(रयान शैनन एसोसिएट प्रोफेसर, स्विनबर्न प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय)
मेलबर्न, 22 अक्टूबर (द कन्वरसेशन) हर दिन और रात, पूरे आकाश में विकिरण की हजारों लाखों रश्मियां एक क्षण के लिए चमकती हैं और फिर ओझल हो जाती हैं।
रश्मियों का ‘प्रस्फूटन इतना तेज’ होता है कि नग्न आंखों से दिखायी नहीं देता लेकिन एक रेडियो दूरबीन के लिए ये एक सेकेंड के कुछ हजारवें हिस्से के लिए आकाश में दिखते हैं।
चूंकि इस तरह का पहला रेडियो प्रस्फोट 2006 में देखा गया था, हमने पाया है कि उनमें से लगभग सभी दूर की आकाशगंगाओं से आते हैं। इनमें से अधिकांश पर किसी का ध्यान नहीं जाता, ये रेडियो दूरबीनों के दृश्य क्षेत्र के बाहर होते हैं और फिर कभी नहीं होते।
‘साइंस’ में प्रकाशित नए शोध में, हमने अब तक के सबसे दूर के तेज़ रेडियो प्रस्फोट का पता लगाया है: जो 8 अरब वर्ष पुराना कंपन था जो ब्रह्मांड के आधे से अधिक जीवनकाल से यात्रा कर रहा है।
खगोलशास्त्री दो कारणों से तेज़ रेडियो प्रस्फोटों से आकर्षित होते हैं।
पहला यह कि उनका कारण अज्ञात है। प्रस्फोट उन चीजों की तुलना में खरब गुना अधिक ऊर्जावान होते हैं जो उनके जैसी दिखती हैं: हमारी अपनी आकाशगंगा में घूमते हुए न्यूट्रॉन तारे जिन्हें पल्सर कहा जाता है।
दूसरा कारण यह है कि ये प्रस्फोट ब्रह्मांड के अन्य पहलुओं का अध्ययन करने के लिए एक नया जरिया प्रदान करते हैं।
तेज़ रेडियो प्रस्फोट से हम आकाशगंगाओं के बीच अंतरिक्ष में तैरते पदार्थ के ‘ब्रह्मांडीय जाले’ का अध्ययन कर सकते हैं। यह पदार्थ बहुत गर्म, बिखरा हुआ गैस जैसा और लगभग अदृश्य होता है, लेकिन यह गुजरने वाले तेज रेडियो प्रस्फोटों को सूक्ष्मता से धीमा कर देता है।
प्रस्फोटों की गति धीमी होने का स्तर उनके द्वारा तय की गई दूरी से संबंधित होता है।
वर्ष 2020 में, तेज़ रेडियो प्रस्फोटों के विश्लेषण से पता चला कि ब्रह्मांडीय जाले में वास्तव में ब्रह्मांड के आधे से अधिक सामान्य पदार्थ शामिल होते है – जिनके बारे में खगोलविदों ने पहले सोचा था कि वह ‘गायब’ है।
अब हम जानते हैं कि ऊर्जावान प्रस्फोट सुदूर ब्रह्मांड में होते हैं। जैसे-जैसे नयी और उन्नत दूरबीनें तेज रेडियो प्रस्फोटों की खोज में लगायी जा रही हैं, हमें कई आकाशगंगाओं में ऐसे प्रस्फोट देखने को मिल सकते हैं।
हम वर्तमान में एसकेए पाथफाइंडर (एएसकेएपी) के लिए एक नयी तेज रेडियो प्रस्फोट खोज प्रणाली बना रहे हैं जो इसे पांच गुना अधिक संवेदनशील बना देगी, जिससे हमें अपने शोध की सीमा को ब्रह्मांड में और आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।
द कन्वरसेशन अमित नरेश
नरेश
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