(योषिता सिंह)
संयुक्त राष्ट्र, 23 फरवरी (भाषा) संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने यूक्रेन की सीमा पर सैनिकों की तैनाती के लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की आलोचना की और कहा कि दुनिया हाल के वर्षों में ‘वैश्विक शांति और सुरक्षा को लेकर सबसे बड़े संकट’ का सामना करना रही है।
उन्होंने रूस के कदम को यूक्रेन की संप्रभुता का उल्लंघन और मिन्स्क समझौते के लिए ‘बड़ा झटका’ करार दिया।
यूक्रेन में बिगड़ते हालात के मद्देनजर कांगो गणराज्य की अपनी निर्धारित यात्रा रद्द करने वाले गुतारेस ने कहा कि वह पूर्वी यूरोपीय देश के ताजा घटनाक्रमों से बहुत परेशान हैं, जिसमें संपर्क रेखा के पास संघर्ष-विराम उल्लंघन की घटनाओं में वृद्धि के अलावा जमीन पर टकराव का बढ़ता जोखिम शामिल है।
मंगलवार को संवाददाताओं से बातचीत में गुतारेस ने कहा, ‘‘हमारी दुनिया हाल के वर्षों में वैश्विक शांति और सुरक्षा को लेकर सबसे बड़े संकट का सामना कर रही है, खासतौर पर बतौर महासचिव मेरे कार्यकाल में। हम एक ऐसी घड़ी का सामना कर रहे हैं, जिसके बारे में मेरी दिली इच्छा थी कि यह कभी आए ही नहीं।’’
यूएन महासचिव ने दोहराया कि दोनेत्स्क और लुहान्स्क जैसे क्षेत्रों की तथाकथित ‘आजादी’ को मान्यता देने का रूस का फैसला यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का उल्लंघन है।
उन्होंने इस कदम को सुरक्षा परिषद द्वारा समर्थित मिन्स्क समझौतों के लिए एक ‘बड़ा झटका’ करार देते हुए कहा, ‘‘इस तरह का एकतरफा कदम यूएन चार्टर के सिद्धांतों का सीधा उल्लंघन करता है और महासभा की तथाकथित मैत्रीपूर्ण संबंध घोषणा के खिलाफ है, जिसे अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने बार-बार कहा है कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून का प्रतिनिधित्व करता है।’’
मिन्स्क समझौतों में वे अंतरराष्ट्रीय समझौते शामिल हैं, जिनमें यूक्रेन के दोनबास क्षेत्र में संघर्ष समाप्त करने की मांग की गई थी।
पहला समझौता, जिसे मिन्स्क प्रोटोकॉल के रूप में जाना जाता है, 2014 में यूक्रेन पर त्रिपक्षीय संपर्क समूह द्वारा तैयार किया गया था। इसमें यूक्रेन, रूसी संघ और यूरोप स्थित सुरक्षा एवं सहयोग संगठन (ओएससीई) शामिल थे। फ्रांस और जर्मनी के नेताओं ने इस समझौते में मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी। बेलारूस की राजधानी मिन्स्क में व्यापक वार्ता के बाद पांच सितंबर 2014 को इस समझौते पर मुहर लगी थी।
गुतारेस ने पूर्वी यूक्रेन में सेना भेजने के पुतिन के फैसले और इन सैनिकों को शांतिरक्षक बताए जाने की कड़ी आलोचना की।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं शांति स्थापना की अवधारणा के विकृत होने के बारे में भी चिंतित हूं। मुझे संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षा अभियानों की उपलब्धियों पर गर्व है, जिनके तहत बड़ी संख्या में शांतिरक्षक बलों ने नागरिकों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है।’’
गुतारेस ने कहा, ‘‘जब एक देश के सैनिक दूसरे देश में उसकी सहमति के बिना प्रवेश करते हैं तो वे निष्पक्ष शांतिदूत नहीं होते हैं। वे बिल्कुल भी शांतिदूत नहीं हैं।’’
महासचिव ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से शांति के लिए एकजुट होकर इस चुनौती का सामना करने और यूक्रेन के लोगों को युद्ध के संकट से बचाने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं खूनखराबे के बिना इस संकट को हल करने के सभी प्रयासों का पूरी तरह से समर्थन करता हूं। हम शांतिपूर्ण समाधान की तलाश में पीछे नहीं हटेंगे।’’
एक सवाल के जवाब में गुतारेस ने कहा कि मौजूदा संकट ‘‘अंत में रूस और यूक्रेन, दोनों के लिए बहुत हानिकारक साबित होगा।’’
पुतिन के इस दावे पर कि दोनेत्स्क और लुहान्स्क के खिलाफ कीव द्वारा की जा रही कार्रवाई नरसंहार है, यूएन महासचिव ने कहा, ‘नरसंहार एक अपराध है, जिसे स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है और जिसे अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप लागू किया जाना चाहिए। मुझे नहीं लगता कि इस मामले में यह लागू होता है।’
भाषा पारुल मनीषा
मनीषा
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