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शुक्रवार, 25 अप्रैल, 2025
होमविदेश'हम 30 साल से अमेरिका का गंदा काम कर रहे हैं, वही आतंकियों का मेज़बान रहा है'—पाकिस्तान रक्षा मंत्री

‘हम 30 साल से अमेरिका का गंदा काम कर रहे हैं, वही आतंकियों का मेज़बान रहा है’—पाकिस्तान रक्षा मंत्री

ख्वाजा आसिफ ने भारत पर पहलगाम हमले का 'प्रयोग' करने का भी आरोप लगाया और चेतावनी दी कि नई दिल्ली की ओर से किसी भी आक्रामकता का 'नपा-तुला' लेकिन दृढ़ जवाब दिया जाएगा.

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नई दिल्ली: पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने देश के आतंकवाद में संलिप्त रहने के लिए दशकों से चले आ रहे पश्चिमी सैन्य गठबंधनों को जिम्मेदार ठहराया है.

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए “गंदे काम” करने के परिणाम भुगतने पड़े.

आसिफ ने भारत पर कश्मीर में हुए ताज़ा हमले को “कराने” का आरोप लगाया और चेतावनी दी कि अगर नई दिल्ली की ओर से कोई आक्रामक कदम उठाया गया, तो उसका जवाब “संयमित” लेकिन मज़बूत तरीक़े से दिया जाएगा. गुरुवार को स्काई न्यूज के यल्दा हकीम को दिए गए इंटरव्यू में आसिफ ने कहा, “हम करीब तीन दशकों से अमेरिका के लिए यह गंदा काम कर रहे हैं—और हमें इसकी कीमत चुकानी पड़ी है.”

उन्होंने अफगानिस्तान में सोवियत संघ के खिलाफ अमेरिका समर्थित युद्ध और 9/11 के बाद फिर से आतंकवादी समूहों को पाकिस्तान के समर्थन की ओर इशारा किया. “आज के ये सभी आतंकवादी कभी वाशिंगटन में रह रहे थे. उनके साथ वीआईपी जैसा व्यवहार किया जाता था.” उन्होंने कहा. “अगर हम सोवियत संघ के खिलाफ युद्ध में शामिल नहीं होते और बाद में, 9/11 के बाद के युद्ध में, पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड, आप जानते हैं, एक बेदाग ट्रैक रिकॉर्ड था.”

“आप जानते हैं, इस क्षेत्र में जो कुछ भी हो रहा है, उसके लिए पाकिस्तान को दोष देना बड़ी शक्तियों के लिए बहुत सुविधाजनक है. जब हम 80 के दशक में सोवियत संघ के खिलाफ उनकी तरफ से युद्ध लड़ रहे थे, तो आज के ये सभी आतंकवादी वाशिंगटन में मौज-मस्ती कर रहे थे. और फिर 9/11 के हमले हुए.”

भारतीय नेतृत्व के लिए उनका संदेश भी उतना ही सीधा था. “हम पड़ोसी हैं. हमारे बीच गंभीर मुद्दे हैं, खासकर कश्मीर को लेकर. लेकिन युद्ध इसका जवाब नहीं है. आगे बढ़ने का एकमात्र तरीका बातचीत है.”

आसिफ की यह टिप्पणी कश्मीर में हुए एक घातक आतंकवादी हमले के बाद परमाणु-सशस्त्र पड़ोसियों के बीच नए सिरे से पैदा हुए संकट के बीच आई है, जिसके लिए भारत ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों को दोषी ठहराया है. नई दिल्ली ने पहले से ही कूटनीतिक हमलों की एक श्रृंखला को अंजाम देते हुए जवाबी कार्रवाई की संभावना का संकेत दिया है.

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने पाकिस्तान की संलिप्तता से इनकार किया, इसके बजाय उन्होंने सुझाव दिया कि यह घटना क्षेत्रीय तनाव को बढ़ाने के लिए भारत द्वारा रची गई थी. उन्होंने कहा, “यह पैटर्न जाना-पहचाना है. पुलवामा भी एक झूठा झंडा था—और यहां तक ​​कि भारतीय मीडिया ने भी बाद में इसे स्वीकार किया.”

वे आगे कहते हैं, “अब फिर से, वे बिना सबूत के पाकिस्तान को दोषी ठहरा रहे हैं. जिस समूह का वे नाम ले रहे हैं, उसका यहां अस्तित्व ही नहीं है.”

भारत ने हमले को लश्कर-ए-तैयबा की एक शाखा, रेजिस्टेंस फ्रंट से जोड़ा है. लेकिन, आसिफ ने इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया. “लश्कर-ए-तैयबा विलुप्त हो चुका है. अगर इसका मूल संगठन ही नहीं है, तो इसकी शाखा यहां कैसे जन्म ले सकती है?”

पाकिस्तान को चरमपंथी समूहों के साथ अपने संबंधों को लेकर वैश्विक संदेह का सामना क्यों करना पड़ रहा है, इस सवाल का जवाब देते हुए, आसिफ ने पिछली राज्य नीतियों को स्वीकार किया, लेकिन जोर देकर कहा कि ये बाहरी दबाव में लिए गए फैसले थे. “हमने गलतियां कीं. लेकिन हम अकेले नहीं थे. अमेरिका और पश्चिम ने भी इन प्रॉक्सी का इस्तेमाल किया.”

भारत, अपने हिस्से के लिए, अपने मौजूदा आरोपों के औचित्य के रूप में उन्हीं ऐतिहासिक संबंधों का हवाला देता है. 2018 में, ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान को सैन्य सहायता निलंबित कर दी, उस पर आतंकवाद विरोधी सहयोगी होने का दिखावा करते हुए आतंकवादियों का समर्थन करके “दोहरा खेल” खेलने का आरोप लगाया.

आसिफ ने उन दावों को चुनिंदा यादों के रूप में खारिज कर दिया. “अब पाकिस्तान को दोष देना बहुत सुविधाजनक है. लेकिन दुनिया को याद रखना चाहिए—जब हम उनके लिए सोवियत से लड़ रहे थे, तो उन्हीं समूहों की पश्चिमी राजधानियों में प्रशंसा की जा रही थी.”

‘यह एक फ्लैशपॉइंट है’

आसिफ ने अंतरराष्ट्रीय शक्तियों, खासकर अमेरिका से हस्तक्षेप करने और आगे की स्थिति को बढ़ने से रोकने का आग्रह किया.

उन्होंने कहा, “यह एक फ्लैशपॉइंट है. अमेरिका वैश्विक व्यवस्था का नेतृत्व करने का दावा करता है—उसे वैसा ही व्यवहार करना चाहिए. अगर विवेक नहीं दिखा तो हमें वैश्विक नतीजों के साथ टकराव का सामना करना पड़ सकता है.”

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने यह भी चेतावनी दी कि दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव खतरनाक रूप से बढ़ सकता है. उन्होंने कहा, “हम किसी भी स्थिति के लिए तैयार हैं. अगर भारत हमला करता है तो हम उसी तरह जवाब देंगे.”

उन्होंने आगे कहा, “दो परमाणु शक्तियों के बीच टकराव हमेशा चिंताजनक होता है. यह क्षेत्र और दुनिया के लिए बहुत गलत हो सकता है.”

उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के तहत नई दिल्ली के दृष्टिकोण की आलोचना की और इसे तेजी से आक्रामक और एकतरफा बताया. आसिफ ने कहा, “भारत ने कूटनीति को त्याग दिया है. कोई बातचीत तंत्र नहीं बचा है. वे सिंधु जल संधि से दूर चले गए हैं, जो विश्व बैंक की मध्यस्थता वाला समझौता है और 1960 से चला आ रहा है. यह द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक गंभीर झटका है.”

“और अगर विश्व शक्तियां हस्तक्षेप कर सकती हैं और इस स्थिति में किसी तरह की समझदारी लाई जा सकती है, तो यह अच्छा होगा. अन्यथा, अगर भारत की ओर से कोई पहल होती है, तो हम उसी तरह जवाब देंगे,” उन्होंने कहा. “हमारे पास कोई विकल्प नहीं होगा, बिल्कुल कोई विकल्प नहीं होगा.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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