नई दिल्ली: यूनाइटेड किंगडम में रहने वाले कारोबारी गुरप्रीत सिंह रेहल पर लंदन ने प्रतिबंध लगाए हैं. उन पर भारत में सक्रिय आतंकी संगठनों, जैसे बब्बर खालसा और बब्बर अकाली लहर, से जुड़े होने का आरोप है.
यूके ट्रेज़री ने गुरुवार को जारी बयान में कहा, “ट्रेज़री का मानना है कि रेहल बब्बर खालसा और बब्बर अकाली लहर की आतंकी गतिविधियों में शामिल हैं. इनमें प्रचार और उकसावा, भर्ती गतिविधियों को आगे बढ़ाना, वित्तीय सेवाएं उपलब्ध कराना, साथ ही इन संगठनों का समर्थन और मदद करना शामिल है. इसमें हथियार और दूसरे सैन्य सामान खरीदना भी शामिल है.”
बयान में आगे कहा गया, “ट्रेज़री यह भी मानता है कि बब्बर अकाली लहर बब्बर खालसा की आतंकी गतिविधियों से जुड़ा है और उनके लिए प्रचार, उकसावा और भर्ती गतिविधियां करता है, साथ ही खुद के लिए भी.”
34 वर्षीय रेहल लंदन में रहते हैं और यूके में कई संगठनों के निदेशक हैं, जिनमें सेविंग पंजाब CIC, व्हाइटहॉक कंसल्टेशन लिमिटेड और लोहे डिज़ाइंस नाम का एक बिना पंजीकृत संगठन शामिल हैं.
यूके ट्रेज़री ने कहा, “यह घरेलू काउंटर-टेररिज्म व्यवस्था का पहला इस्तेमाल है जिसके जरिए प्रो-खालिस्तान उग्रवादी समूह बब्बर खालसा के लिए फंडिंग को रोका गया है.”
यह ब्रिटिश कारोबारी हाल ही में खबरों में इसलिए आया क्योंकि वह उस कंसोर्टियम पंजाब वॉरियर्स का हिस्सा था जिसने इस गर्मियों में यूके के फुटबॉल क्लब मोरेकैम एफ.सी. को खरीद लिया था. मोरेकैम एक क्लब है जो फिलहाल यूके की नेशनल लीग में खेलता है. क्लब ने गुरुवार को जारी एक बयान में दावा किया कि रेहल मार्केटिंग और कम्युनिकेशन में “कंसल्टेंसी भूमिका” में था और अब उसका मोरेकैम एफसी या पंजाब वॉरियर्स से “कोई संबंध नहीं है”.
बयान में यह भी जोड़ा गया, “हाल ही में सामने आई गंभीर चिंताओं के बाद हमने तुरंत और निर्णायक कदम उठाए और दोनों संगठनों के साथ उसका संबंध पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है.”
मोरेकैम एफ.सी. की खरीद पर ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स में भी चर्चा हुई थी, मीडिया रिपोर्टों के अनुसार. इस सौदे का सार्वजनिक चेहरा रेहल ही था. पिछले हफ्ते बताया गया कि उसने ब्रिटिश संसद में ऑल-पार्टी पार्लियामेंट्री ग्रुप फॉर ब्रिटिश सिख्स से एक पुरस्कार प्राप्त किया था, जैसा कि द गार्जियन ने रिपोर्ट किया. इस क्लब ने सितंबर 2025 में अपने इतिहास में पहली बार एक सिख मैनेजर की नियुक्ति की.
यूके ट्रेज़री की इस कार्रवाई से रेहल की सारी संपत्तियां फ्रीज हो जाएंगी और ब्रिटिश संस्थाओं पर यह रोक होगी कि वे उन कंपनियों से कोई लेन-देन न करें जिनमें यह ब्रिटिश नागरिक जुड़ा है या जिनका संबंध बब्बर अकाली लहर जैसे समूहों से है.
यूके ट्रेज़री की आर्थिक सचिव लूसी रिग्बी ने गुरुवार को जारी बयान में कहा, “हम चुपचाप नहीं बैठेंगे जब आतंकवादी ब्रिटेन की वित्तीय प्रणाली का इस्तेमाल करेंगे. यह ऐतिहासिक कदम दिखाता है कि आतंकवाद की फंडिंग रोकने के लिए हम हर उपाय करने को तैयार हैं — चाहे वह कहीं भी हो और कोई भी उसके लिए जिम्मेदार हो. यूके शांतिप्रिय समुदायों के साथ मजबूती से खड़ा है और उन लोगों के खिलाफ जो हिंसा और नफरत को बढ़ावा देते हैं.”
पंजाब वॉरियर्स सिख कारोबारियों का एक समूह है जिसने मोरेकैम एफ.सी. में निवेश के लिए अपनी पूंजी एक साथ लगाई है. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इस समूह के प्रमुख शेयरधारक कु्लजीत सिंह मोमी हैं.
बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) और खालिस्तान ज़िंदाबाद फोर्स (KZF) जैसे अन्य प्रतिबंधित आतंकी संगठनों ने हाल ही में पंजाब में पुलिस स्टेशनों पर हमलों को फंड किया था. दिसंबर 2024 से मार्च 2025 के बीच पंजाब के बॉर्डर इलाकों से दर्जन भर से अधिक युवाओं को ऐसे हमलों के लिए गिरफ्तार किया गया, जैसा कि द प्रिंट ने रिपोर्ट किया.
भारत लंबे समय से यह बात उठाता रहा है कि सिख अलगाववादियों को यूके और कनाडा जैसे तीसरे देशों में काम करने की जगह मिलती है. इसी साल एक सिख अलगाववादी ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर की चाथम हाउस के बाहर सुरक्षा घेरे को तोड़ दिया था, जब वे यूके के दौरे पर थे. इस घटना को भारत के विदेश मंत्रालय ने ब्रिटिश अधिकारियों के सामने उठाया था.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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