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Saturday, 16 November, 2024
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जलवायु संकट से निपटने में दुनिया की सफलता आंशिक रूप से भारत के फैसलों पर निर्भर: डोनाल्ड लू

अमेरिका के सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू ने कहा कि 2030 तक भारत में 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता बनाने के PM मोदी के संकल्प का हम बहुत सम्मान करते हैं.

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वाशिंगटन: जलवायु परिवर्तन के सिलसिले में महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए भारत और अन्य देशों के साथ मिलकर काम करने का संकल्प व्यक्त करते हुए अमेरिका के सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू ने कहा है कि जलवायु संकट से निपटने में दुनिया की सफलता आंशिक रूप से भारत द्वारा लिए गए निर्णयों पर निर्भर करेगी.

‘पीटीआई’ को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि अमेरिका प्रौद्योगिकी और वित्तीय सहायता के माध्यम से इस प्रयास का साथ देने के लिए कटिबद्ध है.

उन्होंने कहा, ‘‘मैं कहूंगा कि वर्तमान मुद्दों में से कोई भी जलवायु संकट से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है. जलवायु संकट का सामना करने में दुनिया की सफलता आंशिक रूप से भारत द्वारा लिए गए निर्णयों पर निर्भर करेगी.’’

ऊर्जा संबंधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी लक्ष्य का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘2030 तक भारत में 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता बनाने के प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) के संकल्प का हम बहुत सम्मान करते हैं.’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी टीम हर दिन इस चुनौती पर एकसाथ काम कर रही हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि न केवल अमेरिका और भारत, बल्कि भारत और बाकी दुनिया के मिलकर काम करने से हम वास्तव में इन महत्वाकांक्षी लक्ष्यों तक पहुंचेंगे.’’

एक सवाल के जवाब में डोनाल्ड लू ने कहा कि इस ग्रह का भविष्य कुछ हद तक हरित ऊर्जा के क्षेत्र में नेतृत्व करने की भारत की क्षमता पर निर्भर करता है.

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे कुछ चीजें पसंद हैं जो आज भारत के प्रमुख उद्योगपति कह रहे हैं. वह यह है कि भारत न केवल अपने लिए पर्याप्त हरित ऊर्जा का उत्पादन करेगा, बल्कि भारत दुनिया के लिए सबसे बड़ा हरित ऊर्जा निर्यातक बनना चाहता है.’’

भारत और अमेरिका के बीच ऊर्जा क्षेत्र में मजबूत द्विपक्षीय साझेदारी है. अप्रैल 2021 में, अमेरिका और भारत ने ‘यूएस-इंडिया क्लाइमेट एंड क्लीन एनर्जी एजेंडा 2030 पार्टनरशिप,’ की शुरुआत की थी.


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