नई दिल्ली : भारत में ईरान के राजदूत अली चेगेनी ने भारत को तेहरान से तेल आयात फिर से शुरू करने का आह्वान किया है, क्योंकि तेहरान ने भारत से सोयामील और बासमती चावल की खरीद भी बढ़ा दी है.
चेगेनी ने सोमवार को कहा, ‘भारत एक अच्छा दोस्त है. हम पड़ोसी हैं. हमारा इतिहास पुराना है. उम्मीद है कि भारत ईरान से तेल खरीदना शुरू करेगा. भारत यह जानता है कि ये अमेरिका द्वारा प्रतिबंध एकतरफा है और यह प्रतिबंध संयुक्त राष्ट्र के द्वारा नहीं है.’
इंडियन एसोसिएशन ऑफ फॉरेन अफेयर्स कॉरेस्पोंडेंट्स द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए चेगेनी ने कहा कि भारत और तेहरान आईडीबीआई और यूको बैंक के माध्यम से व्यापार कर सकते हैं.
राजदूत ने यह भी कहा कि 2019 में देशों के बीच दो-तरफा व्यापार लगभग 13 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, लेकिन गति धीमी हो गई है, क्योंकि भारत ने डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन द्वारा प्रतिबंधों के खतरे के कारण अपने तेल आयात को ख़त्म कर दिया.
हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि यदि भारत व्यापारिक संबंधों को फिर से शुरू नहीं करता है तो ईरान को पैसों की कमी के कारण अन्य बाज़ारों की तरफ सोयामील और चावल के व्यापार के लिए रुख करना पड़ेगा.
सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि भारत और तेहरान के बीच द्विपक्षीय महत्व के सभी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए विदेश सचिव विजय गोखले की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल इस महीने ईरान का दौरा करने की उम्मीद कर रहा है. तेल व्यापार को फिर से शुरू करना ईरान के एजेंडे में सबसे ऊपर होगा.
भारत चाबहार बंदरगाह को विकसित करने से कतरा रहा है
चेगेनी ने चाबहार में शहीद बेहेशती के पोर्ट को एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र बनाने के लिए भारत के रवैये पर असंतोष व्यक्त किया.
पिछले साल दिसंबर से भारत ने अफगानिस्तान में माल भेजने के लिए बंदरगाह का उपयोग शुरू कर दिया था. उन्होंने कहा, भारत चाबहार पोर्ट के विकास के लिए उतना नहीं कर रहा है, जितना चीन ग्वादर पोर्ट (पाकिस्तान में) के लिए कर रहा है.
चेगेनी ने कहा, इसके कारण रूहानी शासन अब ज़ाहेदान रेल लिंक को अपने दम पर विकसित करने के लिए मजबूर है. रेल लिंक दक्षिण-पूर्वी बंदरगाह शहर चाबहार से ज़ाहेदान तक जुड़ जाएगा, जो कि सिस्तान-बलूचिस्तान क्षेत्र की प्रांतीय राजधानी है.
ईरान, भारत और अफगानिस्तान ने चाबहार बंदरगाह विकसित करने के लिए एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किया था. मई 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने तेहरान यात्रा के दौरान यह समझौता किया था.
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