इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने भारत में जेल में बंद कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक की पत्नी मुशाल हुसैन मलिक को देश के नवनियुक्त कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवारुल हक काकड़ की विशेष सलाहकार नियुक्त किया है.
राष्ट्रपति आरिफ अल्वी द्वारा राष्ट्रपति भवन ऐवान-ए-सद्र में 19 सदस्यीय कार्यवाहक मंत्रिमंडल को शपथ दिलाने के बाद बृहस्पतिवार देर रात को जारी की गई प्रधानमंत्री के पांच विशेष सलाहकारों (एसएपीएम) की सूची में मुशाल हुसैन मलिक का नाम भी शामिल था.
मुशाल एक पाकिस्तानी नागरिक हैं जिन्होंने मलिक से विवाह किया है. उन्हें मानवाधिकार और महिला सशक्तिकरण के लिए, कार्यवाहक प्रधानमंत्री काकड़ का विशेष सलाहकार नियुक्त किया गया है. बता दें कि मुशाल मलिक का ट्विटर (X) और इंस्टाग्राम को बंद कर दिया गया है.
एक विशेष सलाहकार का दर्जा एक कनिष्ठ मंत्री से कम होता है, लेकिन वह प्रमुख प्रासंगिक मुद्दों पर प्रधानमंत्री को मदद प्रदान करता है.
अन्य चार विशेष सलाहकारों में जवाद सोहराब मलिक को विदेशी पाकिस्तानियों के लिए एसएपीएम नियुक्त किया गया है, वाइस एडमिरल (सेवानिवृत्त) इफ्तिखार राव को समुद्री मामलों पर सलाहकार, टीवी एंकर और लेखक वसीह शाह को पर्यटन पर और सैयदा आरिफा जहरा को संघीय शिक्षा और पेशेवर प्रशिक्षण पर सलाहकार नियुक्त किया गया है.
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लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से ग्रेजुएट हैं मुशाल
बता दें मुशाल ने लगातार पाक अधिकृत कश्मीर में कई वर्षों तक कश्मीर और भारत विरोधी अभियान चलाती रही हैं. उन्होंने 22 फरवरी 2009 को रावलपिंडी में अलगाववादी नेता यासीन मलिक से शादी की. बताते हैं कि यासीन और मुशाल की मुलाकात 2005 में तब हुई थी जब यासीन पाकिस्तान गए थे. दोनों की 12 वर्षीय बेटी रजिया सुल्ताना हैं और वह इस्लामबाद में उसके साथ रहती हैं.
मुशाल अर्थशास्त्र में ग्रैजुएट हैं और उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से डिग्री हासिल की है.
मुशाल की मां रेहाना हुसैन मलिक पीएमएल-एन महिला विंग की महासचिव रही थीं, जबकि उनके पिता एमए हुसैन मलिक एक अंतरराष्ट्रीय अर्थशास्त्री थे.
हुसैन जर्मनी के बॉन विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के प्रमुख थे और नोबेल पुरस्कार जूरी के पहले पाकिस्तानी सदस्य भी थे.
यासीन को मई में आतंकी वित्त पोषण के मामले में निचली अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने दिल्ली की तिहाड़ जेल में सजा काट रहे यासीन के लिए मौत की सजा की मांग करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया है.
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