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Friday, 1 November, 2024
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कौन हैं अपराजिता सारंगी, जिनके आने से ओडिशा में भाजपा के समीकरण बदले?

आज ओडिशा में छह सीटों पर मतदान का चल रहा है जिसमें भुवनेश्वर, पुरी, ढेकानाल, कटक, संबलपुर और क्योंझर में मतदाता अपने मतों का प्रयोग कर रहे हैं. अब यहां पांचवे चरण में 29 अप्रैल को आखिरी मतदान होगा.

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नई दिल्ली: बीजू जनता दल (बीजद) के गढ़ माने जाने वाले ओडिशा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जहां अपनी जड़ें मजबूत करने में जुटी हुई है, वहीं ऐसा लग रहा है कि पार्टी के अंदरूनी समीकरण भी बदल रहे हैं. भुवनेश्वर से भाजपा प्रत्याशी और पूर्व आईएएस अधिकारी अपराजिता सांरगी ने मतदान किया. सारंगी ने आईआरएस गांव भुवनेश्वर के सरकारी प्राइमरी स्कूल में मतदान करने पहुंची. वह पूर्व आईपीएस अधिकारी और बीजेडी के प्रत्याशी अरूप पटनायक के खिलाफ मैदान में हैं. आज ओडिशा में छह सीटों पर मतदान का चल रहा है जिसमें भुवनेश्वर, पुरी, ढेकानाल, कटक, संबलपुर और क्योंझर में मतदाता अपने मतों का प्रयोग कर रहे हैं. अब यहां पांचवे चरण में 29 अप्रैल को आखिरी मतदान होगा.

ओडिशा में भाजपा के समीकरण तेजी से बदल रहे हैं. अभी तक केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान इस तटीय राज्य में भाजपा का मुख्यमंत्री चेहरा माने जाते रहे हैं. लेकिन, अब ऐसा लग रहा है कि पार्टी अपना रुख बदल रही है और पूर्व आईएएस अफसर अपराजिता सारंगी को अपने प्रमुख चेहरे के तौर पर पेश कर रही है. ओडिशा की राजधानी में बड़ी-बड़ी होर्डिंग लगी हुई है. जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यहां से पार्टी प्रत्याशी अपराजिता सारंगी की तस्वीरें हैं. लेकिन इनमें धर्मेंद्र प्रधान नजर नहीं आ रहे हैं.


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हालांकि पार्टी, धर्मेंद्र प्रधान के नेतृत्व में एकजुट टीम के रूप में खुद को पेश कर रही है लेकिन सारंगी की हैसियत इससे अलग लग रही है.

कौन हैं अपराजिता सारंगी

बिहार में जन्मी 1994 बैच की ओडिशा कैडर की आईएएस सांरगी ने बीते साल स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली और नवंबर में भाजपा में शामिल हो गईं. वह केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय में संयुक्त सचिव (मनरेगा) के पद पर थीं. अपराजिता की शादी ओडिशा कैडर के आईएएस अफसर संतोष सारंगी से हुई है. वह अभी सेवा में हैं और केंद्र में नियुक्त हैं.

अपराजिता ओडिशा में कई पदों पर काम कर चुकी हैं. इनमें भुवनेश्वर नगर निगम आयुक्त, खुर्दा जिला कलेक्टर और ओडिशा सरकार में स्कूल एवं जनशिक्षा व पंचायती राज सचिव के पद शामिल हैं. परोक्ष रूप से सत्ता समीकरण में हो रहे बदलाव की एक वजह यह समझी जा रही है कि भाजपा लोकसभा चुनाव में बहुमत नहीं पाने की स्थिति में नवीन पटनायक की बीजू जनता दल से गठबंधन की तरफ देख रही है.

पटनायक कह चुके हैं कि किसी को भी केंद्र में बहुमत नहीं मिलने जा रहा है और उनकी पार्टी केंद्र सरकार के गठन में बड़ी भूमिका निभाने जा रही है. हालांकि, भाजपा ने साफ किया है कि पार्टी में किसी भी तरह से कोई पावर शिफ्ट नहीं हो रहा है.


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एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि केवल सारंगी ही नहीं, पूरे ओडिशा में ऐसे कई पार्टी प्रत्याशी हैं. जिन्होंने अपने पोस्टर पर केवल खुद की और नरेंद्र मोदी की तस्वीर लगाई हुई है. इसमें कोई खास बात नहीं है. उन्होंने कहा, ‘अगर सत्ता समीकरण बदले होते तो धर्मेंद्र प्रधान पूरे राज्य में पार्टी के लिए प्रचार नहीं कर रहे होते. यह अपराजिता सारंगी कर रही होतीं.’

(आईएएनएस के इनपुट्स के साथ)

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