलकर महागठबंधन के साथ हो गई और शत प्रतिशत सीटों पर हार का सामना करना पड़ा. पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को इस चुनाव में दो सीटों उजियारपुर और काराकाट से हार का सामना करना पड़ा.

इसके अलावा, महागठबंधन में शामिल विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी), हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) भी खाता नहीं खोल सकी. रालोसपा, वीआईपी और हम के तीनों अध्यक्षों को भी हार का मुंह देखना पड़ा. इस चुनाव में सबसे ज्यादा 100 फीसदी स्ट्राइक रेट से लोजपा और भाजपा ने सफलता पाई. लोजपा इस चुनाव में छह सीटों पर चुनाव लड़ रही थी जबकि भाजपा 17 सीटों पर प्रत्याशी उतारी थी. दोनों पार्टियों के सभी प्रत्याशी ने जीत का परचम लहराया. राजग में शमिल जद (यू) भी 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही थी परंतु उसे किशनगंज सीट से हार का सामना करना पड़ा. पिछले चुनाव में रालोसपा राजग के साथ थी जबकि जद (यू) अकेले चुनाव मैदान में उतरी थी.

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