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Sunday, 5 May, 2024
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हरियाणा : कॉलेज प्रोफेसर बोले गैंगरेप आम बात, पुलिस सुरक्षा लेकर स्पेशल मत फील करो

पिछले साल हरियाणा के रेवाड़ी जिले में 19 वर्षीय अनीता (बदला हुआ नाम) के साथ हुए जघन्य गैंग रेप मामले में अब भी अभियुक्तों को सजा नहीं हुई है. पीड़िता के परिवार को जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं.

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नई दिल्ली: हरियाणा के रेवाड़ी जिले में पिछले साल 19 वर्षीय अनीता (बदला हुआ नाम) के साथ हुए जघन्य गैंगरेप मामले में अभी तक आरोपियों को सजा नहीं हुई है. पीड़िता के परिवार वालों को जान से मारने तक की धमकियां मिल रहीं है. वहीं पीड़िता के परिवार वालों ने नाहड़ सरकारी कॉलेज पर पीड़िता को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने और जान बूझकर परीक्षा न देने के आरोप भी लगाए हैं.

गौरतलब है कि इस गैंगरेप में कुल 8 लोगों पर आईपीसी की धारा 328 (जबर्दस्ती नशीला पदार्थ देना), धारा 365 (अपहरण) और धारा 376 (बलात्कार) के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था. इनमे तीन अभियुक्त जमानत पर बाहर हैं.

पीड़िता की मां ने दिप्रिंट को बताया,’तमाम तरह की काउंसलिंग के बाद बेटी का नाहड़ कॉलेज में बीएससी के कोर्स में दाखिला कराया था. उसकी मानसिक स्थिति ठीक रखने के लिए पुलिस की कड़ी सुरक्षा और परिवार के एक सदस्य के बीच उसे अलग कमरे में परीक्षा दिलाई जा रही थी. लेकिन 18 मई को उसके कैमेस्ट्री के एग्जाम के दिन परीक्षा अधीक्षक सुषमा यादव ने कहा कि कोर्ट से लिखित में लाइए वरना पेपर नहीं दिला पाएंगे.’


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उन्होंने आपबीती सुनाते कहा, ‘सुषमा यादव (सहायक प्रोफेसर, नाहड़ कॉलेज) पीड़िता के गांव से ही हैं. उन्होंने ने आरोपी परिवारों के इशारे पर रेप पीड़िता को मानसिक रूप से आघात पहुंचाने के लिए ताना मारा. तुम अकेली लड़की नहीं हो जिसके साथ ऐसा हुआ है. आम घटना है. इतना स्पेशल महसूस मत करो.’

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‘इस घटना के बाद मेरी बेटी की मानसिक हालत खराब हो गई और वो जोर-जोर से रोने लगी. डेढ़ घंटे तक मैं कॉलेज प्रशासन से आग्रह करती रही, लेकिन फिर बेटी की हालत बिगड़ी तो पुलिस सिक्योरिटी वाले उसे अस्पताल लेकर गए और मैं घर आ गई.’

मामला जब आगे बढ़ा तो रेवाड़ी के उपायुक्त यशेंद्र सिंह ने महिला थाना प्रबंधक, महिला एवं बाल विकास विभाग, प्राचार्य डाईट हुसैनपुर और उप पुलिस अधीक्षक को साथ लेते हुए एक कमेटी गठित कर मामले की जांच कराई. कमेटी ने अपनी तहकीकात के बाद अगस्त महीने में रिपोर्ट जमा करा दिया.

दिप्रिंट से बात करते हुए यशेंद्र सिंह ने कहा, ‘हमने मामले की निष्पक्ष जांच की और पाया कि पीड़ित परिवार के आरोप सही थे. हमने मामले की रिपोर्ट उच्च शिक्षा विभाग चंडीगढ़ भेज दी थी. आगे की कार्रवाई शिक्षा विभाग ही करेगा. अगर पीड़ित परिवार मामले की जांच या कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है तो उन्हें पूरा हक है कि वो मामले को आगे ले जाएं.’

क्या कहती है रिपोर्ट?

लेकिन सारे बयान, शिकायत और ड्यूटी चार्ट के आधार पर कमेटी ने पाया कि अजीत सिंह और जगत सिंह(प्रोफेसर) की ड्यूटी उस दिन नाहड़ कॉलेज में नहीं लगाई गई थी. लेकिन फिर वो 18 मई को केंद्र में गए और पीड़िता के साथ बातचीत की. परीक्षा अधीक्षक सुषमा यादव को भी दोषी पाया गया है कि उन्होंने गैर—जिम्मेदारी और लापरवाही बरतते हुई पीड़िता को परीक्षा देने से रोका. रिपोर्ट में मामले में तीनों ही प्रोफेसर्स को दोषी ठहराया गया है.

आरोपी सहायक प्रोफेसर सुषमा यादव का इस मामले में पक्ष है कि यूनिवर्सिटी के नियमों के मुताबिक कोर्ट या यूनिवर्सिटी के लिखित आदेश के बिना किसी भी छात्र या छात्रा को अलग नहीं बैठाया जा सकता. जब पीड़िता से उसकी निर्धारित सीट पर बैठने के लिए कहा तो उसने मना कर दिया.

वहीं मामले में तीनों आरोपी प्रोफेसर्स ने ये बयान भी दिया है कि पीड़िता कॉलेज की रेग्युलर छात्रा है और उसकी हाजिरी भी पूरी है तो उसे अलग से क्यों बैठाया जाए. लेकिन पीड़िता की मां का दावा है कि उनकी बेटी एक भी दिन कॉलेज नहीं गई क्योंकि कॉलेज ने उन्हें आश्वासन दिया था कि बच्ची की मानसिक स्थिति ठीक रहे इसके लिए उसे रियायत दी जा रही है.


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कॉलेज प्रिंसिपल ने गलती स्वीकारी

रिपोर्ट में स्कूल की प्रिंसिपल कृष्णा ने स्वीकार है कि उन्हें पीड़िता के साथ हुई जघन्य अपराध की जानकारी नहीं थी, अन्यथा पीड़िता के साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया जाता. कृष्णा का यह भी कहना है कि उन्होंने पीड़िता की मां से फोन कर माफी भी मांगी और उसी दिन पीड़िता से अच्छे से, सम्मानजनक और सुचारू रूप से पेपर देने का आग्रह भी किया. इस पेपर के बाद पीड़िता के परिवार ने यूनिवर्सिटी से लिखित आदेश लाकर बाकी की परीक्षाएं अलग कमरे में पुलिस की मौजूदगी में ही दिलाए. इसके साथ ही सुषमा यादव को परीक्षा केंद्र अधीक्षक के पद से भी हटा दिया गया था.

लेकिन पीड़िता की मां का गंभीर आरोप है कि उनकी बच्ची को जान-बूझकर सामूहिक बेज्जती करने के उद्देश्य से ऐसा किया गया और अगर इन सभी प्रोफेसर पर उचित कार्रवाई नहीं होती है तो वो चंडीगढ़ जाकर अधिकारियों के दरवाजे खटखटाएंगी.

दिप्रिंट से बात करते हुए कृष्णा ने बताया, ‘मेरा तबादला सितंबर महीने में गुरुग्राम हो गया था, तब तक सभी आरोपी प्रोफेसर पर चंडीगढ़ विभाग से कोई एक्शन नहीं लिया गया था. मुझे नहीं पता कि अब भी वो वहां पढ़ा रहे हैं या नहीं. जब मुझे पता चला कि बच्ची के साथ ये जघन्य अपराध हुआ है तो मुझे बुरा लगा और मैंने सुषमा यादव को ड्यूटी से हटाकर किसी और को उनकी जगह लगा दिया था.’

मौजूदा प्रिसिंपल डॉ सूर्यपाल ने दिप्रिंट को बताया,’अभी उन्हें हायर एजूकेशन विभाग से इन शिक्षकों को पर अभी तक किसी भी प्रकार की कोई भी कार्रवाई का निर्देश नहीं मिला है.’

परिवार का आरोप- पुलिस ने भ्रमित किया

पीड़ित परिवार का ये भी कहना है कि पुलिस ने उन्हें लगातार भ्रमित किया है. लेकिन नाहड़ पुलिस थाने के एसएचओ विकास कुमार ने इन आरोपों को निराधार बताते हुआ दिप्रिंट को बताया, ‘पीड़ित परिवार से मेरी चार दिन पहले ही बात हुई है. इस मामले में जब उन्होंने हमसे एफआईआर लिखने की बात की थी तो हमने उन्हें साफ-साफ बताया था कि डीसी ने एक कमेटी बनाई है. उस कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर शिक्षा विभाग ही कुछ कार्रवाई कर सकता है. बिना शिक्षा विभाग की डिपार्टमेंटल कार्रवाई के हम क्रिमिनल धाराएं नहीं लगा सकते.’

क्या था मामला ?

सिंतबर 2018 में नयागांव की 19 वर्षीय अनीता के घर से महज दो किलोमीटर दूर आरोपी लड़कों ने एक कोठरी में सामूहिक बलात्कार किया. अनीता उस दिन कोचिंग के लिए कनीना गई थी. मुख्य साजिशकर्ता नीशू फोगाट ने उसे कनीना बस स्टैंड पर कुछ नशीला पदार्थ पिलाया और गाड़ी में लेकर वापस गांव आए. इस गैंगरेप में आर्मी का एक जवान पंकज यादव भी शामिल था जो उस वक्त राजस्थान के कोटा में तैनात था. पीड़िता के पिता ने पंकज को बचपन में खेलों की ट्रेनिंग दी थी और पीड़िता उसे बचपन से जानती थी. गैंगरेप के बाद पीड़िता की हालत बिगड़ी तो उसका पड़ोस के एक झोलाछाप डॉक्टर से इलाज कराकर उसी बस स्टैंड पर छोड़ आए जहां से उसका अपहरण किया था. इतना ही नहीं आरोपियों ने पीड़िता के पिता से फोन कर उसकी खराब हालत की जानकारी भी दी और बेहोशी की हालत में छोड़कर चले गए.


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इस घटना के एक साल बाद भी पीड़िता मानसिक और शारीरिक रूप से नहीं उबर पाई है. 24 घंटे पुलिस निगरानी में रहती है और बाहर आना जाना बंद हो गया है. पीड़िता की मां का डर है कि अगर कॉलेज के प्रोफेसर उसके साथ ऐसा कर सकते हैं तो बाकी समाज तो उसे जीने नहीं देगा.

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