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Thursday, 21 November, 2024
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किसी भी देश को आतंकवाद-कट्टरपंथ फैलाने के लिए अफगानिस्तान की सरजमीं का इस्तेमाल नहीं करने देंगेः NSA

बैठक में रूस और भारत के अलावा, ईरान, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, चीन, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.

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नई दिल्लीः राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ गुरुवार को मॉस्को में विभिन्न द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की और दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी के क्रियान्वयन की दिशा में काम करते रहने पर सहमति जताई.

दूतावास ने ट्विटर कर कहा कि एनएसए डोभाल ने राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की.

ट्वीट में कहा गया है, “विभिन्न द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की गई. भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी के क्रियान्वयन की दिशा में काम करते रहने पर सहमति बनी.”

विदेश मंत्रालय ने देर रात एक बयान में कहा कि एनएसए डोभाल ने रूस के उप-प्रधानमंत्री डेनिस मांतुरोव और रूस के अपने समकक्ष निकोलई पेत्रुशेव से भी मुलाकात की और द्विपक्षीय रक्षा एवं आर्थिक सहयोग से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की.

रूसी राष्ट्रपति के आवास क्रेमलिन ने कहा कि पुतिन ने अफगानिस्तान पर बहुपक्षीय चर्चा में भाग लेने आए प्रतिनिधिमंडल के प्रमुखों से मुलाकात की है.

डोभाल ने बुधवार को अफगानिस्तान पर सुरक्षा परिषदों के सचिवों/एनएसए की पांचवीं बैठक में शिरकत की. यह बैठक रूस ने बुलाई है.

क्रेमलिन के मुताबिक, पुतिन ने कहा, “हम इस बात से भी चिंतित हैं कि गैर क्षेत्रीय ताकतें अफगानिस्तान के हालात का इस्तेमाल कर अपने आधारभूत ढांचा का विस्तार या उनके निर्माण की कोशिश कर रही हैं.”

उन्होंने कहा, “ये देश अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का मुकाबला करने के बहाने से ये करेंगे, लेकिन वे ऐसा कुछ नहीं कर रहे हैं जो वास्तविक तौर पर आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए असल में ज़रूरी है.”

पुतिन ने कहा, “ज़ाहिर तौर पर देश के हालात सुधार नहीं रहे हैं और हम यह देख रहे हैं. मानवीय स्थिति बदतर हो रही है.”

डोभाल ने बैठक में कहा कि किसी भी देश को आतंकवाद तथा कट्टरपंथ फैलाने के लिए अफगानिस्तान की सरजमीं का इस्तेमाल करने नहीं दिया जाना चाहिए और भारत अफगानिस्तान के लोगों को ज़रूरत के वक्त कभी अकेला नहीं छोड़ेगा.

बैठक में रूस और भारत के अलावा, ईरान, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, चीन, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.

भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने सोमवार को कहा था कि रूस, भारत के साथ अपने संबंधों में और विविधता लाना चाहता है.

एनएसए की यात्रा से करीब तीन महीने पहले विदेश मंत्री एस. जयशंकर रूस गए थे. इस दौरान दोनों पक्षों ने अपने आर्थिक संबंधों को विस्तार देने का संकल्प लिया था, जिसमें भारत द्वारा रूस से पेट्रोलियम उत्पादों का आयात भी शामिल है.

डोभाल जी-20 के विदेश मंत्रियों की दिल्ली में कुछ हफ्तों बाद होने वाली बैठक से पहले रूस गए हैं.

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव एक और दो मार्च होने वाली बैठक में हिस्सा लेने के लिए भारत आ सकते हैं.

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.


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