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Tuesday, 19 November, 2024
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टीके की दो और तीन खुराक में ओमिक्रोन के खिलाफ सुरक्षा में क्या अंतर है?

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नाथन बार्टलेट, न्यूकासल विश्वविद्यालय

न्यूकासल (यूके) आठ फरवरी (द कन्वरसेशन) ऑस्ट्रेलिया के स्वास्थ्य मंत्री ग्रेग हंट ने पिछले हफ्ते कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि टीकाकरण पर ऑस्ट्रेलियाई तकनीकी सलाहकार समूह (एटीएजीआई) ‘पूरी तरह से टीकाकरण’ की परिभाषा को दो के बजाय तीन खुराक में बदल देगा।

ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इस तरह के सबूत सामने आए कि अत्यधिक संक्रामक ओमिक्रोन संस्करण में दो वैक्सीन खुराक से बचने की क्षमता है।

तो, ओमाइक्रोन के खिलाफ तीन की तुलना में दो खुराक कितनी प्रभावी हैं?

आइए इस बारे में बात करें

दो खुराक ओमाइक्रोन से ज्यादा रक्षा नहीं करती हैं

ओमिक्रोन के खिलाफ वैक्सीन सुरक्षा दो कारणों से कम हो जाती है।

सबसे पहले, टीकाकरण द्वारा उत्पन्न एंटीबॉडी समय के साथ धीरे-धीरे कम हो जाती हैं। ऐसे कई देश हैं जिन्हें अपने नागरिकों को कोविड वैक्सीन दिए एक वर्ष से अधिक समय हो गया है, बहुत से लोग ऐसे हैं, जिन्होंने छह महीने पहले कोविड की दूसरी डोज ली है।

बूस्टर डोज के बिना ऐसे लोगों के एंटीबॉडी स्तर में काफी गिरावट आ गई होगी। ऑस्ट्रेलिया ने वैक्सीन के मामले में शुरूआत ही धीरे की थी, लेकिन अब खुद को उसी तरह की स्थिति में पाता है।

दूसरा कारण यह है कि ओमिक्रोन उत्परिवर्तनों के अपने स्वभाव के कारण टीके से मिलने वाली प्रतिरक्षा से बच सकता है। इसका स्पाइक प्रोटीन (वह तत्व जो वायरस को हमारी कोशिकाओं तक पहुंचने में मदद करता है) डेल्टा और मूल वायरस से काफी अलग है, जिसे ध्यान में रखते हुए हमारे टीके तैयार किए गए हैं।

स्पाइक प्रोटीन का महत्वपूर्ण हिस्सा ‘रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन’ है। यह हमारी कोशिकाओं पर एसीई-2 नामक प्रोटीन से चिपक जाता है ताकि वायरस प्रवेश प्राप्त कर सके। रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन में डेल्टा के दो उत्परिवर्तन थे, और बीटा में तीन थे। ओमिक्रोन के रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन में 15 उत्परिवर्तन हैं। नतीजतन, टीके द्वारा उत्पन्न केवल कुछ एंटीबॉडी ही ओमिक्रोन के स्पाइक को आपकी कोशिकाओं में जाने से रोक पाते हैं।

इन कारणों से, उभरते हुए सबूत बताते हैं कि कोविड वैक्सीन की दो खुराक दूसरी खुराक के पांच से छह महीने बाद ओमिक्रोन के साथ संक्रमण के खिलाफ सिर्फ 0-10% सुरक्षा प्रदान करती है।

इसलिए, आप वास्तव में यह दावा नहीं कर सकते हैं कि अभी केवल दो खुराक के साथ आपका ‘पूरी तरह से टीकाकरण’ हो चुका है, खासकर तब जब आपकी दूसरी खुराक को महीनों हो गए हैं।

गंभीर बीमारी और अस्पताल में भर्ती होने से कुछ सुरक्षा बनी रहती है। यूके के आंकड़ों से पता चलता है कि एस्ट्राजेनेका या फाइजर की दो खुराक दूसरी खुराक के छह महीने बाद तक अस्पताल में भर्ती होने से लगभग 35% सुरक्षा प्रदान करती हैं।

तीन खुराक लेने का असर

बूस्टर खुराक लेने से आपके एंटीबॉडी में वृद्धि होती है – जो ओमिक्रोन के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि उनमें से केवल कुछ एंटीबॉडी सुरक्षात्मक हैं। उभरते हुए सबूत बताते हैं कि फाइजर या मॉडर्न बूस्टर खुराक के दो से चार सप्ताह बाद लक्षण वाले ओमिक्रोन संक्रमण से सुरक्षा 60-75% तक बहाल हो जाती है।

हालांकि, तीसरी खुराक की सुरक्षा भी 15 सप्ताह के बाद ओमिक्रोन संक्रमण के खिलाफ 30-40% तक कम हो जाती है।

तो, ऐसे में बूस्टर के बावजूद संक्रमण होना अभी भी आम होगा। सौभाग्य से, फाइजर बूस्टर खुराक के बाद लगभग 90% तक अस्पताल में भर्ती होने से सुरक्षा रहती है और 10-14 सप्ताह के बाद भी यह 75% तक बनी रहती है, और मॉडर्न बूस्टर के नौ सप्ताह तक 90-95% तक होती है।

फाइजर और मॉडर्न फिलहाल ओमिक्रोन के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने वाले टीके विकसित कर रहे हैं, जिन्हें अगर मंजूरी मिल जाती है, तो इसके खिलाफ बेहतर प्रतिरक्षा मिल सकेगी।

क्या हमें हर तीन महीने में एक नई खुराक की आवश्यकता होगी?

इज़राइल वर्तमान में कुछ उच्च जोखिम वाले समूहों को फाइजर की चौथी खुराक दे रहा है।

कुछ लोग चिंतित होंगे। इस प्रवृत्ति का मतलब है कि हमें हर कुछ महीनों में एक नई खुराक की आवश्यकता होगी। लेकिन मुझे नहीं लगता कि ऐसा होगा।

हम कमजोर प्रतिरक्षा की बात कहकर हर कुछ महीनों में लोगों को एक और बूस्टर खुराक नहीं दे सकते। संभव है कि हर बूस्टर के बाद टीकों पर से भरोसा कम हो जाए। यह बात याद रखने योग्य है कि हमने कभी भी श्वसन तंत्र पर हमला करने वाले कोरोनवायरस के खिलाफ टीकाकरण की कोशिश नहीं की है, इसलिए हम अभी भी सीख रहे हैं कि सुरक्षात्मक प्रतिरक्षा कैसे उत्पन्न की जाए।

अमीर देशों में बूस्टर खुराक के कई दौर शुरू करने का नैतिक सवाल भी है, जब दुनिया के कुछ हिस्सों में कई लोगों को अभी तक अपनी पहली दो खुराक भी नहीं मिली हैं।

टीकाकरण की कम दर वाले देशों में संक्रमण के उच्च स्तर हैं, सभी देशों में इसके प्रकोप का खतरा बना रहता है, खासकर अगर नए वायरल वेरिएंट सामने आते हैं – जो कि विश्व स्तर पर इतना अधिक संचरण होने पर होना निश्चित है।

द कन्वरसेशन एकता एकता

एकता

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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