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Saturday, 23 November, 2024
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अमेरिकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बर्नी सैंडर्स ने कहा, कश्मीर में लगे प्रतिबंधों को हटाया जाए

अमेरिकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार और डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता बर्नी सैंडर्स ने कश्मीर के मुद्दे पर यूएन के शांति प्रस्ताव का समर्थन किया है.

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नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए दावेदार और डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता बर्नी सैंडर्स ने कश्मीर के मुद्दे पर यूएन के शांति प्रस्ताव का समर्थन किया है.

हॉस्टन में इस्लामिक सोसाइटी ऑफ नार्थ अमेरिका के वार्षिक कार्यक्रम में बोलते हुए सैंडर्स ने कहा, ‘वो कश्मीर के मौजूदा स्थिति पर काफी चिंतित हैं. उन्होंने कहा कि जब से मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला किया है तब से वहां से सूचना संपर्क टूट गया है.’

बर्नी सैंडर्स ने कहा, ‘भारत को जल्द से जल्द कश्मीर में सूचना तंत्र शुरू करने की जरूरत है. उन्होंने अमेरिकी सरकार से मांग की है कि वो इस मामले पर कड़ा रुख अपनाए और मानवीय कानूनी का समर्थन करें. सैंडर्स ने कश्मीर के मुद्दे पर यूएन के शांति प्रस्ताव का भी समर्थन किया है.’

बर्नी सैंडर्स का बयान उस वक्त आया है जब कुछ दिन पहले ही फ्रांस में जी-7 बैठक के इतर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कश्मीर के मुद्दे पर नरेंद्र मोदी के साथ काफी लंबी बातचीत की थी.


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इस बैठक में ट्रंप ने काफी संतुलित होकर अपनी बात रखी थी और कहा था कि इस मसले पर भारत और पाकिस्तान खुद बातचीत करें. बर्नी सैंडर्स कश्मीर घाटी में हो रहे मानव अधिकारों के उल्लंघन पर तीखी आलोचना करते हैं.

ट्रंप ने कश्मीर मुद्दे से यू-टर्न लेने के बाद कहा था कि ये मसला भारत और पाकिस्तान के बीच का है. ठीक एक महीने पहले जब ट्रंप ने इमरान खान से मुलाकात की थी, तब उन्होंने कश्मीर मामले में मध्यस्थता की पेशकश की थी. लेकिन पिछले हफ्ते नरेंद्र मोदी के साथ हुई बैठक में ट्रंप ने कहा कि ये दोनों देशों का द्विपक्षीय मसला है.

1990 में जब कश्मीर में लगातार आतंकी घटना बढ़ रही थी. तब से ही अमेरिकी प्रशासन कश्मीर के मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहा है.

दोनों देशों के बीच 1998 के परमाणु परीक्षण और करगिल युद्ध के बाद तल्खियां बढ़ गई थी. 2008 में अमेरिका से हुए परमाणु समझौते के बाद दोनों देशों के रिश्तों में सुधार आया था. तत्कालीन एसिसटेंट सेक्रेटरी ऑफ स्टेट फॉर साउथ एशिया रॉबिन रफेल ने कहा था कश्मीर के राजा हरि सिंह ने भारत के साथ शामिल होने का फैसला किया था. उन्होंने कहा था कि दोनों देश आपस में कश्मीर के मुद्दे को वहां की जनता की इच्छा के अनुसार सुलझा लेंगे .


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2008 में बाराक ओबामा के राष्ट्रपति बनने से एक महीने पहले हुए मुंबई धमाके के बाद अमेरिका ने भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीत सामंजस्य बैठाने के लिए काम किया. इसी वक्त कश्मीर मुद्दे को हल करने की भी पहल की गई थी.

उस समय हिलेरी क्लिंटन अमेरिका की सेक्रिटरी ऑफ स्टेट थी. कुछ समय बाद ही ओबामा ने कश्मीर पर दिए बयान से खुद को अलग कर लिया था. 2011 में क्लिंटन ने पाकिस्तान को लेकर एक चर्चित बयान दिया था जिसमें उन्होंने कहा था कि सांप घर के पीछे ही हैं. जो कभी-कभी काट लेता है तो हेडलाइन बन जाती है. कश्मीर तब भी भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मुद्दा ही था.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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