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Monday, 23 December, 2024
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अमेरिका ने इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव में संलिप्तता के आरोपों को नकारा

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इस्लामाबाद/वाशिंगटन, 31 मार्च (भाषा) अमेरिका ने इमरान खान की अगुवाई वाली सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने में अमेरिका की संलिप्तता के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उसने पाकिस्तान के मौजूदा राजनीतिक हालात पर कोई पत्र नहीं भेजा है। मीडिया में बृहस्पतिवार को आयी एक खबर में यह जानकारी दी गयी।

पाकिस्तान में अपनी गद्दी बचाने की कवायद में जुटे प्रधानमंत्री इमरान खान बुधवार को संसद में बहुमत गंवा बैठे। सत्तारूढ़ गठबंधन के अहम सहयोगी दल मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट-पाकिस्तान (एमक्यूएम-पी) ने विपक्ष से हाथ मिला लिया, जिसने नेशनल असेंबली में उनकी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था।

खान दावा करते रहे हैं कि उनकी विदेश नीति के कारण उनके खिलाफ विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव ‘‘विदेशी षडयंत्र’’ का नतीजा है और उन्हें सत्ता से बाहर करने के लिए विदेश से वित्त पोषण किया जा रहा है।

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) नीत सरकार ने बुधवार को कहा था कि प्रधानमंत्री के खिलाफ विदेशी षडयंत्र के उसके आरोप विदेश में देश के एक दूतावास से मिले गोपनीय पत्र पर आधारित है।

‘डॉन’ अखबार की खबर के मुताबिक, सरकार ने शुरुआत में यह पत्र पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश के साथ साझा करने की पेशकश की थी लेकिन बाद में प्रधानमंत्री ने पत्र के बारे में अपने मंत्रियों को भी जानकारी दी थी।

मीडिया कर्मियों को सूचित किया गया था कि बैठक में हालांकि किसी विदेशी सरकार का नाम नहीं लिया गया लेकिन मेजबान देश के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पाकिस्तानी राजदूत से कहा था कि उन्हें प्रधानमंत्री खान की विदेश नीति से दिक्कतें हैं, खासतौर से यूक्रेन में चल रहे युद्ध पर उनके रुख और रूस की उनकी यात्रा को लेकर।

खबर के मुताबिक, पाकिस्तानी राजदूत को बताया कि दोनों देशों के बीच रिश्तों का मार्ग खान के खिलाफ विपक्ष द्वारा लाए जा रहे अविश्वास प्रस्ताव के नतीजे पर निर्भर करेगा।

ऐसा बताया गया कि यह पत्र सात मार्च यानी विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव सौंपने से एक दिन पहले भेजा गया था।

अखबार ने बताया कि इस बीच, ऐसा सामने आया है कि दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के सहायक मंत्री डोनाल्ड लु के साथ अमेरिका में पाकिस्तान के तत्कालीन राजदूत असद मजीद की बैठक के आधार पर मजीद ने यह पत्र भेजा था।

राजदूत मजीद अब ब्रसेल्स में तैनात हैं और उनका स्थान राजदूत मसूद खान ने ले लिया है।

खबर में कहा गया है कि इस बीच, अमेरिका के विदेश विभाग ने बुधवार को कहा कि अमेरिका की किसी सरकारी एजेंसी या अधिकारी ने पाकिस्तान के मौजूदा राजनीतिक हालात पर उसे कोई पत्र नहीं भेजा था।

कथित पत्र और पीटीआई सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव में अमेरिका की संलिप्तता के बारे में सवालों का जवाब देते हुए विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है।’’

वाशिंगटन में कुछ राजनयिक सूत्रों ने बताया कि यह पत्र एक वरिष्ठ पाकिस्तान राजनयिक द्वारा लिखा वाशिंगटन से भेजा राजनयिक टेलीग्राम हो सकता है।

डॉन ने एक कूटनीतिक सूत्र के हवाले से कहा, ‘‘पत्र में लिखी बातें पाकिस्तानी और अन्य अधिकारियों के बीच अनौपचारिक चर्चा पर आधारित प्रतीत होती हैं। अगर ये बातें सही हैं तो विभिन्न देशों के मैत्रीपूर्ण संबंध रखने वाले अधिकारियों की राय हो सकती है। इसके अलावा कुछ भी नहीं।’’

सूत्रों ने बताया कि दुनियाभर में ऐसी बातचीत होती रहती है और राजनयिक अपने देश में प्राधिकारियों से ऐसी बातचीत साझा करते रहते हैं।

खबर में एक अन्य राजनयिक सूत्र के हवाले से कहा गया है, ‘‘ऐसी केबल के पीछे का उद्देश्य अपनी सरकार को सूचित रखना होता है। यह किसी सरकार या शख्स के खिलाफ षडयंत्र का संकेत नहीं है।’’

भाषा गोला उमा

उमा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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