नई दिल्ली: ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स की कुलीन वर्ग की सेना के प्रमुख जनरल कासिम सुलेमानी को इराक में बगदाद हवाई अड्डे पर अमेरिकी हवाई हमले के दौरान मार दिया गया.
अमेरिका के रक्षा विभाग द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है राष्ट्रपति के निर्देश पर अमेरिकी सेना ने कासिम सुलेमानी की हत्या करके विदेश में अमेरिकी सैन्य कर्मियों की रक्षा के लिए निर्णायक रक्षात्मक कार्रवाई की है.
लंबे समय से अमेरिका ने ईरान पर अपने क्षेत्रीय प्रभाव को बनाए रखने के लिए पश्चिम एशिया में शिया मिलिशिया समूहों का समर्थन करने का आरोप लगाया है. ईरान के सभी विदेशी गुप्त विशेष अभियानों और प्रॉक्सी युद्धों के लिए सुलेमानी की क़ुद्स फ़ोर्स जिम्मेदार है, कई लोग उसे ईरान में दूसरा सबसे शक्तिशाली व्यक्ति मानते थे.
सुलेमानी केवल सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खुमैनी को रिपोर्ट करते थे और माना जाता था कि उन्हें ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी की तुलना में अधिक शक्ति प्राप्त थी.
अमेरिका और ईरान के बीच बिगड़ते रिश्तों के बीच विश्लेषकों का तर्क है कि यह अमेरिकी पक्ष की ओर से अब तक का सबसे गंभीर कार्रवाई हो सकती है.
सुलेमानी की हत्या संदर्भ देने की कोशिश कर रहे विद्वान स्टीफन वॉल्ट ने ट्वीट किया, ‘सोचिए कि हम कैसे प्रतिक्रिया देते हैं कि अगर कुछ सलाहकारों ने संयुक्त चीफ्स अंडरटेकरेटरी ऑफ स्टेट या डीएनआई (नेशनल इंटेलिजेंस के निदेशक) के एक सदस्य की हत्या कर दी है.’
यह भी पढ़ें : सुलेमानी पर ट्रंप का हमला पश्चिम एशिया को अस्थिर करेगा, भारत को किसी का पक्ष लेने से बचना चाहिए
सुलेमानी, वह व्यक्ति था जिसने ईरान के मध्य पूर्वी क्षेत्र को स्थापित किया था
सुलेमानी का जन्म 1957 में करमन प्रांत में एक निराश्रित किसान परिवार में हुआ था. 1979 की क्रांति के बाद ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स में शामिल होने से पहले वह एक कंस्ट्रक्शन वर्कर था. उनके सैन्य करियर की शुरुआत अयातुल्लाह रूहुल्लाह खुमैनी के तहत इस्लामी शासन स्थापित होने के बाद ही हुई थी. वह सेना में शामिल होता, सुलेमानी अपने खाली समय में खोमेनी के क्रांतिकारी व्याख्यानों को सुना करता था.
1988 में आठ वर्षीय ईरान-इराक युद्ध समाप्त होने के बाद तेहरान ने पूरे क्षेत्र में प्रभाव स्थापित करने के लिए नए दोस्त की खोज शुरू की. सुलेमानी तेहरान मध्य पूर्वी विदेश और सुरक्षा नीति के प्रमुख आर्किटेक्ट थे.
पूर्व एफबीआई एजेंट अली सूफान के जर्नल से पता चला है कि किसी और से अधिक सुलेमानी प्रभाव बनाने के लिए जिम्मेदार रहा है- जिसे ईरान एक्सिस ऑफ रेसिस्टेंस के रूप में देखता है- यह इराक, सीरिया और लेबनान के माध्यम से भूमध्य सागर के पूर्वी तटों तक फैली हुई है.
यह विचार सरल था- शिया शक्तियों और गैर-राज्य के लोगों का समर्थन करना ताकि सऊदी अरब के नेतृत्व वाली शक्तियों के क्षेत्रीय आधिपत्य को चुनौती दी जा सके और सुलेमानी ने ईरान की विदेश नीति के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक घातक तरीके से काम किया.
द न्यू यॉर्कर के लिए सुलेमानी के 2013 के प्रोफाइल में पत्रकार डेक्सटर फिलकिन्स ने उल्लेख किया है कि सुलेमानी ने पंद्रह साल पहले (1998 में) क़ुद्स फ़ोर्स की कमान संभाली और उस समय एक पावर ब्रोकर और एक सैन्य बल के रूप में उन्होंने ईरान के पक्ष में मध्य पूर्व को फिर से सत्ता में लाने की कोशिश की. प्रतिद्वंद्वियों की हत्या करते हुए और एक दशक से अधिक समय में इराक में सैकड़ों अमेरिकियों को मारने वाले आतंकवादी समूहों के एक नेटवर्क को निर्देशित किया था.
यह भी पढ़ें : खाड़ी में बढ़ रहा है तनाव, सुलेमानी को मारने का सीधा आदेश ट्रंप से आया था: पेंटागन
ईरान और सीरिया में सुलेमानी की भूमिका
1990 के दशक के उत्तरार्ध में अफगान तालिबान के खिलाफ ईरान के सैन्य प्रयासों की देखरेख से लेकर 2006 के युद्ध के दौरान लेबनान के हिजबुल्लाह को सलाह देने के लिए कि इज़राइल के साथ-साथ हूती में भी सुलेमानी के निसान देखने को मिलेंगे.
लेकिन हाल के दिनों में, सुलेमानी के दो महत्वपूर्ण हस्तक्षेप इराक और सीरिया में हुए थे.
2003 में सद्दाम हुसैन के शासन के गिर जाने के बाद इराक जल्दी से तेहरान पर पुर्नविचार करने लगा. जैसा कि हाल ही में ईरान केबल्स ने दर्शाया है कि इराक के अधिकांश राजनीतिक वर्ग अनिवार्य रूप से ईरानी सत्ता के दलालों के ग्राहक हैं और उन ईरानी दलालों में सुलेमानी सबसे प्रमुख थे.
इसके अलावा जब आईएसआईएस ने 2014 में इराक के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया, तो यह अनिवार्य रूप से सुलेमानी का शिया मिलिशिया था जिसने इस्लामिक स्टेट को हटाने में मदद की थी और एक बिंदु पर अमेरिकी जेट ने इराक में आईएसआईएस के खिलाफ लड़ने वाले सुलेमानी के मिलिशिया को हवाई कवर प्रदान किया.
सुलेमानी सीरिया में अपने नेता बशर अल-असद के खिलाफ 2011 की क्रांति के बाद ईरान के ‘प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सैन्य प्रयास‘ का नेता था और अगर आज असद सीरिया में जीत का दावा कर सकते हैं, तो कई तर्क देते हैं कि यह मुख्य रूप से सुलेमानी की रणनीति के कारण ही था.
सोफ़न लिखते हैं, ‘उनके (सुलेमानी के) दर्शकों में विभिन्न देशों के शिया मिलिशिया लोग हैं जो असद शासन के समर्थन में लड़ते हैं या इस्लामिक स्टेट समूह के खिलाफ हैं, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि उनकी प्रमुख वफादारी निहित है. न केवल ये समूह सुलेमानी के लिए गाना गाते हैं, बल्कि वे उग्रवादियों द्वारा पार्कर स्टंट करने वाले और जनरल को सलाम करते हुए संगीत वीडियो बनाते हैं.’
इरान के नेशनल हीरो
सुलेमानी ईरान की ज्यादातर क्षेत्रीय नीतियों को तय करते थे लेकिन पिछले कुछ सालों में वो ईरान के सार्वजनिक परिदृश्य से बाहर हो गए थे. हालांकि वो अभी भी पीछे से काम कर रहे थे.
बीबीसी ने 2015 में अपनी एक रिपोर्ट में दर्ज किया कि, एक व्यक्ति जिसे कुछ साल पहले तक ज्यादातर ईरानी लोग सड़कों पर भी नहीं पहचानते थे वो अब डाक्यूमेंट्री, न्यूज़ रिपोर्ट और यहां तक कि पॉप गानों का विषय बन गया है.
वो अक्सर सैनिकों के साथ युद्ध क्षेत्र में तस्वीर में देखे जाते थे, ईरान और इराक में सैनिकों के अंतिम संस्कार में शामिल होते थे लेकिन पिछले कुछ सालों में सुलेमानी ईरानी जनता के बीच नेशनल हीरो के तौर पर उभरे थे.
रिपोर्ट में लिखा गया कि, उन दिनों जब टेलीविज़न को शुरू करो तो आप ज्यादा देर तक जनरल कासिम सुलेमानी को देखे बिना नहीं रह सकते थे.
यह ध्यान में रखना होगा कि ईरान की अर्थव्यवस्था संघर्ष कर रही है और लोगों की आमदनी भी ढुलमुल है. सुलेमानी की क्षेत्रीय तरकीबे ईरान की सभ्यतायी गर्व के तौर पर देखी जाती थी.
सुलेमानी की मौत पर ईरान की प्रतिक्रिया
ईरान के विदेस मंत्री जावद जारिफ ने उनकी हत्या को अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद जैसा कदम बताया और यह घोषणा की कि यूएस को अपने दुष्ट साहस के परिणामों की भी जिम्मेदारी लेनी होगी.
यह भी पढ़ें : सुलेमानी की मौत के बाद अमेरिकी दूतावास ने अपने नागरिकों से इराक तुरंत छोड़ने को कहा
शीर्ष नेता खुमैनी ने ट्वीट किया, ‘जिन लोगों ने पिछली रात सुलेमानी को मारा है उनसे बदला लिया जाएगा. शहीद सुलेमानी प्रतिरोध के एक चरित्र थे और हम सभी लोग बदला लेना चाहते हैं.’
जैसा कि ऊपर जिक्र किया गया है सुलेमानी न केवल ईरान के दूसरे सबसे ताकतवर व्यक्ति थे बल्कि वो एक राष्ट्रीय चेहरा भी थे.
हालांकि कई अन्य विश्लेषकों का तर्क है कि जनरल सोलीमनी की हत्या ऐसी स्थिति है, जिसमें यह अनुमान लगाना लगभग असंभव है कि भविष्य में कार्रवाई का क्या रूप दिख सकता है.
इराकी पत्रकार रशा अल अकीदी ने ट्वीट किया, ‘चलो ईमानदार बनें. कोई गरम बहस अब कोई मतलब नहीं रखता है. इराक में काम करने वाले हम में से किसी ने कभी भी उनके बिना एक परिदृश्य का अनुमान नहीं लगाया.’
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)