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Sunday, 22 December, 2024
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भव्य बिश्नोई: अपने दादा भजनलाल का सपना करूंगा पूरा, हिसार को बना दूंगा राजधानी

भव्य का कहना है कि मेरे दादाजी ने कहा था के दोबारा मुख्यमंत्री बनूंगा तो हिसार को राजधानी बनूंगा. मैं उनके सपने को आगे लेकर जाऊंगा. बशर्ते लोग मेरा साथ दें.

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नई दिल्ली: हिसार लोकसभा सीट हरियाणा की सबसे चर्चित सीटों में से एक बन गई है. यहां तीन राजनीतिक वंशज आमने-सामने हैं. एक तरफ है हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल परिवार, दूसरी तरफ है पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल का परिवार- चौटाला परिवार और तीसरा केंद्रीय इस्पात मंत्री बीरेंद्र सिंह का परिवार. 

भजनलाल का परिवार करीब पिछले पांच दशक से हरियाणा की राजनीति में सक्रिय है तो चौधरी देवीलाल का परिवार भी करीब इतने ही समय से राजनीति का हिस्सा है. बता दें कि दुष्यंत ने 2018 के अंत में पारिवारिक विवाद के चलते अपने परदादा देवीलाल की पार्टी इनेलो से अलग होकर जेजेपी पार्टी बनाई थी. बीरेंद्र सिंह किसान नेता चौधरी छोटूराम के परिवार से नाता रखते हैं. अब जब दशकों से राजनीति में दखल रखने वाले परिवार वाले चुनावी घमासान में आमने-सामने हों तो चर्चा आम बात है. अब इन नेताओं की तीसरी चौथी पीढ़ी चुनावी घमासान में उतर आई है.    

विदेश से पढ़ा-लिखा बनाम सिविल सर्वेंट

कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई(26) से ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़कर लौटे हैं. हिसार में पले-बढ़े भव्य की शुरुआती पढ़ाई दिल्ली के श्रीराम स्कूल से हुई है. देवीलाल की चौथी पीढ़ी के दुष्यंत चौटाला(31) भी विदेश से पढ़कर लौटे थे और 16वीं लोकसभा के सबसे कम उम्र के सांसद थे. दुष्यंत को झज्जर के कुछ ग्रामीण लोग इस तरह याद करते हैं, ‘वो दूसरा ताऊ देवीलाल सै. संसद मह ट्रैक्टर बाड़ दिया था.’ (वो दूसरा ताऊ देवीलाल है, अपनी मांग मंगवाने के लिए वह संसद में ट्रैक्टर लेकर पहुंच गया था.) बृजेंद्र केंद्रीय इस्पात मंत्री बीरेंद्र सिंह के बेटे हैं. बृजेंद्र इंडियन सिविल सर्विसेज की नौकरी से इस्तीफा देकर राजनीति में एंट्री कर रहे हैं. सिविल सर्विस के अपने बैच में उन्होंने नौवीं रैंक हासिल की थी. 

इस सीट पर एक और रोचक चीज देखने को मिल रही है. इन तीनों ही उम्मीदवारों के घर-परिवार की महिलाएं चुनावी प्रचार में उतर आई हैं. दुष्यंत चौटाला के लिए उनकी मां नैना चौटाला, बृजेंद्र के लिए उनकी पत्नी व बारहवीं क्लास से उत्तीर्ण हुई बेटी कुदरत और भव्य बिश्नोई के लिए उनकी मां रेणुका बिश्नोई चुनाव प्रचार कर रही हैं. ये पहली बार हुआ है कि हरियाणा में राजनीतिक परिवारों की महिलाएं चुनाव प्रचार करने मैदान में उतरी हों. इससे पहले वो सिर्फ तभी चुनावी प्रचार का हिस्सा बनती थीं जब वो खुद चुनाव लड़ती थीं.


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इस बात पर हिसार के प्रदीप कहते हैं, ‘लोगों में बातें होती थीं कि हुड्डा सरकार भी पर्दे के पीछे से आशा हुड्डा ही चला रही हैं. राजनीतिक परिवारों की कुछेक महिलाओं ने चुनाव लड़ें हैं तो भी वो चुनावी प्रक्रिया में इस तरह शामिल नहीं होती थीं. इस बार इन तीनों ही प्रमुख उम्मीदवारों के परिवार की महिलाएं खुलकर सामने आ गई हैं.’

पहली बार महिलाएं उतरीं प्रचार -प्रसार के लिए नैना चौटाला- रेणुका बिश्नोई/ साभार-सोशल मीडिया

एक तिहाई जाट वोटर्स बन गया था बिश्नोई परिवार का गढ़ 

एक तिहाई वोटर्स वाली ये सीट 2014 से पहले भजनलाल परिवार के लिए महत्वपूर्ण रही है. 2009 में इस सीट से भजनलाल जीते थे और 2011 में भजनलाल की मृत्यु के बाद उपचुनाव में कुलदीप बिश्नोई. लेकिन 2014 में देवीलाल परिवार की चौथी पीढ़ी के दुष्यंत चौटाला यहां से सांसद बने और इस किले पर फतह कर ली. भजनलाल की छवि एक गैर जाट नेता की रही है. उनकी मृत्यु के बाद अखबारों ने लिखा था कि गैर जाटों को लामबंद करने वाला नेता नहीं रहा. भजनलाल के बाद भाजपा भी अपनी गैर जाट पार्टी की छवि बनाने में कामयाब रही है. इसलिए इस सीट से भाजपा ने जाट उम्मीदवार को खड़ा कर जाट और गैर जाट, दोनों ही वोटर्स को अपने पाले में करने का प्रयास किया है.

सोशल मीडिया पर भी लगातार एक्टिव हैं तीनों उम्मीदवार

सोशल मीडिया आज के समय में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक टूल है. हिसार सीट के तीनों ही पॉपलुर कैंडिडेट सोशल मीडिया पर अपने चुनावी कैंपेन में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. सोशल मीडिया पर लोकप्रियता की बात करें तो दुष्यंत चौटाला तीनों उम्मीदवारों में सबसे आगे हैं. फेसबुक पर उनके 720,345 फॉलोअर्स हैं तो ट्विटर पर 95.5 हजार फॉलोअर्स. उसके बाद भव्य बिश्नोई के फेसबुक पर 79,291 और ट्विटर पर 11.3 हजार फॉलोअर्स हैं. वहीं, बृजेंद्र के फेसबुक पर 41,358 और ट्विटर पर 25.8 हजार फॉलोअर्स हैं. तीनों ही सोशल मीडिया के जरिए अपने वोटर्स से अपील कर रहे हैं.

भव्य बिश्नोई- दुष्यंत चौटाला-बृजेंद्र, प्रचार प्रसार के दौरान/ साभार-सोशल मीडिया

कोई काम के दम पर वोट मांग रहा तो कोई देश के नाम पर

दुष्यंत चौटाला हिसार लोकसभा सीट के मौजूदा सांसद हैं और बाकी दोनों उम्मीदवार इस चुनाव से राजनीति में डेब्यू कर रहे हैं. चुनावी प्रचार में दुष्यंत बीते साल में किए गए अपने काम के लिए वोट मांग रहे हैं तो भव्य का कहना है कि वो नए हैं और उनके पास विजन है. वहीं, बृजेंद्र खट्टर सरकार और भाजपा के किए कामों के आधार पर वोट मांग रहे हैं. लेकिन एक जरूरी बात यहां से निकल कर आती है कि भाजपा और अन्य पार्टियों के जाट-गैर जाट वाले बयानों के बावजूद तीनों ही उम्मीदवार जाति की राजनीति की बात नहीं कर रहे हैं.


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 हिसार से कांग्रेस प्रत्याशी भव्य बिश्नोई से दिप्रिंट ने पूछा कि आप क्या उम्मीद लेकर राजनीति में प्रवेश कर रहे हैं, तो उन्होंने कहा- 

दादा का सपना पूरा करूंगा, हिसार को राजधानी बना दूंगा

मुझे ज्यादा तो कुछ याद नहीं है लेकिन मेरे दादाजी ने कहा था कि दोबारा मुख्यमंत्री बनूंगा तो हिसार को राजधानी बनाउंगा. मैं उनके सपने को आगे लेकर जाऊंगा. बशर्ते लोग मेरा साथ दें.’

राजनीति में वंशवाद और नेपोटिज्म की बात पर भव्य का कहना है, ‘ये बात भी सच है कि डॉक्टर का बच्चा डॉक्टर बनता है और वकील का बच्चा वकील. राजनेता का बच्चा राजनेता बने तो इसमें कोई बुराई नहीं है. हम बचपन से ही राजनीति के माहौल मे पले-बढ़े होते हैं. एक तरह से प्रिविलेज्ड हैं कि शुरू से ही सीखने को मिला. लेकिन फिल्मों की तरह यहां का फॉर्मुला भी है. राजनीति में एंट्री भले ही आसान हो लेकिन उसके बाद अगर जनता ने आपको पंसद नहीं किया तो आप कामयाब नेता नहीं बन पाएंगे.’

उन्होंने मोदी लहर और भाजपा प्रत्याशी बृजेंद्र पर कहा, ‘वो एक आईएएस रह चुके हैं. जो हम शायद ही बन पाएं. तो व्यक्तिगत तौर पर उनका पूरा सम्मान है. लेकिन किसी गांव में वो निजी तौर पर नहीं गए हैं. उन्हें अफसरों के साथ फोटो खिंचाने से फुर्सत नहीं है. किसी गांव का नाम तक याद नहीं है.’

दुष्यंत चौटाला पर भी निशाना साधते हुए बोला, ‘दुष्यंत ने जिनके साथ गठबंधन किया है वो पंजाब के विधानसभा चुनावों में कह रहे थे कि एसवाईएल नहर की एक बूंद हरियाणा में नहीं जाने देंगे. वो हरियाणा के किसानों की समस्या किस तरह सुलझाएंगे.’

अगर राजनेता नहीं होते तो क्या बनते के जवाब में भव्य कहते हैं, ‘मैं क्रिकेटर होता. छोटा भाई अभी चेन्नई सुपर किंग्स में है. मैंने भी दिल्ली स्टेट से खेला हुआ है. फिर छोड़ दिया. देश में अच्छे क्रिकेटर तो हैं लेकिन अच्छे राजनेताओं की कमी है.’

जैसा कि हमने बताया कि भव्य चार साल विदेश में पढ़कर आए हैं और स्कूली पढ़ाई भी गुरुग्राम और दिल्ली से हुई है. ऐसे में हरियाणवी लोगों से आसाने कनेक्ट ना कर पाने करने को लेकर पर भव्य ने बतााया, ‘हरियाणवी मुझे सौ बटा सौ आती है. मेरा घर हिसार में ही है. मैंने पिछले लोकसभा चुनाव में भी अपने पिताजी के लिए चुनावी प्रचार में हिस्सा लिया था. पिछले कुछ समय से गांव-गांव जा भी रहा हूं.’


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क्या है हिसार की जाट और गैर जाट राजनीति 

हिसार की राजनीति पर लगातार नजर रख रहे स्थानीय पत्रकार विजेंद्र बताते हैं, ‘जाट वोटर्स और जाट नेताओं में इस बात का विरोध है कि दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाला रड़क (खुन्नस) यानी बदले की राजनीति करते हैं और बीजेपी की बी टीम के रूप में काम कर रहे हैं.’

गौरतलब है कि बदले की राजनीति का आरोप लगाकर ही जींद से जेजेपी के पंचायती प्रकोष्ठ प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप गिल ने हाल ही में पार्टी को अलविदा कहा है. प्रदीप गिल ने आरोप लगाया है कि जेजेपी ने बदले की भावना से जींद उपचुनाव में रणदीप सुरजेवाला के खिलाफ दिग्विजय को उतारा और अब फिर सोनीपत लोक सभा में कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ दिग्विजय को उतारा है.

विजेंद्र आगे बताते हैं, ‘जाट वोटर्स में ये भावना है कि जेजेपी जाट नेताओं को ही कमजोर करने में लगी है. लोग इस बात की भी चर्चा कर रहे हैं कि दिग्विजय चौटाला ने सोनीपत से उतरकर अपने भाई और हिसार से जेजेपी प्रत्याशी दुष्यन्त चौटाला को कमजोर किया है. जबकि चुनाव न लड़कर वो इनको हिसार में मजबूत कर सकते थे.’

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