वाशिंगटन डीसीः बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे, साजिब वाजेद जॉय ने शनिवार को उन अफवाहों को खारिज कर दिया कि उनकी मां ने शरण के लिए आवेदन किया है. उन्होंने कहा कि उनका ऐसा कोई इरादा नहीं है और वह अपनी राजनीतिक स्थिति की परवाह किए बिना बांग्लादेश में अपने गांव के घर में सेवानिवृत्त होने की योजना बना रही हैं.
एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में साजिब वाजेद जॉय ने इस बात पर जोर दिया कि न तो उन्हें और न ही उनके परिवार को सत्ता का लालच है, और उनकी मूल प्रेरणा बांग्लादेश की बेहतरी के लिए काम करना है.
उन्होंने कहा, “ये सब अफवाहें हैं, मेरी मां ने कहीं भी शरण के लिए आवेदन नहीं किया है. उन्होंने अपना अधिकांश जीवन वहीं (बांग्लादेश में) बिताया है और वह देश से बाहर नहीं रहना चाहती हैं. इस कार्यकाल के अंत में उनकी योजना सेवानिवृत्त होकर अपने गांव के घर में रहने की है, चाहे वह राजनीति में हों या नहीं. वह घर वापस जाना चाहती हैं,”
शेख हसीना की राजनीति में वापसी की योजना के बारे में पूछे जाने पर, वाजेद ने निश्चित टिप्पणी करने से परहेज किया, उन्होंने कहा कि यह सवाल उनसे पूछा जाना चाहिए. उन्होंने बताया कि विदेश में रहने का विकल्प होने के बावजूद, उनकी मां ने देश के प्रति अपने गहरे प्रेम के कारण बांग्लादेश में रहना चुना है.
उन्होंने कहा, “इसका (कि हसीना राजनीति में वापसी करेंगी) मैं जवाब नहीं दे सकता, यह आपको उनसे पूछना होगा. मेरे परिवार में, मेरी मां के अलावा हममें से किसी को भी सत्ता या राजनीति का लालच नहीं रहा है. मेरा बाकी परिवार विदेश में बसा हुआ है. मैं लगभग 30 वर्षों से अमेरिका में बसा हुआ हूं. लेकिन हम अपने देश के लिए काम करना चाहते हैं,”
साजिब ने बांग्लादेश में लोकतंत्र और कानून व्यवस्था बहाल करने के लिए अपने परिवार की प्रतिबद्धता भी व्यक्त की. उन्होंने कहा, “हम बैठकर अपने देश के साथ ऐसा होते हुए नहीं देख सकते. लोकतंत्र को बहाल करने के लिए, कानून और व्यवस्था को बहाल करने के लिए, अपने देश के लोगों को सुरक्षित रखने के लिए – जो भी आवश्यक होगा, हम करेंगे,”
बांग्लादेश में मौजूदा स्थिति पर टिप्पणी करते हुए साजिब ने इसे अराजकतापूर्ण बताया, जिसमें कानून और व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है. उन्होंने अल्पसंख्यकों की दुर्दशा और कानून का शासन न होने पर भी प्रकाश डाला.
उन्होंने कहा, “कोई कानून और व्यवस्था नहीं है. अल्पसंख्यकों पर हमले हो रहे हैं. अब नागरिकों को ही कानून और व्यवस्था सुनिश्चित करने और सुरक्षा प्रदान करने की कोशिश करनी पड़ रही है. हमने अपने अवामी लीग के सदस्यों, खासकर युवाओं से कहा है कि वे अपने नेताओं की रक्षा करें और अल्पसंख्यकों की रक्षा करने का प्रयास करें. लेकिन निश्चित रूप से, पूरे देश में यह संभव नहीं है. पूरे देश में, कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने काम छोड़ दिया है; बांग्लादेश में अभी कोई पुलिस नहीं है,”
यह भी पढ़ेंः बांग्लादेश अब भारत का संभावित दुश्मन है, पाकिस्तान घोषित दुश्मन है, चीन खुला दुश्मन है