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Wednesday, 30 July, 2025
होमविदेशपहली बार UNSC की रिपोर्ट में लश्कर के संगठन TRF का जिक्र किया गया, पहलगाम हमले से भी जोड़ा

पहली बार UNSC की रिपोर्ट में लश्कर के संगठन TRF का जिक्र किया गया, पहलगाम हमले से भी जोड़ा

भारत 2023 से ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की मॉनिटरिंग टीम को द रेसिस्टेंस फ्रंट के बारे में जानकारी देता आ रहा है. वहीं इस्लामाबाद ने इसका नाम UN दस्तावेज़ों में आने से रोकने के लिए ज़ोरदार कोशिशें की हैं.

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नई दिल्ली: इस्लामाबाद के लिए एक अहम कूटनीतिक झटका माना जा रहा है कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) का नाम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की 1267 प्रतिबंध समिति की निगरानी टीम (MT) की रिपोर्ट में शामिल किया गया है, जो बुधवार को जारी की गई.

यह पहली बार है जब लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के एक संगठन TRF का नाम किसी संयुक्त राष्ट्र (UN) दस्तावेज़ में आया है, जबकि पाकिस्तान ने इसे रोकने के लिए काफी प्रयास किए थे. भारत सरकार के अनुसार, 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले जिसमें 26 लोगों की मौत हुई थी, TRF ने उसकी साजिश रची थी.

भारत ने 2023 से TRF और LeT से इसके संबंधों को लेकर 1267 प्रतिबंध समिति को विस्तृत जानकारी दी है. 2024 में दो बार भारत ने निगरानी टीम को इन आतंकवादी संगठनों की गतिविधियों से जुड़ी जानकारी दी.

भारत के लिए इसका कूटनीतिक महत्व इस बात में है कि MT रिपोर्ट्स संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सभी सदस्यों की सहमति से अपनाई जाती हैं. भारत इस समय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का सदस्य नहीं है, जबकि पाकिस्तान अभी इसका सदस्य है और फिलहाल उसकी बारी है अध्यक्ष बनने की. पाकिस्तान की अध्यक्षता 31 जुलाई को समाप्त हो रही है.

रिपोर्ट में कहा गया, “22 अप्रैल को, पांच आतंकवादियों ने जम्मू और कश्मीर के एक पर्यटन स्थल पहलगाम में हमला किया. इसमें 26 नागरिकों की मौत हो गई. TRF ने उसी दिन हमले की जिम्मेदारी ली और साथ ही हमले की जगह की एक तस्वीर भी जारी की. अगले दिन भी इस दावे को दोहराया गया. हालांकि, 26 अप्रैल को TRF ने अपना दावा वापस ले लिया. इसके बाद TRF की ओर से कोई और बयान नहीं आया और किसी अन्य समूह ने भी जिम्मेदारी नहीं ली.”

पहलगाम हमले के कुछ दिन बाद UNSC ने एक बयान जारी कर आतंकवादी हमले की निंदा की थी, लेकिन पाकिस्तान की कूटनीतिक कोशिशों के कारण TRF का नाम नहीं लिया गया. हालांकि, MT रिपोर्ट में सिर्फ एक सदस्य देश ने LeT को निष्क्रिय बताते हुए TRF और LeT के संबंध को खारिज किया. दो अन्य सदस्य देशों ने इन दोनों संगठनों के आपसी संबंध को स्वीकार किया.

रिपोर्ट में कहा गया, “एक सदस्य देश ने कहा कि यह हमला लश्कर-ए-तैयबा (LeT, QDe.118) के समर्थन के बिना नहीं हो सकता था, और LeT और TRF के बीच संबंध है. एक अन्य सदस्य देश ने कहा कि हमला TRF ने किया था, जो LeT के समानार्थक है. एक सदस्य देश ने इन विचारों को खारिज किया और कहा कि LeT निष्क्रिय है.”

पाकिस्तान के विदेश मंत्री और उप प्रधानमंत्री इशाक डार ने अप्रैल में नेशनल असेंबली को संबोधित करते हुए UNSC के बयान से TRF का नाम हटवाने का श्रेय लिया. पाकिस्तान का दावा है कि TRF नाम का कोई संगठन अस्तित्व में नहीं है और LeT देश में निष्क्रिय है.

MT रिपोर्ट में TRF को शामिल करना भारत के उस रुख को भी मान्यता देता है कि पाकिस्तान ने अब ऐसे प्रॉक्सी संगठन बनाने शुरू कर दिए हैं जिनके नाम सेक्युलर या मॉडर्न प्रतीत होते हैं ताकि सीमा पार आतंकवाद में अपनी भूमिका से इनकार किया जा सके.

TRF या पीपल अगेंस्ट फासिस्ट फ्रंट जैसे संगठन, जो जैश-ए-मोहम्मद का एक मोर्चा है, को जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को स्थानीय रंग देने की पाकिस्तान की कोशिश के रूप में देखा जाता है.

पाकिस्तान की कूटनीतिक कोशिशों के बावजूद, अमेरिका ने इस महीने की शुरुआत में TRF को विदेशी आतंकवादी संगठन और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया, जिसे भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत माना गया. अमेरिका द्वारा इस तरह की घोषणा से संगठन की विदेशी फंडिंग पर असर पड़ सकता है और सदस्यों की यात्रा पर रोक लग सकती है.

TRF ने पहलगाम आतंकवादी हमले की दो बार जिम्मेदारी ली थी, लेकिन 26 अप्रैल को अपने दावे को वापस ले लिया.

सोमवार को भारतीय सुरक्षा बलों ने “महादेव” नाम की एक संयुक्त ऑपरेशन में तीन आतंकवादियों—सुलेमान, अफगान और जिब्रान—को घाटी में मार गिराया. ये तीनों पहलगाम आतंकवादी हमले में शामिल थे, यह जानकारी भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में अपने भाषण के दौरान दी.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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