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Sunday, 22 December, 2024
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वीज़ा प्रॉब्लम, 4 महीने की प्रेग्नेंसीः भारतीय-अफगान दंपती तालिबान से बचकर भारत में बसने की लड़ रहे लड़ाई

तालिबान में फंसी इकरा और उनका अफगानी पति भारत आने के लिए एक मुश्किल लड़ाई लड़ रहे है. भारतीय नागरिक इकरा अकेले भारत लौट सकती है, लेकिन उनके पति को वीजा नहीं मिल पा रहा है.

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नई दिल्ली: ईरान में भारतीय दूतावास के बार-बार चक्कर काटने के बाद उनके सामने एक प्रस्ताव रखा गयाः इकरा जमाल अपने वतन लौट सकती हैं, लेकिन उनके पति को अफगानिस्तान में ही रहना होगा. यह दिसंबर 2021 की बात है तब इकरा चार महीने की गर्भवती थी. उसने अपने पति के बिना वापिस लौटने से इंकार कर दिया. उसका जवाब साफ था- मैं अपने पति को छोड़कर अकेले भारत नहीं जाउंगी.

भारतीय-अफगान दंपति के लिए यह एक मुश्किल समय है. उन्होंने साथ रहने के लिए कई बाधाओं का सामना किया है – कोविड से लेकर तालिबान के सत्ता परिवर्तन तक. लेकिन कथित राजनयिक लालफीताशाही से लड़ना उनके लिए अब तक की शायद सबसे मुश्किल लड़ाई बन गई है. तालिबान के अफगानिस्तान में सत्ता हथियाने के बाद से वे दोनों यहां से निकलने की कोशिशों में जुटे हुए है. लेकिन वीजा न मिल पाने की वजह से खासे परेशान हैं. अपने होने वाले बच्चे के भविष्य को लेकर दोनों के दिलों में डर बैठा हुआ है.

इकरा ने कहा, ‘मैं बच्चे को जन्म देने से पहले अफगानिस्तान छोड़ना चाहती हूं’ ‘अगर बच्चा यहां पैदा हुआ है, तो उसका पासपोर्ट बनवाना आसान नहीं होगा. अफगानिस्तान में स्थिति बहुत खराब है. और अगर ऐसा हुआ तो उसके बाद हमारा भारत लौटना और भी मुश्किल हो जाएगा.’

अफ़ग़ानिस्तान के दूतावासों और बुनियादी संस्थानों में कामकाज की स्थिति न के बराबर है. और जैसे-जैसे बच्चे के जन्म की नियत तारीख नजदीक आ रही है दोनों के प्रयास और तेज होते जा रहे हैं. हांलांकि वे दोनों जानते हैं कि वे समय के खिलाफ एक हारी हुई लड़ाई लड़ रहे हैं. लेकिन उन्हें अब भी उम्मीद है कि भारतीय दूतावास उन्हें सहारा देगा.

‘तालिबान के सत्ता में आने के बाद सब कुछ बदल गया’

इकरा अपने पति (जिसका नाम न जाहिर करने का अनुरोध किया है) से पहली बार साल 2012 में मिलीं थीं. उस समय वे दोनों उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में छात्र थे.

इकरा अपने ऑप्टोमेट्री कोर्स को पूरा करने में लगीं थी और उनके पति कानून की पढ़ाई कर रहे थे. दोनों ने कई साल तक एक-दूसरे को डेट किया और उसके बाद 2018 में एक छोटे से समारोह में उन्होंने सगाई कर ली. इस समय ये दोनों भारत में ही रह रहे थे. लेकिन जल्द ही उनके सामने एक ऐसी स्थिति आई जिसने उन्हें अलग-अलग रहने के लिए मजबूर कर दिया. अपने भविष्य को देखते हुए उन्होंने एक समझदारी भरा फैसला लिया और उस चुनौती को कहीं पीछे छोड़ दिया.

इकरा के पति ने 2020 में अफगान विदेश मंत्रालय में एक प्रशासनिक सहायक के रूप में नौकरी ज्वाइन की. उस समय तक अशरफ गनी सरकार सत्ता में बनी हुई थी.

इकरा ने फोन पर दिप्रिंट से बात करते हुए कहा, ‘तब नौकरी मिलना एक बड़ी बात थी. अपने भविष्य के लिए ये नौकरी हमें हर मायने में बेहतर लगी’. उनके पति को उम्मीद थी कि प्रोबेशनरी पीरियड के बाद वह अपना तबादला नई दिल्ली में अफगान दूतावास में करा लेंगे.

वह सितंबर 2020 में अफगानिस्तान के लिए रवाना हो गए. उनकी प्लानिंग थी कि कुछ समय बाद इकरा स्पाउस वीजा लेकर अफगानिस्तान आ जाएगी और फिर दोनों परिवार शुरू करने के लिए भारत लौट आएंगे.

लेकिन, कोविड ने उनकी राहें रोक दीं. महामारी के समय भारत में हालात ठीक नहीं थे. स्थिति बिगड़ती गई और इसी बीच दूसरी लहर भी आ गई. इकरा को जुलाई 2021 में ही स्पाउस वीजा मिल पाया था.

स्पाउस वीजा पाना भी उनके लिए आसान नहीं रहा. वीजा मिलने से एक महीने पहले दोनों ने एक बार फिर से कानूनी रूप से शादी की. यह एक लंबी-चौड़ी कानूनी प्रक्रिया थी. विवाह प्रमाण पत्र पर इकरा के पति के हस्ताक्षर भी जरूरी थे. उसके लिए डाक्युमेंट अफगानिस्तान में कूरियर किए गए. दिप्रिंट ने उनकी शादी के प्रमाणपत्र को देखा है उस पर, भारतीय और अफगान विदेश मंत्रालयों की आधिकारिक मोहर लगी हुई है.

लगभग एक साल अलग रहने के बाद, एक बार वे फिर से साथ थे. इकरा के ससुराल वालों ने हेरात में उनके लिए शादी का रिसेप्शन भी रखा था. और अगस्त में खुशखबरी मिली कि उनके घर में एक नन्हा मेहमान आने वाला है.

इकरा ने बताया, ‘हमारा इरादा भारत लौटने और वहीं रहकर बच्चे की परवरिश करने का था. लेकिन तालिबान के सत्ता में आने के बाद सब कुछ बदल गया.’

15 अगस्त को काबुल फिसल कर तालिबान के हाथों में आ गया. तब भारतीय गृह मंत्रालय ने फैसला किया कि अफगान के नागरिक केवल आपातकालीन ‘ई-वीजा’ पर ही भारत में प्रवेश कर सकते हैं. यहां तक कि स्पाउस वीजा भी किसी अफगान नागरिक को भारत में प्रवेश की अनुमति नहीं देगा.


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बाहर निकलने की नाकाम कोशिश, पार्किंग में छिपकर दिन बिताना और ईरान की एक असफल यात्रा

इकरा के पति एक सरकारी कर्मचारी थे और इसलिए निकासी सूची में उनका नाम था. लेकिन जब तक वे हवाई अड्डे पर पहुंचते, उसके लिए बहुत देर हो चुकी थी.

उन्होंने कहा, ‘हमे काबुल में हवाई अड्डे तक पहुंचना था लेकिन बमबारी के चलते हम वहीं फंस कर रह गए. कुछ दिनों तक तो हम एक पार्किंग में छिपे रहे. फिर हमने वापस हेरात जाने का फैसला किया, जहां मेरे पति का परिवार रहता है.’

उनके पति ने 28 अगस्त 2021 को ई-वीजा के लिए आवेदन किया था, लेकिन आवेदन अभी तक अधर में लटका पड़ा है. बहुत से अफगानी लोगों की स्थिति ऐसी ही बनी हुई है. उनका ई-वीजा न तो स्वीकार किया जा रहा है और न ही उन्हें साफ तौर पर इंकार किया जाता है.

पिछले साल दिसंबर में दंपति ने इन मामलों को अपने तरीके से सुलझाने का फैसला किया. इसके लिए वे दोनों एक महीने के टूरिस्ट वीजा पर पड़ोसी देश ईरान चले गए. उनका सिर्फ एक एजेंडा था: तेहरान में भारतीय दूतावास से अनुरोध करना कि उन्हें भारत की सुरक्षित यात्रा की अनुमति दी जाए.

इकरा के पति ने कहा, ‘हम एक महीने तक हर दिन ईरान में भारतीय दूतावास के चक्कर लगाते रहे. हालांकि, वे मेरी पत्नी को भारत लौटने की अनुमति देने के लिए तैयार थे क्योंकि वह एक भारतीय नागरिक है. लेकिन मुझे उन्होंने अफगानिस्तान लौट जाने और बाद में आने की सलाह दी.’


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‘मैं अपने पति को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हूं’

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक इकरा भारतीय नागरिक होने के नाते कोई भी फ्लाइट पकड़कर भारत आ सकती है. अगर उसका पासपोर्ट एक्सपायर हो गया है तब भी वह आपातकालीन यात्रा दस्तावेज प्राप्त करने के लिए किसी भी भारतीय दूतावास से संपर्क कर सकती है. लेकिन उनके पति ई-वीजा पर ही भारत आ सकते हैं.

इकरा को ये विकल्प मंजूर नहीं है. वह कहती हैं, ‘मैं अपने पति को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हूं. मैं अकेले अपने बच्चे की परवरिश नहीं करना चाहती.’

उनका पासपोर्ट जनवरी 2022 में समाप्त होने वाला था. तब दंपति ने दूतावास से पासपोर्ट को कुछ और समय तक वैध बनाए रखने का अनुरोध किया था, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया.

इकरा के पति ने यह भी दावा किया कि ईरान में रहते हुए उन्हें एक ‘कॉल’ आया था, जिसके बाद से दंपति को एक उम्मीद नजर आने लगी थी.

उन्होंने बताया, ‘ईरान पहुंचने के कुछ दिनों बाद, हमें भारत सरकार से फोन आया कि मेरा ई-वीजा स्वीकृत हो गया है. हम बहुत खुश थे. लेकिन जब हमें ऑनलाइन चेक करने के लिए कहा गया तो वह नजर नहीं आ रहा था. मेरे आवेदन के आगे अभी भी ‘यह प्रक्रियाधीन है’ लिखा आ रहा है.

वे दोनों अभी तक नहीं समझ पाए हैं कि ऐसा क्यों हुआ. इकरा के पति के अनुसार, उन्होंने भारतीय विदेश और गृह मंत्रालयों को कई ईमेल भेजे हैं. लेकिन किसी का भी जवाब उन्हें नहीं मिला है. अफगान में फंसे वहां के लोगों की मदद के लिए भारत सरकार द्वारा जारी किए गए तीन विशेष आपातकालीन फोन नंबर हमेशा के लिए बंद हो गए है.

ईरान का टूरिस्ट वीजा समाप्त होने के बाद दंपति खाली हाथ अफगानिस्तान लौट आया.

दिप्रिंट ने इकरा के पिता 59 साल के अंजुम अरशद जमाल से बात की. उन्होंने कहा कि वह अपनी बेटी के पति के बिना भारत नहीं लौटने के फैसले को समझ सकते हैं.

वह बताते हैं, ‘इकरा ने साफ कर दिया है कि वह पने पति को छोड़कर वापिस नहीं आना चाहती है. मैंने और मेरी पत्नी ने उसके फैसले का सम्मान किया है. मैं भारतीय विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय के संपर्क में हूं लेकिन वहां से कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला है. फिर भी उम्मीद है कि वे जल्द ही सुरक्षित भारत लौट आएंगे.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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