नई दिल्ली: हमास, जिसने पिछले सप्ताहांत इज़रायलियों के खिलाफ आतंकी हमले को अंजाम दिया था, जिसमें एक हज़ार से अधिक लोगों की हत्या और 100 से अधिक लोगों का अपहरण किया गया था, का इतिहास क्रूर हिंसा से भरा हुआ है, जो एक स्वतंत्र फिलिस्तीन की मांग करते हुए इज़रायल को खत्म करना चाहता है.
वे लगभग वैचारिक और सामरिक रूप से अपनी प्रतिद्वंद्वी इकाई – फतह और उसके नेता महमूद अब्बास के विपरीत हैं, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फिलिस्तीनी प्राधिकरण के अध्यक्ष के रूप में मान्यता प्राप्त है.
2007 से गाज़ा पट्टी पर कंट्रोल रखने वाले हमास को अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ और इज़रायल द्वारा एक विदेशी आतंकवादी समूह के रूप में नामित किया गया है.
यह फिलिस्तीनी राष्ट्रीय आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहा है और इसने फतह के साथ संघर्ष देखा है जो 1964 में अरब लीग के तत्वावधान में स्थापित बड़े फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन का हिस्सा है.
भारत सहित विश्व स्तर पर, फतह को 1974 से फिलिस्तीनी लोगों के एकमात्र वैध प्रतिनिधि के रूप में मान्यता दी गई है.
हमास और फतह पिछले डेढ़ दशक से फिलिस्तीनी आंदोलन का पूर्ण प्रतिनिधित्व करने के संघर्ष में फंसे हुए हैं, 2007 में एक संघर्ष के परिणामस्वरूप आतंकवादी समूह ने गाज़ा पट्टी पर कंट्रोल कर लिया और क्षेत्र से फतह को निकाल दिया है.
इज़राइल और मिस्र ने तुरंत गाज़ा पर नाकाबंदी लागू कर दी, जिससे अधिकांश वस्तुओं के आयात और निर्यात को रोक दिया गया – एक नाकाबंदी जो 16 साल बाद भी जारी है.
मौजूदा संकट से पहले हमास ने इज़रायल के खिलाफ 2008, 2011, 2014 और 2021 जैसे कई संघर्ष लड़े हैं. सात अक्टूबर को इज़रायल के खिलाफ शुरू किए गए इसके हवाई और ज़मीनी हमलों — 1973 के योम किप्पुर युद्ध के बाद से नहीं देखे गए पैमाने पर — ने दुनिया को चौंका दिया.
इसने इज़रायल को जवाबी कार्रवाई ‘स्वोर्ड्स ऑफ आयरन’ शुरू करने के लिए प्रेरित किया, जिसके तहत गाज़ा पट्टी पर लगातार हवाई हमले किए जा रहे हैं. इज़रायली रक्षा बलों (आईडीएफ) के हालिया अपडेट के अनुसार, शनिवार से 1,300 से अधिक इज़रायली मारे गए और 3,000 से अधिक घायल हो गए.
War against Hamas—operational update day 7. pic.twitter.com/1XYn4ri6qQ
— Israel Defense Forces (@IDF) October 13, 2023
क्षेत्र के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, इज़रायली हमले में गाज़ा में 1,000 से अधिक लोग मारे गए हैं.
शनिवार से 1,75,000 से अधिक गाज़ावासी अपने घरों से भाग गए हैं, जबकि इज़रायल द्वारा हमास के खिलाफ जवाबी हमले जारी रखने के बाद गाज़ा में रहने वाले 2.3 मिलियन लोगों में से अधिकांश के पास न तो बिजली है और न ही पानी है.
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फिलिस्तीनियों के बीच संघर्ष
2006 में फिलिस्तीनी राष्ट्रीय प्राधिकरण – 1993 के ओस्लो समझौते के परिणामस्वरूप बनाई गई एक संस्था, फिलिस्तीनी क्षेत्रों में सीमित स्वशासन के साथ – विधायी चुनाव हुए. हमास ने 132 में से 74 सीटों के साथ लोकप्रिय वोट और विधायिका में बहुमत हासिल किया. फतह ने केवल 45 सीटें जीतीं.
हमास के राजनीतिक ब्यूरो के वर्तमान अध्यक्ष इस्माइल हानियेह को मार्च 2006 में राष्ट्रपति महमूद अब्बास द्वारा फिलिस्तीनी राष्ट्रीय प्राधिकरण के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई थी.
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इज़रायल ने हमास के नेतृत्व वाली किसी भी फिलिस्तीनी सरकार के साथ बातचीत करने से इनकार कर दिया है.
उस वर्ष संघर्ष के दौरान गाज़ा से फतह अधिकारियों के निष्कासन के बाद अब्बास ने जून 2007 में हनियेह को बर्खास्त कर दिया. उन्होंने फिलिस्तीनी क्षेत्रों में आपातकाल की स्थिति भी घोषित की.
अल कुद्स सेंटर फॉर पॉलिटिकल स्टडीज के संस्थापक और महानिदेशक ओरैब अल रंतावी ने दिप्रिंट को बताया कि हमास और फतह दोनों ने फिलिस्तीनी मुद्दे की “रीढ़” बनने की कोशिश की है और समस्या को समझाते हुए कहा कि “दो रीढ़ की हड्डी वाला व्यक्ति कार्य करने के लिए सक्षम नहीं हो सकता”.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त फतह और हमास आतंकवादी समूह के बीच बढ़ता संघर्ष यह सवाल सामने लाता है कि ये दोनों संगठन कौन हैं और क्या हैं.
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हमास
हमास की शुरुआत इसकी आधिकारिक स्थापना से लगभग चार दशक पहले हुई थी. कतर में नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी में मध्य पूर्वी अध्ययन के प्रोफेसर खालिद अल ह्रौब ने अल जज़ीरा को बताया, “हमास फिलिस्तीनी प्रतिरोध की अभिव्यक्ति है” – फिलिस्तीनी देश के सवालों के कई असफल राजनीतिक समाधानों का परिणाम है.
उन्होंने समझाया, “हमास में एक अन्य संगठन जिसे कि फिलिस्तीनी मुस्लिम ब्रदरहुड कहा जा सकता है, पर वापस जाता है. फिलिस्तीनी मुस्लिम ब्रदरहुड की स्थापना 1946 में यरूशलेम में हुई थी — यानी इज़रायल राज्य के निर्माण से दो साल पहले. हालांकि, यह दशकों तक फिलिस्तीनी राजनीति के हाशिये पर बना रहा.”
मीडिया खबरों के अनुसार, उन दशकों में मुस्लिम ब्रदरहुड का ध्यान सामाजिक कार्य पर था, विशेष रूप से फिलिस्तीनी क्षेत्रों में स्कूलों और अस्पतालों की स्थापना करना. मीडिया खबरों के अनुसार, हमास के संस्थापक शेख अहमद यासीन ने संगठन की स्थापना से पहले वर्षों तक अरबी और इस्लामी अध्ययन के शिक्षक के रूप में काम किया.
आधुनिक एश्कलोन के पास एक गांव में जन्मे, जो 1948 में पहले अरब-इजरायल युद्ध के दौरान उजड़ गया था, यासीन 12 साल की उम्र में घायल हो गए और लकवाग्रस्त हो गए और उन्हें जीवन भर व्हीलचेयर की ज़रूरत रही. दिसंबर 1987 में यासीन ने हरकत अल-मुकावामा अल-इस्लामिया, या हमास, या अंग्रेज़ी में इस्लामिक प्रतिरोध आंदोलन की स्थापना की.
1988 में पहले फिलिस्तीनी इंतिफादा के चरम पर हमास ने अपना पहला चार्टर जारी किया जिसमें इस तथ्य पर प्रकाश डाला गया कि संगठन फिलिस्तीन में मुस्लिम ब्रदरहुड की एक शाखा है और दूसरी बात यह है कि “जिहाद के अलावा फिलिस्तीनी सवाल का कोई समाधान नहीं है”. प्रस्तावना में इज़रायल के “उन्मूलन” का आह्वान किया गया.
मीडिया खबरों के अनुसार, हमास की ओर से पहला आत्मघाती हमला अप्रैल 1993 में हुआ था. 1997 तक अमेरिका ने हमास को एक विदेशी आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किया था. ब्रिटेन, यूरोपीय संघ और इज़राइल सभी ने हमास को एक आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किया.
2017 में हमास ने ‘सामान्य सिद्धांत और नीतियां’ का एक दस्तावेज़ जारी किया, जिसमें 1988 के चार्टर से महत्वपूर्ण बदलाव देखे गए – सबसे पहले हमास ने जून 1967 की सीमाओं के आधार पर ‘राष्ट्रीय सहमति’ के रूप में दो-राज्य समाधान को स्वीकार किया और साथ ही यह स्पष्ट करता है कि उनका संघर्ष धर्म के कारण यहूदियों के विरुद्ध नहीं है, बल्कि ‘ज़ायोनी परियोजना’ के विरुद्ध है.
राजनीतिक शाखा के अलावा, हमास में इसकी सैन्य शाखा भी शामिल है – इज्ज़ अद-दीन अल-कसम ब्रिगेड, जिसका नेतृत्व मोहम्मद दीफ करता है, जो पिछले शनिवार को इज़राइल के खिलाफ हालिया हमलों का मास्टरमाइंड है.
2005 में इज़राइल गाजा पट्टी से एकतरफा हट गया और अगले वर्ष चुनाव में हमास ने फतह को हरा दिया. हनियेह के फिलिस्तीनी राष्ट्रीय प्राधिकरण के प्रधानमंत्री होने के बावजूद, हमास और फतह के बीच तनाव बढ़ गया, जिसके परिणामस्वरूप जून 2007 में एक सशस्त्र संघर्ष हुआ.
हमास के राजनीतिक ब्यूरो के वर्तमान अध्यक्ष इस्माइल हानियेह दोहा में रहते हैं. अमेरिका और अन्य अंतरराष्ट्रीय राष्ट्र संगठन की फंडिंग में ईरान की भूमिका को पहचानते हैं.
फतह
कुवैत में यासिर अराफात और उनके सहयोगियों द्वारा 1957 में स्थापित, फतह अरबी नाम हरकत अल-तहरीर अल-वतानी अल-फिलास्तिनी का उल्टा शब्द है, जिसका अनुवाद ‘फिलिस्तीनी राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलन’ है. अरबी में फतह का मतलब जीत भी होता है. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार फतह ने अपने शुरुआती दिनों में इज़रायल के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष की वकालत की थी.
1964 में अरब लीग के तत्वावधान में फतह फिलिस्तीनी लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (पीएलओ) में शामिल हो गया – एक छत्र संगठन जो इज़रायल से फिलिस्तीन की मुक्ति के लिए काम करने वाले कई समूहों को एक साथ लाता है.
हालांकि, 1967 में छह दिवसीय युद्ध में इज़रायल द्वारा मिस्र, सीरिया और जॉर्डन सहित अरब देशों के गठबंधन को हराने के बाद, वेस्ट बैंक और गाज़ा पट्टी के फिलिस्तीनी क्षेत्र तेल अवीव के नियंत्रण में आ गए.
अराफात ने शुरुआती दिनों में फिलिस्तीन को आज़ाद कराने के लिए गुरिल्ला युद्ध की वकालत की – गुरिल्लाओं को प्रशिक्षित करना और हथियार देना और इज़रायल के खिलाफ हमले करना. अंततः 1980 के दशक में फतह ने इजरायल के साथ शांतिपूर्ण राजनीतिक समझौते पर पहुंचने की कोशिश की.
प्रारंभिक वर्षों में जॉर्डन से बाहर आधारित, पीएलओ को जॉर्डन राज्य और अराफात के पीएलओ के बीच जॉर्डन के गृह युद्ध, जिसे ब्लैक सितंबर के रूप में भी जाना जाता है, के बाद 1970 में राजा हुसैन द्वारा निष्कासित कर दिया गया था.
पीएलओ ने अपना आधार लेबनान में स्थानांतरित कर लिया और 1982 में दक्षिणी लेबनान पर इजरायली आक्रमण के बाद उसे ट्यूनीशिया में स्थानांतरित होने के लिए मजबूर होने तक वहीं रहा.
खालिद अल ह्रौब ने अल जज़ीरा को बताया, “1980 के दशक के अंत तक, हमें फिलिस्तीनी राष्ट्रीय आंदोलन के भीतर विफलता की गहरी भावना महसूस हुई। पीएलओ को कई विफलताओं का सामना करना पड़ा और 1982 में ट्यूनीशिया में निष्कासित कर दिया गया.”
आखिरकार, पीएलओ ने सशस्त्र संघर्ष छोड़ने का फैसला किया और 1993 में इज़रायल के साथ ओस्लो समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसने फिलिस्तीनी राष्ट्रीय प्राधिकरण के निर्माण की अनुमति दी और पांच साल के भीतर एक संप्रभु फिलिस्तीनी राज्य का वादा किया.
जैसा कि जॉर्डन स्थित थिंक टैंक अल कुद्स सेंटर फॉर पॉलिटिकल स्टडीज के संस्थापक और महानिदेशक ओरैब अल रंतावी ने दिप्रिंट के साथ अपने साक्षात्कार में कहा, 1998 तक, इज़रायल ने पांच लाख से अधिक निवासियों को वेस्ट बैंक में स्थानांतरित कर दिया था, जिससे एक संप्रभु फिलिस्तीनी राज्य के निर्माण में और देरी हुई.
फतह फिलिस्तीन के क्षेत्रों में एक राजनीतिक दल के रूप में जारी रहा, जिसने 2006 में दूसरी सबसे बड़ी संख्या में सीटें जीतीं. हालांकि, इसका कंट्रोल केवल रामल्लाह में वास्तविक राजधानी के साथ वेस्ट बैंक में बना हुआ है, क्योंकि हमास ने गाजा पट्टी पर पूर्ण नियंत्रण बनाए रखा है.
(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)
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