scorecardresearch
शुक्रवार, 9 मई, 2025
होमविदेश‘प्रोबायोटिक’ और ‘प्रीबायोटिक’ में क्या है अंतर, जानिए आहार विशेषज्ञ की जुबानी

‘प्रोबायोटिक’ और ‘प्रीबायोटिक’ में क्या है अंतर, जानिए आहार विशेषज्ञ की जुबानी

Text Size:

(इवैंजेलिन मंट्जोरिस, यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया)

एडिलेड, नौ मई (द कन्वरसेशन) अगर आप स्थानीय दवाईघर या सुपरमार्केट जाते हैं तो आप ‘प्रोबायोटिक’ और ‘प्रीबायोटिक’ पदार्थ जरूर खरीदकर लाते होंगे।

‘प्रीबायोटिक’ गैर-पचने योग्य खाद्य पदार्थ होते हैं जो आंतों में लाभदायक सूक्ष्मजीवों के विकास को बढ़ावा देते हैं। जबकि ‘प्रोबायोटिक्स’ खाद्य व स्वास्थ्य उत्पाद हैं जो आपके पेट और अन्य अंगों में जीवित, लाभकारी सूक्ष्मजीवों की संख्या बढ़ाते हैं, ताकि उन अंगों को मजबूत किया जा सके।

इन्हें कुछ खास खाद्य पदार्थों में मिलाया जाता है। ये ‘सप्लीमेंट’ के रूप में आते हैं जिन्हें आप पी सकते हैं या गोली के रूप में ले सकते हैं। ये रोजमर्रा के खाद्य पदार्थों में भी प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं।

लेकिन जानना जरूरी है कि असल में आपका ‘माइक्रोबायोम’ क्या है? और प्रोबायोटिक्स और प्रीबायोटिक्स में क्या अंतर है?

सबसे पहले, कुछ परिभाषाएं

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन, ‘प्रोबायोटिक्स’ को ‘जीवित सूक्ष्मजीवों के रूप में परिभाषित करते हैं, जिनका पर्याप्त मात्रा में इस्तेमाल करने से स्वास्थ्य लाभ होता है।”

ये सूक्ष्मजीव दही, सौअरक्राट और कोम्बुचा जैसे खाद्य पदार्थों तथा सप्लीमेंट में पाए जाने वाले बैक्टीरिया और खमीर पदार्थ हैं।

वहीं प्रीबायोटिक्स से तात्पर्य उस “भोजन” से है जिसकी प्रोबायोटिक्स को जीवित रहने और प्रतिकृति बनाने के लिए आवश्यकता होती है। प्रीबायोटिक्स प्राकृतिक रूप से पादप खाद्य पदार्थों में पाए जाते हैं, इन्हें खाद्य पदार्थों (जैसे ब्रेड और अनाज) में मिलाया जाता है तथा ये सप्लीमेंट के रूप में उपलब्ध होते हैं।

आहार से मिलने वाला फाइबर आपके पेट और छोटी आंत में तब तक अपचित रहता है जब तक कि यह बड़ी आंत तक नहीं पहुंच जाता। वहां, सूक्ष्मजीव (प्रोबायोटिक्स) फाइबर (प्रीबायोटिक्स) को तोड़ते हैं, इसे बेहतर स्वास्थ्य से जुड़े एक प्रकार के पोषक तत्वों ‘मेटाबोलाइट्स’ में परिवर्तित करते हैं।

वे आपके माइक्रोबायोम से किस प्रकार संबंधित हैं?

प्रोबायोटिक्स और प्रीबायोटिक्स दोनों ही स्वस्थ माइक्रोबायोम को बढ़ावा देते हैं। माइक्रोबायोम आपके शरीर के अंदर या बाहरी हिस्सों जैसे मुंह, आंत, त्वचा, श्वसन प्रणाली और मूत्र जननांग में रहने वाले विभिन्न सूक्ष्मजीवों का एक स्वस्थ समूह होता है।

हर किसी का माइक्रोबायोम अलग होता है और आपके पूरे जीवन में बदलता रहता है। आहार में बदलाव, शारीरिक गतिविधि, स्वच्छता, एंटीबायोटिक्स दवाओं के सेवन और संक्रमण होने जैसे विभिन्न पहलुओं के आधार पर आपका माइक्रोबायोम प्रभावित होता है।

ये कारक आपके माइक्रोबायोम की विविधता को बदल सकते हैं, यानी आपके पास कितने अलग-अलग प्रकार के सूक्ष्मजीव हैं, यह इन कारकों से तय होता है। ये कारक स्वस्थ सूक्ष्मजीवों और अस्वस्थ सूक्ष्मजीवों के अनुपात को भी बदल सकते हैं।

जब आपका माइक्रोबायोम कम विविधतापूर्ण होता है या जब अस्वस्थ सूक्ष्मजीवों की संख्या स्वस्थ सूक्ष्मजीवों की संख्या से अधिक हो जाती है, तो इसे ‘डिस्बायोसिस’ के रूप में जाना जाता है। इससे दस्त या कब्ज, आंतों में गड़बड़, मसूड़ों से खून आना, एटोपिक डर्मेटाइटिस (एक्जिमा) या मुंहासे जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

प्रोबायोटिक्स और प्रीबायोटिक्स से भरपूर पदार्थों को स्वस्थ, विविध माइक्रोबायोम को बढ़ावा देने तथा डिस्बायोसिस की संभावना को कम करने में मददगार बताकर बेचा जाता है।

चूंकि एंटीबायोटिक्स लेने से आपका माइक्रोबायोम बदल सकता है, इसलिए इन पदार्थों को एंटीबायोटिक्स लेने के दौरान या उसके बाद इसकी माइक्रोबियल विविधता में सुधार के लिए महत्वपूर्ण बताकर बेचा जाता है।

क्या प्रोबायोटिक्स काम करते हैं?

माइक्रोबायोम हमारे स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उदाहरण के लिए, एक स्वस्थ माइक्रोबायोम को कैंसर, हृदय रोगों, एलर्जी रोगों और आंत में सूजन जैसे रोग का जोखिम कम होने से जोड़कर देखा जाता है।

लेकिन माइक्रोबायोम को बढ़ाने के लिए प्रोबायोटिक सप्लीमेंट्स लेना क्या सही है?

क्लिनिकल परीक्षण की समीक्षा में स्वस्थ लोगों में प्रोबायोटिक सप्लीमेंट को देखा गया। इसमें उनके माइक्रोबायोम की विविधता में कोई वृद्धि नहीं पाई गई।

क्लिनिकल परीक्षण की एक और समीक्षा में लोगों ने एंटीबायोटिक्स लेने के दौरान प्रोबायोटिक सप्लीमेंट के प्रभाव को देखा। उनके माइक्रोबायोम की विविधता में कोई सुधार नहीं हुआ।

इससे एलग एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि प्रोबायोटिक्स अल्पावधि में सूक्ष्मजीव विविधता को बदतर बना सकते हैं। अध्ययन में पाया गया कि प्रोबायोटिक सप्लीमेंट्स एंटीबायोटिक्स लेने के बाद माइक्रोबायोम को बहाल करने में देरी करते हैं।

प्रीबायोटिक्स के बारे में क्या विचार है?

स्वस्थ लोगों द्वारा सिर्फ प्रीबायोटिक सप्लीमेंट लेने से पड़ने वाले प्रभाव पर बहुत कम अध्ययन हुए हैं। हालांकि, स्वास्थ्य के विशेष पहलुओं के आधार पर प्रोबायोटिक्स के साथ प्रीबायोटिक्स लेने वाले लोगों पर अध्ययन हुए हैं।

उदाहरण के लिए, एक बड़ी समीक्षा में लोगों के प्रीबायोटिक्स और प्रोबायोटिक्स (एक साथ या अलग-अलग) लेने पर विभिन्न न्यूरोसाइकियाट्रिक परिणामों पर गौर किया गया, जिसमें डिमेंशिया, पार्किंसंस रोग और याददाश्त कमजोर होना शामिल थे। एक अन्य समीक्षा में मधुमेह से पीड़ित लोगों पर प्रीबायोटिक्स, प्रोबायोटिक्स या सिंबायोटिक्स (ऐसे पूरक जिनमें प्रीबायोटिक्स और प्रोबायोटिक्स दोनों होते हैं) के प्रभाव को देखा गया।

लेकिन उनके निष्कर्ष निर्णायक नहीं हैं। इसलिए हमें नियमित रूप से इन सप्लीमेंट्स की सिफारिश करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है। वे मानक दवाओं और स्वस्थ, संतुलित आहार का विकल्प भी नहीं हैं।

ऐसे में सवाल उठता है कि हम अपने माइक्रोबायोम को कैसे स्वस्थ रख सकते हैं?

प्राकृतिक प्रोबायोटिक्स और प्रीबायोटिक्स रोजमर्रा के खाने में पाए जाते हैं।

प्रोबायोटिक्स पनीर, सौअरक्राट, दही, मिसो, टेम्पेह और किमची में पाए जाते हैं।

प्रीबायोटिक्स पौधों से मिलने वाले खाद्य पदार्थों में पाए जाते हैं जिनमें फाइबर होता है। आपके आहार में विभिन्न प्रकार के पौधों से मिलने वाले खाद्य पदार्थ होना जरूरी है।

आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आपको अपने स्वस्थ बैक्टीरिया को जीवित रखने और अपने माइक्रोबायोम की विविधता को बढ़ाने के लिए आवश्यक सभी प्रकार के फाइबर मिलें।

सप्लीमेंट्स लेने के बजाय खाद्य पदार्थ के सेवन से आपको भोजन में अतिरिक्त पोषक तत्व मिलते हैं।

(द कन्वरसेशन) जोहेब नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments