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Monday, 7 October, 2024
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यूएई : भारतीय मूल के डॉक्टर ने पहली बार किया बच्ची का यकृत प्रतिरोपण

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दुबई, 10 जुलाई (भाषा) भारतीय मूल के एक डॉक्टर ने चार साल की बच्ची का सफलतापूर्वक यकृत (लिवर) प्रतिरोपण किया है जो संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में अपनी तरह का पहला ऑपरेशन है।

यह यूएई में जीवित दानदाता का यकृत लेकर बच्ची में प्रतिरोपण करने का पहला मामला है। बुर्जील मेडिकल सिटी (बीएमसी) में डॉ. रेहान सैफ के नेतृत्व में चिकित्सकों की एक टीम ने इस महत्वपूर्ण सर्जरी को अंजाम दिया।

अबू धाबी में जन्मी रजिया खान को ‘प्रोग्रेसिव फैमिलियल इंट्राहेपेटिक कोलेस्टेसिस टाइप 3’ (पीएफआईसी) नामक एक दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी थी। रजिया के परिवार को पीएफआईसी के घातक परिणाम की जानकारी थी क्योंकि उनकी पहली बेटी की तीन साल पहले इसी बीमारी से भारत में मौत हो गई थी।

रजिया की उम्र प्रतिरोपण के लायक होने तक नियमित तौर पर उसका इलाज और जांच की जा रही थी। रजिया इस बीमारी के चलते स्कूल नहीं जा पा रही थी और उसका शारीरिक विकास भी सामान्य बच्चों की तरह नहीं हो रहा था।

रजिया के पिता इमरान खान ने कहा, ‘‘इसी बीमारी से एक बेटी को खो देने की वजह से हर दिन भय के साथ गुजरता था। मुझे पता नहीं था कि क्या होगा। हर दिन मुझे उसे खोने की आशंका सताती रहती थी।’’

इमरान भारतीय हैं और पिछले 14 साल से यूएई में रह रहे हैं। वह व्यापार समन्वयक का कार्य करते हैं।

तीन महीने पहले नियमित जांच के दौरान रजिया का यकृत बढ़ा हुआ पाया गया और डॉक्टरों ने प्रतिरोपण पर विचार करने की सलाह दी।

बुर्जील एब्डॉमिनल मल्टी-ऑर्गन ट्रांसप्लांट प्रोग्राम के प्रतिरोपण सर्जरी विभाग के निदेशक डॉ. सैफ ने कहा, ‘‘रजिया की स्थिति आनुवंशिक विकृति के कारण पैदा हुई जिसके कारण पित्त अवयव और पित्त अम्लों का निर्माण तथा स्राव असामान्य होता है और अंतत: यकृत को नुकसान पहुंचता है।’’

डॉ. सैफ मूल रूप से बेंगलुरु से हैं और वह भारत से ब्रिटेन चले गए थे। वह इस समय ब्रिटिश नागरिक हैं और यूएई में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बीमारी का एकमात्र इलाज यकृत प्रतिरोपण है।

उनके नेतृत्व में चिकित्सकों की टीम ने दानकर्ता और प्राप्तकर्ता की एक साथ सर्जरी की जो करीब 10 घंटे तक चली। उन्होंने कहा, ‘‘यह यूएई के चिकित्सा समुदाय के लिए बड़ी उपलब्धि है। यह सुनिश्चित करता है कि रजिया जैसे बच्चों को जीवनरक्षक इलाज के लिए विदेश जाने की जरूरत नहीं है। हमें गर्व है कि हम इस उपलब्धि तक पहुंचे और भविष्य में और परिवारों की मदद करना चाहते हैं।’’

भाषा धीरज नेत्रपाल

नेत्रपाल

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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