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शुक्रवार, 2 मई, 2025
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अमेरिका-यूक्रेन खनिज समझौता कीव के लिए बेहतर दिख रहा, पर ट्रंप अप्रत्याशित साझेदार हैं

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(एंड्रयू गॉथोर्प, लीडेन विश्वविद्यालय)

लीडेन (नीदरलैंड), दो मई (द कन्वरसेशन) अमेरिका और यूक्रेन ने अंतत: बहुप्रतिक्षित उस समझौते पर हस्ताक्षर कर दिये हैं जिसके तहत यूक्रेन का युद्धोत्तर पुनर्निर्माण किया जाना है। पहली नजर में समझौते का ब्योरा कीव के लिए कई पर्यवेक्षकों की उम्मीदों से अधिक अनुकूल प्रतीत हो रहा है।

‘‘आर्थिक साझेदारी समझौते’ के मूल में यूक्रेन की खनिज संपदा का दोहन है। यूक्रेन को अमेरिकी निवेश और प्रौद्योगिकी तक पहुंच मिलेगी और अमेरिका को अंततः लाभ का हिस्सा मिलेगा। रूस के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर होने की स्थिति में बाकी राशि युद्धग्रस्त राष्ट्र के पुनर्निर्माण के वित्त पोषण पर खर्च की जाएगी।

इस समझौते के कई पहलू यूक्रेन के लिए सकारात्मक हैं। पिछले मसौदों के विपरीत, देश अपने प्राकृतिक संसाधनों पर स्वामित्व बनाए रखेगा और समझौते के लागू होने के बाद दस साल तक मुनाफे की कुल राशि को यूक्रेन में निवेश किया जाना है।

वाशिंगटन नई सैन्य सहायता के रूप में भी अपना योगदान दे सकता है, हालांकि यह अमेरिकी राष्ट्रपति पर निर्भर करेगा कि वे ऐसा करें या नहीं।

इससे पहले की वार्ता में एक प्रमुख मुद्दा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की वह मांग थी जिसमें समझौते में यूक्रेन को दी गई पिछली अमेरिकी सहायता के लिए मुआवजे को शामिल करने कहा गया था। ट्रंप ने जोर देकर कहा था कि पूर्व में यूक्रेन को अमेरिका द्वारा दी गई यह राशि 350 अरब अमेरिकी डॉलर थी।

कई विश्लेषकों का अनुमान है कि यह आंकड़ा 120 अरब अमेरिकी डॉलर के करीब है। इस समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने से पहले यूक्रेन के प्रधानमंत्री डेनिस श्म्यहाल ने कहा कि इस समझौते में ‘‘हस्ताक्षर किए जाने से पहले दी गई सहायता राशि शामिल नहीं होगी।’’

यूक्रेनी सरकार की घोषणा में कहा गया है कि नया समझौता पिछली अमेरिकी सैन्य सहायता पर नहीं, बल्कि आगे की चीजों पर केंद्रित है। लेकिन अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने पत्रकारों से बातचीत में इस समझौते को ‘वित्त पोषण और हथियारों’ के लिए ‘मुआवजा’ बताया।

बेसेंट का बयान क्या राजनीतिक हथकंडे का संकेत करता है या इस अहम बिंदु पर वाशिंगटन और कीव के बीच अब भी मतभेद है, यह देखना बाकी है। औपचारिक विवरण जारी नहीं किया गया है और कई चीजों को सुलझाया जाना बाकी है।

ट्रंप एक प्रत्याशित वार्ताकार हो सकते हैं जो अक्सर अचानक दिशा बदल लेते हैं। वास्तव में इस समझौते पर हस्ताक्षर यूक्रेन में युद्ध को समाप्त करने के व्यापक प्रयास में नवीनतम मोड़ है – जिसके आगे शायद अभी भी कई चौंकाने वाली चीजें हैं।

ट्रंप रूस द्वारा शांति प्रक्रिया में शामिल होने से इनकार करने के कारण धैर्य खोते दिख रहे हैं। समझौते पर हस्ताक्षर करने का उद्देश्य मॉस्को को संघर्ष समाप्त करने के बारे में गंभीर होने की चेतावनी देना हो सकता है।

नए समझौते में कथित तौर पर कहा गया है कि अमेरिका और यूक्रेन एक ‘दीर्घकालिक रणनीतिक संरेखण’ साझा करते हैं। यह ट्रंप के कुछ महीने पहले के बयानों से बहुत अलग है, जब उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की को ‘तानाशाह’ करार देते हुए रूस के साथ युद्ध शुरू करने के लिए कीव को दोषी ठहराया था।

लेकिन ट्रंप की बदलती सोच को देखते हुए, संभवत: यह समझौता संघर्ष को लेकर उनका अंतिम विचार नहीं है।

क्या यह निर्णायक समझौता है?

अमेरिकी हास्यकार मार्क ट्वेन ने एक बार खदान को ‘झूठे व्यक्ति के स्वामित्व वाली जमीन में एक छेद’ के रूप में परिभाषित किया था। भूमिगत खनिज भंडार की सटीक मात्रा का आकलन करना बेहद मुश्किल है और हर भंडार का दोहन लाभदायक तरीके से नहीं किया जा सकता है।

यूक्रेन में खनिज दोहन कार्य नहीं किया गया है। यहां तक ​​कि खनिज भंडार का अनुमानित आकार भी, जो सतही तरीके से किए गए पुराने सोवियत सर्वेक्षणों पर आधारित है, निश्चित नहीं है।

कई खनिज जो यूक्रेन की सतह के नीचे कथित तौर पर मौजूद हैं, उन्हें ‘दुर्लभ मृदा’ (रेयर अर्थ) कहा जाता है जो ‘हाई-टेक’ आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए महत्वपूर्ण हैं। लेकिन उनका दोहन करना महंगा और समय लेने वाला भी है, जिसके लिए बड़े पैमाने पर अग्रिम निवेश की आवश्यकता होगी जो अंततः नुकसान में भी बदल सकता है।

सफल मामलों में भी उत्पादन चालू करने में आम तौर पर एक दशक से अधिक समय लगता है। आज चीन के बाहर दुनिया में विकास के तहत दुर्लभ मृदा तत्व की कुछ ही परियोजनाएं हैं – यहां तक कि उन देशों में भी इनकी संख्या कम है जो वर्तमान (और संभवतः भविष्य के) युद्ध क्षेत्र नहीं हैं।

यूक्रेन के अधिकतर कथित भंडार देश के पूर्वी भाग में स्थित हैं, जो रूसी हमले के लिए संवेदनशील हैं, जिससे निवेश जोखिम भरा हो जाता है।

यह सब व्यापक शांति प्रक्रिया के लिए आर्थिक साझेदारी समझौते को संदिग्ध दीर्घकालिक महत्व का बनाता है। इससे होने वाले संभावित लाभ बहुत काल्पनिक हैं, जो सार्थक समय-सीमा के भीतर बहुत अधिक अंतर नहीं ला सकते।

इस सौदे से यूक्रेन की रक्षा के वास्ते अमेरिका के लिए बहुत अधिक वास्तविक आर्थिक लाभ उत्पन्न होने की संभावना नहीं है, और इसलिए कीव के लिए इसके सैन्य सहायता का एक नया स्रोत बनने की संभावना भी नहीं है।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए यह समझौता बहुत ज्यादा बदलाव नहीं लाएगा। हालांकि, यह वाकई एक संकेत हो सकता है कि ट्रंप का रूस के प्रति धैर्य खत्म हो रहा है, लेकिन इससे संघर्ष की अंतर्निहित वास्तविकताओं में कोई बदलाव नहीं आएगा।

(द कन्वरसेशन) संतोष मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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