scorecardresearch
Thursday, 21 November, 2024
होमविदेशश्रीलंका के PM के रूप में शपथ लेंगे विक्रमसिंघे, संसद में उनकी पार्टी की केवल एक सीट

श्रीलंका के PM के रूप में शपथ लेंगे विक्रमसिंघे, संसद में उनकी पार्टी की केवल एक सीट

यूएनपी के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि राष्ट्रपति राजपक्षे गुरुवार को स्थानीय समयानुसार शाम 6:30 बजे विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिला सकते हैं.

Text Size:

नई दिल्ली: यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) नेता और श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे देश के अगले प्रधानमंत्री के रूप में गुरुवार को शपथ-ग्रहण कर सकते हैं.

श्रीलंका की 225 सदस्यीय संसद में विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) की केवल एक सीट है.

यूएनपी के 73 वर्षीय नेता ने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे से बुधवार को बात की और गुरुवार को उनसे फिर मिल सकते हैं.

यूएनपी के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि राष्ट्रपति राजपक्षे गुरुवार को स्थानीय समयानुसार शाम 6:30 बजे विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिला सकते हैं.

श्रीलंका के चार बार प्रधानमंत्री रह चुके विक्रमसिंघे को अक्टूबर 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने प्रधानमंत्री पद से हटा दिया था. हालांकि दो महीने बाद ही सिरीसेना ने उन्हें इस पद पर बहाल कर दिया था.

सूत्रों के अनुसार विक्रमसिंघे को अंतरिम प्रशासन का नेतृत्व करने के लिए सभी दलों का समर्थन मिल सकता है. उनकी सरकार छह महीने चल सकती है.

सूत्रों के अनुसार सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी), विपक्षी समगी जन बालावेगाया (एसजेबी) के एक धड़े और अन्य कई दलों ने संसद में विक्रमसिंघे के बहुमत साबित करने के लिए अपना समर्थन जताया है.

यूएनपी के अध्यक्ष वी अबेयवारदेना ने विश्वास जताया कि विक्रमसिंघे को नये प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाये जाने के बाद वह बहुमत हासिल कर लेंगे.

देश की सबसे पुरानी पार्टी यूएनपी 2020 में एक भी सीट नहीं जीत सकी थी और यूएनपी के मजबूत गढ़ रहे कोलंबो से चुनाव लड़ने वाले विक्रमसिंघे भी हार गये थे. बाद में वह सकल राष्ट्रीय मतों के आधार पर यूएनपी को आवंटित राष्ट्रीय सूची के माध्यम से संसद पहुंच सके.

उनके साथी रहे सजीत प्रेमदासा ने उनसे अलग होकर अलग दल एसजेबी बना लिया जो मुख्य विपक्षी दल बन गया.

विक्रमसिंघे को दूरदृष्टि वाली नीतियों के साथ अर्थव्यवस्था को संभालने वाले नेता के तौर पर स्वीकार्यता है. उन्हें श्रीलंका का ऐसा राजनेता माना जाता है जो अंतरराष्ट्रीय सहयोग भी जुटा सकते हैं.

राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने बुधवार को देर रात राष्ट्र के नाम अपने टेलीविजन संदेश में पद छोड़ने से इनकार किया लेकिन इस सप्ताह एक नये प्रधानमंत्री और युवा मंत्रिमंडल के गठन का वादा किया.


यह भी पढ़े: इतिहास को औपनिवेशिक काल से निकालने में लगा स्मारक प्राधिकरण, इसके केंद्र में दिल्ली के ‘फाउंडर-किंग’ अनंगपाल


share & View comments