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Wednesday, 25 December, 2024
होमविदेशUSAF सेक्रेटरी को पेंटागन एस्कॉर्ट की जरूरत लेकिन भारतीय अताशे को नहीं- यह बताता है कि भारत-अमेरिका के संबंध कितने गहरे हैं

USAF सेक्रेटरी को पेंटागन एस्कॉर्ट की जरूरत लेकिन भारतीय अताशे को नहीं- यह बताता है कि भारत-अमेरिका के संबंध कितने गहरे हैं

अमेरिकी वायु सेना के सेक्रेटरी फ्रैंक केंडल का कहना है कि भारतीय डिफेंस अताशे की बिना किसी एस्कॉर्ट पेंटागन तक पहुंच ‘हमारे बीच परस्पर सहयोग और भरोसे की पहचान है.’

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नई दिल्ली: भारत और अमेरिका ने जो परस्पर गहरा सामरिक जुड़ाव विकसित किया है, उसमें मजबूत रक्षा संबंध एक अहम पहलू है, लेकिन यह कितना मजबूत है यह बात सोमवार को उस समय खुलकर सामने आई जब यह पता चला कि वाशिंगटन डीसी स्थित भारतीय दूतावास में तैनात भारतीय रक्षा अताशे टीम को पेंटागन में ‘अनस्कॉर्टेड एक्सेस’ यानी बिना किसी रोक-टोक पहुंच का दुर्लभ विशेषाधिकार दिया गया है.

अमेरिकी वायु सेना और स्पेस फोर्सेस के लिए प्रशिक्षण और सैन्य उपकरणों की व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालने वाले अमेरिकी वायु सेना के सेक्रेटरी फ्रैंक केंडल ने कहा, ‘आज की तारीख में भारतीय अताशे टीम के लिए बिना किसी रोक-टोक पेंटागन पहुंचना संभव है, जो एक प्रमुख रक्षा सहयोगी के तौर पर भारत के साथ हमारे घनिष्ठ संबंधों को दर्शाता है. यह हमारे परस्पर भरोसे और सहयोग की पहचान है.’

उन्होंने आगे यह भी कहा और अगर आपको लगता है कि बिना किसी रोक-टोक के पेंटागन तक पहुंचना कोई बड़ी बात नहीं है, तो मैं बता दूं कि बिना एस्कॉर्ट मैं भी पेंटागन में नहीं जा सकता.

केंडल भारतीय दूतावास में अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू की मेजबानी में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.

भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम में जो बाइडेन प्रशासन की कैबिनेट के प्रमुख सदस्यों की मौजूदगी अभूतपूर्व रही. अन्य वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों के अलावा अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कैथरीन ताई भी इसमें शामिल हुईं.

पेंटागन वाशिंगटन डीसी के बाहरी इलाके स्थित अर्लिंग्टन, वर्जीनिया में एक पंचभुजा इमारत है, जिसमें अमेरिका की तीनों सेनाओं के मुख्यालय समेत रक्षा विभाग स्थित है. यह एक अति-संवेदनशील क्षेत्र है जहां अमेरिकी नागरिकों की आवाजाही भी पूरी तरह प्रतिबंधित है.

केंडल पूर्व में बराक ओबामा प्रशासन के तहत भारत के साथ मिलकर काम कर चुके हैं. उन्होंने 2012 के यूएस-इंडिया डिफेंस टेक्नोलॉजी एंड ट्रेड इनिशिएटिव (डीटीटीआई) और राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

उन्होंने कहा, ‘भारत एक ऐसा देश है जिसके साथ हम किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक संयुक्त अभ्यास करते हैं, हमारे बीच दीर्घकालिक और घनिष्ठ संबंध हैं और हम वर्षों से इसे और मजबूत करने में सक्षम रहे हैं. हर साथ मिलकर न केवल क्षेत्र बल्कि पूरी दुनिया के लिए समग्र प्रतिरोधक का काम करते हैं, आपकी साझेदारी और भारत ने हमारे साझा मूल्यों और दुनिया में साझा हित के लिए जो कुछ भी किया है, उसके लिए मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूं.’

केंडल ने इस बात पर भी रेखांकित किया कि यूएस-इंडिया डीटीटीआई में पिछले कुछ वर्षों में तेज वृद्धि दिखी है जिसके तहत मानव रहित एयर व्हीकल (यूएवी) से संबंधित प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण किया जा रहा है.

कैलिफोर्निया स्थित थिंक टैंक रैंड कॉरपोरेशन के वरिष्ठ रक्षा विश्लेषक डेरेक ग्रॉसमैन के मुताबिक, ‘यह कदम (बिना एस्कॉर्ट पहुंच) स्पष्ट तौर पर भारत के प्रति अमेरिका के बढ़ते भरोसे को दर्शाता है, खासकर तब जबकि दो समान विचारधारा वाले लोकतांत्रिक राष्ट्र चीन की तरफ से पेश आ रही भू-रणनीतिक चुनौतियों से निपटने के क्रम में अपनी साझेदारी लगातार मजबूत कर रहे हैं.’


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‘समुद्र से साइबर स्पेस तक’

भारत और अमेरिका ने इस वर्ष अप्रैल में बाइडेन प्रशासन के तहत अपनी पहली ‘2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता’ आयोजित की थी. इस दौरान नई दिल्ली और वाशिंगटन ने दोनों ने ‘समुद्र से साइबर स्पेस’ तक हर क्षेत्र में दोनों सेनाओं के बीच एक अटूट कामकाजी संबंध कायम करने की प्रतिबद्धता जताई.

इस साल अक्टूबर में भारतीय और अमेरिकी सेनाएं उत्तराखंड के औली में 10,000 फीट की ऊंचाई पर वास्तविक नियंत्रण रेखा- भारत और चीन के बीच एक अपरिभाषित सीमा- के पास अपना वार्षिक संयुक्त ‘युद्धाभ्यास’ करेंगी.

जून में अपनी भारत यात्रा के दौरान अमेरिकी सेना के पैसिफिक कमांडिंग जनरल चार्ल्स फ्लिन ने एलएसी के पास चीनी सैन्य ढांचे के निर्माण को ‘खतरनाक’ करार दिया था. भारत और चीन के बीच अप्रैल-मई 2020 से पूर्वी लद्दाख में एक बड़ा सैन्य गतिरोध बरकरार है.

अमेरिकी रक्षा विभाग के प्रवक्ता ने सीएनएन से कहा कि संयुक्त अभ्यास ‘एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के हमारे साझा दृष्टिकोण के सबसे महत्वपूर्ण तत्वों में से एक है.’

प्रवक्ता ने कहा, ‘इस व्यापक प्रयास के सैन्य अभ्यास और प्रशिक्षण कार्यक्रम एक अहम कड़ी हैं, और युद्धाभ्यास एक ऐसा वार्षिक द्विपक्षीय अभ्यास है जिसे अंतर-क्षमता में सुधार और क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निपटने की हमारी क्षमताओं में सुधार को ध्यान रखकर आयोजित किया जाता है.’

‘युद्धाभ्यास’ के अलावा, भारत और अमेरिका कई अन्य सैन्य अभ्यास भी करते हैं. सैन्य अभ्यासों की रेंज को विस्तारित और अपग्रेड करते हुए दोनों देश मालाबार (नौसेना), रेड फ्लैग और कोप इंडिया (वायु सेना), तरकश और वज्र प्रहार (स्पेशल फोर्स) जैसे अभ्यास करते हैं और, हाल ही में उन्होंने ‘टाइगर ट्रायम्फ’ अभ्यास किया जिसमें तीनों सेनाएं शामिल थीं.

अमेरिका ने 2016 में भारत को ‘मेजर डिफेंस पार्टनर’ का दर्जा दिया, जिसके बाद 2018 में इसे ‘स्ट्रेटेजिक ट्रेड ऑथराइजेशन टियर 1’ का दर्जा दिया गया, जिससे उच्च स्तरीय और संवेदनशील अमेरिकी सैन्य और ड्यूल यूज टेक्नोलॉजी तक भारत की पहुंच सुनिश्चित हो सकी.

दोनों देश रक्षा और रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करने के लिए पहले ही प्रमुख रक्षा अमेरिकी मूलभूत समझौतों- लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (एलईएमओए), कम्युनिकेशंस कम्पैटिबिलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट (सीओएमसीएएसए) और बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट (बीईसीए) आदि- पर हस्ताक्षर कर चुके हैं.

इसके अलावा, दोनों पक्षों ने भारत-अमेरिका सैन्य सूचना समझौते (जीएसओएमआईए) के लिए औद्योगिक सुरक्षा अनुबंध (आईएसए) भी किया है, जिससे भारत को अमेरिकी उच्च स्तरीय प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण में आसानी और सेना की गोपनीय जानकारी की सुरक्षा सुनिश्चित हुई है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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