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Monday, 23 December, 2024
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यूक्रेन, व्यापार, रक्षा व ऊर्जा सुरक्षा; ये हैं PM के यूरोप दौरे के एजेंडा के ख़ास बिंदु

जर्मनी, डेनमार्क और फ्रांस में मोदी बहुत समय से लंबित भारत-ईयू मुक्त व्यापार समझौते, रक्षा सहयोग, और यूक्रेन युद्ध के मद्देनज़र ऊर्जा सुरक्षा आदि की दिशा में आगे बढ़ने की कोशिश करेंगे.

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नई दिल्ली: सोमवार से शुरू हो रहे अपने जर्मनी, डेनमार्क और फ्रांस के दौरे के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत तथा यूरोप के बीच व्यापार, रक्षा, सुरक्षा और ऊर्जा संबंधों को आगे बढ़ाने पर ज़ोर देंगे.

2022 में मोदी की पहली विदेश यात्रा ऐसे समय हो रही है, जब यूरोप को रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के चलते, अभूतपूर्व सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसने मॉस्को के साथ ब्रसेल्स के रिश्तों को बदल दिया है.

मोदी के लिए ये दौरा चुनौती भरा रहेगा, क्योंकि भारत का रुख़ ये रहा है कि यूक्रेन पर हमले के लिए वो रूस को खुले तौर पर कुछ नहीं कह रहा है, और बातचीत तथा कूटनीति पर ज़ोर दे रहा है, जबकि नई दिल्ली मॉस्को के साथ हथियारों और तेल का व्यापार जारी रखे हुए है.

रविवार को विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने एक मीडिया कॉनफ्रेंस में कहा, ‘जहां तक यूक्रेन पर भारत के रुख़ का सवाल है, उसे कई मंचों पर बहुत विस्तार से बताया गया है, और स्पष्ट किया गया है…हमारा रुख़ हमेशा से ये रहा है कि यूक्रेन में युद्ध थमना चाहिए, और समाधान का रास्ता कूटनीति और बातचीत से होकर जाता है’.

जर्मनी में, मोदी जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज़ के साथ अपनी पहली द्विपक्षीय बैठक करेंगे. उनके साथ विदेश मंत्री एस जयशंकर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह भी जा रहे हैं.

दोनों पक्षों के बीच छठे ‘इंडो-जर्मन इंटर गवर्नमेंटल कंसल्टेशंस’ होंगे- दोनों पक्षों के बीच स्थापित एक अनोखा फॉरमैट, जहां न केवल नेताओं के बीच बल्कि कैबिनेट स्तर पर भी बैठकें होती हैं.

दोनों पक्ष इंडो-पैसिफिक फ्रेंमवर्क के अंतर्गत, भारत और जर्मनी के बीच बढ़ते रणनीतिक रिश्तों को बढ़ाने पर भी ज़ोर देंगे, चूंकि शोल्ज़ सरकार चीन के साथ अपने रिश्तों की समीक्षा शुरू कर रही है.

इसी हफ्ते शोल्ज़ एशिया के अपने पहले दौरे पर गए, जहां उनका पहला पड़ाव जापान था जबकि वो चीन नहीं गए. पिछले महीने टोक्यो में बीजिंग को एक स्पष्ट संदेश देते हुए, उन्होंने जापानी प्रधानमंत्री किशिदा फूमियो को बताया, कि जर्मनी और यूरोपीय संघ के इंडो-पैसिफइक के साथ रिश्ते गहरा रहे हैं.

क्वात्रा के अनुसार, पीएम के दौरे से भारत और जर्मनी के बीच रिश्तों को ‘आकार और विकास’ दोनों मिलेंगे. उन्होंने कहा कि दौरे के दौरान ऊर्जा सुरक्षा भी एजेंडा में शामिल रहेगी.

क्वात्रा ने कहा कि दौरे के दौरान ऊर्जा सुरक्षा का मुद्दा भी एजेंडा में शामिल रहेगा.

क्वात्रा ने कहा, ‘ऊर्जा सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा के बदलते तत्व, इस क्षेत्र की चुनौतियां, और उन चुनौतियों को कम करना, उनके समाधान जो हम खोज सकते हैं, स्वाभाविक तौर पर ये कुछ प्रमुख तत्व हैं…कुल मिलाकर चर्चा के अंदर ये एक तत्व बन सकता है’.

भारत और भूटान में जर्मनी के राजदूत वॉल्टर लिंडनर ने कहा, ‘जर्मनी के लिए भारत एक प्रमुख रणनीतिक साझीदार है- साथ मिलकर हम टेक्नॉलजी में अगुवाई करना चाहते हैं, व्यापार और निवेश को बढ़ाना चाहते हैं, और हरित व सतत विकास को प्रोत्साहित करना चाहते हैं. हम इंडो-पैसिफिक में नियम- आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को मज़बूत करना चाहते हैं, और जलवायु परिवर्तन, नवीकरणीय ऊर्जा की ओर संक्रमण, वैज्ञानिक तथा आर्थिक सहयोग, प्रवासन, गतिशीलता, और स्वास्थ्य जैसी वैश्विक चुनौतियों का मुक़ाबला करना चाहते हैं. संकट और उथल-पुथल भरी दुनिया में बहुत ज़रूरी है कि मित्रों और लोकतांत्रिक देशों के बीच रिश्तों को मज़बूत किया जाए, और क्षेत्रीय तथा वैश्विक विषयों पर विचारों का आदान-प्रदान किया जाए’.

रक्षा और व्यापार पर अधिक ज़ोर

विदेश सचिव के अनुसार, ख़ासकर मोदी के डेनमार्क और फ्रांस के दौरे के दौरान, रक्षा सहयोग और व्यापार पर भी मुख्य ज़ोर रहेगा.

फ्रांस में, मोदी फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाक़ात करेंगे. पिछले महीने राष्ट्रपति मैक्रों के फिर से चुने जाने के बाद, मोदी उनसे सबसे पहले मिलने वाले कुछ गिने-चुने विदेशी नेताओं में से एक होंगे.

क्वात्रा के अनुसार, फ्रांस और जर्मनी के साथ रक्षा और सुरक्षा पर बातचीत ‘महत्वपूर्ण तत्व’ हैं, चूंकि वो ‘प्रक्रिया-आधारित’ हैं.

उन्होंने आगे कहा, ‘रक्षा का हमारी प्राथमिकताओं में एक महत्वपूर्ण स्थान है… हम उसे सह-विकास, सह-उत्पादन, सह-निर्माण के नज़रिए से देख रहे हैं’.

बहुत समय से लंबित भारत-ईयू मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर भी, जिसके लिए अधिकारिक बातचीत 2007 में शुरू हुई थी, इस दौरे में चर्चा की जाएगी, और अपेक्षा है कि मोदी के दौरे के बाद ये बातचीत फिर से शुरू होगी.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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