(एंटनी ब्लैक, वेस्टमिंस्टर विश्वविद्यालय)
लंदन, 23 मई (द कन्वरसेशन) हर साल, वैज्ञानिक उत्परिवर्तित वायरस का पता लगाने के लिए संघर्ष करते हैं, दवा कंपनियां टीकों को नये सिरे से तैयार करती हैं तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली टीके और उपकरणों की नयी खेप प्राप्त करने की तैयारी करती है।
यह निरंतर चलने वाली प्रक्रिया फ्लू और कोविड जैसे खतरों के खिलाफ हमारी अग्रिम पंक्ति की रक्षा है – लेकिन इसकी कीमत बहुत अधिक है। वैश्विक स्तर पर, अरबों अमेरिकी डॉलर, वायरस के स्वरूप की निगरानी, टीके के विकास और वितरण में खर्च किए जाते हैं तथा पहले से ही मुश्किल परिस्थितियों का सामना कर रही स्वास्थ्य प्रणाली – विशेष रूप से निम्न आय वाले देशों में – तालमेल बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही है।
यही कारण है कि वैज्ञानिक लंबे समय से सार्वभौमिक टीके विकसित करने का लक्ष्य रखते रहे हैं – जो मौसमी और महामारी, दोनों प्रकार के वायरस सहित इसके सभी प्रमुख स्वरूपों से सुरक्षा प्रदान करते हैं। लेकिन इन टीकों को डिजाइन करना मुश्किल साबित हुआ है।
कठिनाई वायरस के उत्परिवर्तन के तरीके में है। इन्फ्लूएंजा और सार्स सीओवी-2 (कोविड का कारण बनने वाला वायरस) तेजी से बदलते हैं, जिससे वे पिछले संक्रमणों या टीकाकरणों से उत्पन्न होने वाली प्रतिरक्षा प्रणाली की स्मृति प्रतिक्रियाओं से बच जाते हैं।
एक सार्वभौमिक टीका बनाने के लिए, शोधकर्ताओं को वायरस के उन हिस्सों की पहचान करनी चाहिए जो विभिन्न स्वरूपों में समान रहते हैं – जिन्हें ‘‘संरक्षित क्षेत्र’’ के रूप में जाना जाता है।
इन संरक्षित क्षेत्रों को पहचानना प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए कठिन है, इसलिए वैज्ञानिक उनके प्रति शरीर की प्रतिक्रिया को बढ़ाने के लिए रणनीति विकसित कर रहे हैं। एक दृष्टिकोण वायरस के तेजी से उत्परिवर्तित भागों को टीके से पूरी तरह से हटा देता है, जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली को उन भागों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है जो नहीं बदलते हैं।
इन टीकों को देने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कई तकनीकें विकास के विभिन्न चरणों में हैं। उदाहरण के लिए, एमआरएनए टीके प्रयोगशाला में बने मैसेंजर आरएनए (एक प्रकार की आनुवंशिक सामग्री) के स्ट्रैंड का उपयोग करके कोशिकाओं को प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को सक्रिय करने के लिए वायरल प्रोटीन बनाने का निर्देश देते हैं।
दूसरा प्रकार ‘‘वायरल वाहक’’ पर निर्भर करता है – हानिरहित वायरस, जो प्रतिरक्षा को बढ़ाने के लिए मानव कोशिकाओं में आनुवंशिक सामग्री पहुंचाते हैं। दोनों प्रकार के टीके कोविड महामारी के दौरान निर्णायक थे।
अन्य तकनीकों में नैनोकण शामिल हैं, जो डिलीवरी और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बेहतर बनाने के लिए कृत्रिम जैविक कणों का उपयोग करते हैं। और ‘‘वायरस जैसे कण’’, जो वायरस की संरचना की नकल करके प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं को उत्पन्न करते हैं, लेकिन उनमें कोई आनुवंशिक सामग्री नहीं होती है।
अनुसंधानकर्ता शक्तिशाली उपकरणों का उपयोग करके ऐसे टीके तैयार कर रहे हैं जो वायरस के कई प्रकारों पर काम कर सकते हैं। इन प्लेटफॉर्मों की खोज केवल फ्लू और कोविड के लिए ही नहीं की जा रही है – एचआईवी जैसे अन्य तेज़ी से विकसित होने वाले वायरस के लिए भी इसी तरह के प्रयास किये जा रहे हैं।
आलोचकों का तर्क है कि टीका रणनीतियों का एक व्यापक, लचीला पोर्टफोलियो – एक एकल दृष्टिकोण के बजाय – सफलता की कुंजी है।
आखिरकार, एक सार्वभौमिक टीके का लक्ष्य केवल वैज्ञानिक नहीं है। यह व्यावहारिक और वैश्विक भी है — और लक्ष्य स्वास्थ्य प्रणालियों पर बोझ कम करना, लागत कम करना और भविष्य के प्रकोपों के प्रति दुनिया की प्रतिक्रिया को बदलना हैं।
(द कन्वरसेशन) सुभाष मनीषा
मनीषा
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