नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने शनिवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की से बात की. इस बातचीत में उन्होंने और यूक्रेन के लिए सुरक्षा और वित्तीय सहायता से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की.
इस हफ्ते दोनों नेताओं के बीच होने वाली यह दूसरी फोन कॉल है. ज़ेलेंस्की ने एक ट्वीट में कहा, ‘लगातार हो रही बातचीत के हिस्से के रूप में, मैंने @POTUS के साथ एक और बातचीत की जिसके एजेंडे में सुरक्षा, यूक्रेन के लिए वित्तीय सहायता और रूस के खिलाफ प्रतिबंधों को जारी रखना शामिल था.’
व्हाइट हाउस के प्रेस पूल ने कहा कि बाइडेन और जेलेंस्की के बीच बातचीत करीब आधे घंटे तक चली.
गुरुवार को, बिडेन को ज़ेलेंस्की से ज़ापोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र की स्थिति के बारे में एक अपडेट मिला था.
इससे पहले शनिवार को, क्रेमलिन में शनिवार की बैठक के दौरान बेनेट द्वारा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ यूक्रेन की स्थिति पर चर्चा करने के बाद इजरायल के प्रधान मंत्री नफ्ताली बेनेट ने ज़ेलेंस्की को फोन किया था.
रूसी हमले का यूक्रेन की ओर से जवाब मिल रहा है और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को इसका अंदाजा भी था. रूसी राष्ट्रपति के इस कदम का संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी जोरदार विरोध किया गया, लेकिन रूस में घरेलू स्तर पर इसे लेकर हो रहा विरोध पुतिन के लिए चिंता का विषय बन गया है.
हालांकि, पुतिन को जल्दी ही तख्तापलट के जरिए हटा दिया जाएगा या जनांदोलन के जरिए उन्हें देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया जाएगा, इस पर यकीन नहीं करने के तमाम स्पष्ट कारण मौजूद हैं.
रूस में तीन ऐसे स्पष्ट समूह हैं जो युद्ध के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, हालांकि तीनों अलग-अलग तरीके से अपने विचार रख रहे हैं.
आम जनता युद्ध के विरोध में सड़कों पर प्रदर्शन कर रही है. रूस के एक मानवाधिकार संगठन ओवीडी-इंफो के अनुसार, यूक्रेन पर रूस के हमले के पहले सप्ताह में पुलिस ने युद्ध के विरोध में प्रदर्शन करने वाले कम से कम 7,669 लोगों को हिरासत में लिया है. सेंट पीटर्सबर्ग में हिरासत में लिए गए लोगों में छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक, सभी शामिल हैं.
जेल में बंद विपक्ष के नेता एलेक्सी नवलनी ने पुतिन को ‘पागल जार (राजा)’ बताते हुए रूस के भीतर और बाहर प्रदर्शनों का आह्वान किया है.
बुद्धिजीवियों और संस्कृति के क्षेत्र की प्रतिष्ठित हस्तियों ने भी युद्ध का विरोध किया है. टीवी पर आने वाले सेलिब्रेटी, खिलाड़ियों से लेकर वैज्ञानिकों ने भी पुतिन के इस कदम का विरोध किया है. प्रतिष्ठित लोगों ने निजी तौर पर बयान जारी करने के साथ-साथ खुलेआम हस्ताक्षरित चिट्ठियां भी लिखी हैं, जिन पर देश के 44 शीर्ष शतरंज खिलाड़ियों और शिक्षाविदों के हस्ताक्षर हैं.
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